टैरिफ लगाने वाले अमेरिका के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं भारत और भारतीय?
why indians are important for US economy : हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा ने व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। यह फैसला एक ऐसे समय में आया है जब भारत और अमेरिका के संबंध रणनीतिक और आर्थिक दोनों ही दृष्टियों से गहरे होते जा रहे हैं। एक ओर जहां व्यापार घाटे और घरेलू उद्योगों के संरक्षण को लेकर टैरिफ एक नीतिगत हथियार बन जाते हैं, वहीं दूसरी ओर यह समझना भी ज़रूरी है कि अमेरिका के लिए भारत और भारतीय समुदाय कितना आवश्यक है।
अमेरिका में भारतीय क्यों जरूरी
अमेरिका में 49 लाख से अधिक भारतीय मूल के लोग निवास करते हैं, और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। इन भारतीयों की विशेषता केवल संख्या में नहीं, बल्कि उनके योगदान की गुणवत्ता में है:
• उच्च शिक्षा और कौशल: 80% से अधिक भारतीय-अमेरिकी उच्च शिक्षित हैं। ये डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, शिक्षाविद और उद्यमी के रूप में अमेरिकी अर्थव्यवस्था और नवाचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह आँकड़ा चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के प्रवासियों से कहीं ज़्यादा है, जहां उच्च शिक्षित प्रवासियों का प्रतिशत क्रमशः दूसरे और तीसरे पायदान पर है।
• स्वास्थ्य सेवा के आधारस्तंभ: प्रवासी डॉक्टरों में सबसे ज़्यादा भारतीय हैं। ग्रामीण और शहरी, दोनों ही इलाकों में भारतीय डॉक्टर अमेरिकी स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूती प्रदान करते हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान भी भारतीय डॉक्टरों ने फ्रंटलाइन पर रहकर अमूल्य सेवाएं दीं। अमेरिका के लगभग हर सातवें डॉक्टर के भारतीय मूल का होने का अनुमान है, जो अमेरिकी स्वास्थ्य ढांचे का एक अभिन्न अंग है।
• तकनीकी नवाचार और उद्यमिता: सिलिकॉन वैली से लेकर बड़ी-बड़ी फॉर्च्यून 500 कंपनियों तक, भारतीय मूल के सीईओ (जैसे सुंदर पिचाई, सत्य नडेला) और वरिष्ठ अधिकारी प्रमुख भूमिकाओं में हैं। भारतीय-अमेरिकी नवाचार और उद्यमिता के पर्याय बन गए हैं, कई सफल स्टार्टअप्स की नींव रखी है और लाखों अमेरिकियों के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। रिपोर्टों के अनुसार, भारतीय मूल के सीईओ 16 फॉर्च्यून 500 कंपनियों का नेतृत्व करते हैं, जो सामूहिक रूप से 2.7 मिलियन अमेरिकियों को रोजगार देते हैं और लगभग एक ट्रिलियन डॉलर का राजस्व उत्पन्न करते हैं।
• आर्थिक योगदान: भारतीय-अमेरिकी समुदाय न केवल टैक्स के रूप में अरबों डॉलर का योगदान करता है, बल्कि एक उच्च क्रय शक्ति वाला उपभोक्ता वर्ग भी है जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था को सीधे लाभ पहुंचाता है। भारतीय छात्र भी अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सालाना अरबों डॉलर का योगदान करते हैं।
अमेरिका के लिए भारत का रणनीतिक और आर्थिक महत्व
भारतीय समुदाय के योगदान से परे, भारत स्वयं अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक और आर्थिक साझेदार है:
• बड़ा बाज़ार और आर्थिक शक्ति: भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और एक विशाल उपभोक्ता बाज़ार है। अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत में व्यापार और निवेश के अपार अवसर हैं। दोनों देश 2030 तक $500 बिलियन के द्विपक्षीय व्यापार का लक्ष्य रख रहे हैं।
• रणनीतिक साझेदार: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए भारत अमेरिका का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है। क्वाड (QUAD) जैसे सुरक्षा संवादों में भारत की भागीदारी, रक्षा सहयोग में वृद्धि, और प्रमुख रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर दोनों देशों के बीच गहरे सामरिक संरेखण को दर्शाते हैं। अमेरिका ने भारत को स्ट्रेटेजिक ट्रेड ऑथराइजेशन-1 (STA-1) का दर्जा देकर एक प्रमुख रक्षा साझेदार के तौर पर स्वीकार किया है।
• रक्षा संबंध: रक्षा व्यापार 2008 में लगभग शून्य से बढ़कर 2020 में 20 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है। भारत, अमेरिका से उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकियों का एक प्रमुख खरीदार है, जो अमेरिकी रक्षा उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है।
• फार्मास्युटिकल्स में निर्भरता: भारत का फार्मा उद्योग अमेरिकी बाजार पर बहुत अधिक निर्भर है, वहीं अमेरिका को सस्ती भारतीय जेनेरिक दवाओं से लाभ मिलता है। भारतीय फार्मा कंपनियां अमेरिका की जेनेरिक दवा मांग का 40% हिस्सा पूरा करती हैं।
टैरिफ की राजनीति और दूरदर्शिता की आवश्यकता
ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ अक्सर 'व्यापार घाटे' को कम करने और अमेरिकी उद्योगों की रक्षा करने की नीति का हिस्सा होते हैं। हालांकि, यह नीति अल्पकालिक लाभ दे सकती है, लेकिन यह भारत जैसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण साझेदार के साथ दीर्घकालिक संबंधों को जटिल बना सकती है।
टैरिफ लगाने से भारतीय निर्यात को नुकसान होगा, रुपये पर दबाव पड़ेगा और अंततः दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों में तनाव आ सकता है। यह एक ऐसा परिदृश्य है जिसमें दोनों पक्षों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। अमेरिका के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि भारत केवल एक व्यापारिक देश नहीं, बल्कि एक लोकतांत्रिक शक्ति है जो साझा मूल्यों और हितों पर आधारित एक मजबूत संबंध की क्षमता रखता है। टैरिफ के बजाय, दोनों देशों को व्यापार बाधाओं को कम करने और एक संतुलित व्यापार समझौते पर पहुंचने के लिए मिलकर काम करना चाहिए जो दोनों अर्थव्यवस्थाओं के लिए फायदेमंद हो।