खतरनाक सेना की तरह इंसानों को मार रहे हैं ‘मच्छर’, हर साल 10 लाख लोगों को कर देते हैं ‘किल’, फिर भी वैज्ञानिक क्यों जुटे हैं मच्छरों को बचाने में
नाना पाटेकर ने एक फिल्म में कहा था, एक मच्छर आदमी को हिजड़ा बना देता है, इस डायलॉग में मच्छर मारने के लिए आदमी के ताली बजाने के अंदाज की बात थी, यहां तक तो ठीक था, लेकिन अगर मच्छर आदमी को लाखों की संख्या में मारने ही लगे तो इसे क्या कहेंगे।
बहुत चौंकाने वाला आंकड़ा है, लेकिन सच है। दुनिया में मच्छरों के काटने से हर साल करीब 10 लाख लोगों की मौतें हो जाती हैं। यानि मच्छरों की फौज किसी युद्ध की तरह इंसानों पर हमला कर रही है। करीब 70 करोड़ लोग हर साल मच्छरों से फैलने वाली बीमारी के शिकार हो जाते हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि बावजूद इसके वैज्ञानिक दुनियाभर के मच्छरों को बचाने की कवायद कर रहे हैं। जितना मच्छरों से आप परेशान है, दुनिया को उतनी ही मच्छरों की जरूरत है। आइए जानते हैं मच्छरों की दुनिया का ये सच।
ऐसा है मच्छर का दंश
वर्ल्ड मॉस्क्यूटो प्रोग्राम की रिपोर्ट के मुताबिक हर साल 10 लाख से ज्यादा लोगों की मौत मच्छरों की वजह से हो जाती है। यही रिपोर्ट कहती है कि हर साल करीब 70 करोड़ लोग मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी का शिकार होते हैं। इन्हीं की वजह से डेंगू और मलेरिया जैसी घातक बीमारियां हो रही हैं। फिर भी वैज्ञानिक इन्हें बचाने के लिए जुटे हुए हैं।
तो वैज्ञानिक क्यों तैयार कर रहे नए मच्छर
मच्छरों से होने वाली बीमारियां और मौतों को रोकने के लिए वैज्ञानिक अब अलग तरह से काम कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया के मोनाश विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने डेंगू को खत्म करने के लिए मच्छरों की ऐसी प्रजाति को चुना है जिनमें बोलबाचिया नाम का बैक्टेरिया पाया जाता है। यह बैक्टेरिया डेंगू वायरस के खिलाफ काम करेगा।
लैब में ऐसे मच्छरों की ब्रीडिंग करवाकर वैज्ञानिकों ने सैकड़ों मच्छरों को तैयार किया है। इन्हें पैदाकर के पर्यावरण में छोड़ा जाएगा, जब इनकी संख्या में इजाफा होगा तो ये डेंगू के मच्छरों के खिलाफ काम करेंगे। यानी बीमारियां फैलाने वाले मच्छरों की संख्या घटती जाएगी और नए मच्छरों में इजाफा होता जाएगा। इसका प्रयोग किया गया है जो सफल भी हुआ है।
दुनिया में मच्छरों की 3500 प्रजातियां
यूएस टूडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में करीब 3500 से ज्यादा तरह के मच्छरों की प्रजातियां मौजूद है। इनमें एनाफिलीज गैम्बी और एडीज इजिप्टी शामिल है। एनाफिलीज गैम्बी मलेरिया फैलाते हैं और एडीज इजिप्टी यलो फीवर की वजह बनता है। लेकिन इन बीमारियों को खत्म करने के लिए पूरी तरह से मच्छरों को खत्म करने की जरूरत नहीं है।
क्यों मच्छरों को नहीं किया जा सकता खत्म
वैज्ञानिकों का दावा है कि अगर मच्छरों को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया तो इसका असर इंसानों पर ही पड़ेगा। दरअसल, दुनिया से मच्छर खत्म हो गए ता मछली, चिड़िया, छिपकली, मेढ़क जैसे उन जीवों के जीवन पर असर होगा जो इन्हीं की वजह से जिंदा रहते हैं और मच्छरों को अपना भोजन बनाते हैं। इसके साथ ही मच्छरों के खत्म होने से इंसानों पर भी असर पड़ सकता है। क्योंकि इनकी संख्या घटने पर इकोसिस्टम का बैलेंस बिगड़ेगा। जब इको सिस्टम चक्र बिगड़ेगा तो इसका असर सामान्य तौर पर इंसानों पर होगा।
ऐसे में भले ही मच्छर इंसानों के लिए खतरा बन गए हैं और हर साल इनकी वजह से लाखों इंसानों की मौत हो जाती है, लेकिन फिर भी इन्हें बचाना जरूरी है।
मच्छरों के आतंक का फैक्ट फिगर्स
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70 करोड़ लोग हर साल मच्छरों से फैलने वाली बीमारी से जूझते हैं।
-10 लाख मौतें हर साल मच्छरों की वजह से होती हैं।
-3500 से ज्यादा प्रजाति के मच्छर दुनिया में हैं।
-एनाफिलीज गैम्बी मलेरिया बीमारी मच्छरों से फैलाती है।
-एडीज इजिप्टी यलो फीवर की वजह बनती है।
-दुनिया से मच्छर खत्म हो गए ता मछली, चिड़िया, छिपकली, मेढ़क के भोजन का संकट हो जाएगा।
-मच्छरों के खत्म होने से इंसानों पर भी असर पड़ सकता है।
-संख्या घटने पर इकोसिस्टम का बैलेंस बिगड़ेगा।