Googles AI predict Heart diseases through eye scans : अब तक आंखों के रास्ते किसी के दिल में उतरा जा सकता था। आंखें चार होने पर दिल की धड़कनें तेज हो जाती थीं, लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) के इस दौर में अब आंखें दिल की बीमारी का हाल बयां कर देगी। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से मेडिकल साइंस में एक बड़ा रिवोल्यूशन आने वाला है। अब आंखों की स्कैन से आपके शरीर की हर बीमारी का पता चंद सेंकंड्स में चल जाएगा।
गूगल के CEO सुंदर पिचाई ने इसका ऐलान किया। पिचाई ने कहा है कि आने वाले समय में ऐसी डिवाइसेस डेवलप की जाएंगी जो केवल आंख का स्कैन करके शरीर की हर बीमारी पता लगा लेगी। आंखों की रेटिना स्कैन से हार्टअटैक के रिस्क पहले ही पता चल जाएगा।
क्या है वीडियो में : सोशल मीडिया पर सुंदर पिचाई का एक वीडियो वायरल है, जिसमें वे कह रहे हैं कि सीटी स्कैन, एक्सरे जैसी फैसिलिटीज की जरूरत भी खत्म हो जाएगी। उनका कहना है कि ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संभव हो पाएगा। सुंदर पिचाई एक ट्वीट में कहते हैं- XRay, CTscan और MRI को गुड बाय। दिल की बीमारियों का पता आंख को स्कैन करके लगाया जा सकेगा। डॉक्टरों को अब शरीर के अंदर का क्लियर व्यू मिल सकेगा।
रेटिना ही क्यों? : आंखें विशेष रूप से रेटिना आपके शरीर के स्वास्थ्य को दर्शाने वाली खिड़की है। आंख की पिछली आंतरिक दीवार, या फंडस, रक्त वाहिकाओं से भरी होती है जो शरीर के पूरे स्वास्थ उनकी उपस्थिति का अध्ययन करके, डॉक्टर किसी व्यक्ति के रक्तचाप, उम्र और धूम्रपान की आदतों जैसी महत्वपूर्ण जानकारी का अनुमान लगा सकते हैं, ये सभी आपके दिल के बारे में भविष्यवाणी कर सकते हैं।
साल की शुरुआत में एल्गोरिदम : इस साल की शुरुआत में Google ने एक एल्गोरिदम पेश किया जो किसी व्यक्ति के लिंग, धूम्रपान की स्थिति की पहचान करने और दिल के दौरे के 5 साल के जोखिम की भविष्यवाणी करने में सक्षम है, यह सब रेटिना इमेजरी पर आधारित है। एआई में उन समस्याओं को पकड़ने की क्षमता थी जो इसे ट्रेंड करने वाले लोग नहीं कर सके। इससे डिमेंशिया, मल्टीपल स्केलेरोसिस, पार्किंसंस, अल्जाइमर और यहां तक कि सिजोफ्रेनिया जैसी अन्य बीमारियों का शीघ्र पता लगाने की संभावनाओं के रास्ते खुल गए।
30 हजार रोगियों का डेटा : अपने कार्डियोवैस्कुलर भविष्यवाणी एल्गोरिदम को प्रशिक्षित करने के लिए, Google और वेरिली के वैज्ञानिकों ने लगभग 300,000 रोगियों के मेडिकल डेटासेट का विश्लेषण करने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग किया। इस डेटा में आंखों के स्कैन के साथ-साथ सामान्य चिकित्सा डेटा भी शामिल था। इसके बाद पैटर्न के लिए इस जानकारी को प्राप्त करने के लिए तंत्रिका नेटवर्क का उपयोग किया गया। इससे आंखों के स्कैन में बताए गए संकेतों को उम्र और रक्तचाप जैसे हृदय जोखिम की भविष्यवाणी करने के लिए आवश्यक मेट्रिक्स के साथ जोड़ना सीखा गया।
हार्टअटैक से मौतों के आंकड़े : पिछले 2 दशक के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में बीमारियों से होने वाली मौतों में 16 फीसदी हिस्सेदारी हृदय रोगों की है। पिछले 20 सालों में इस्केमिक हार्ट डिसीज से होने वाली मौतों में 20 लाख से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। 2019 तक ये आंकड़ा 90 लाख पहुंच गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अनुसार पिछले 20 सालों में दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें दिल की बीमारी से हुईं। WHO ने बुधवार को हेल्थ रिपोर्ट जारी की। इसमें साल 2000 से लेकर 2019 तक का डेथ रिकॉर्ड शामिल किया गया।
भारत में क्या है स्थिति : भारत की बात की जाए तो देश में पिछले 10 सालों में हार्टअटैक के मामले 75 प्रतिशत तक बढ़े हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि भारत में हार्टअटैक से मरने वालों में 10 में से 4 की उम्र 50 साल से कम है। अमेरिका के एक रिसर्च जनरल में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार 2015 तक भारत में 6.2 करोड़ लोग दिल की बीमारी से पीड़ित थे।
इसमें 2.3 करोड़ लोग ऐसे थे जिनकी उम्र 40 साल से कम है। साइंस जर्नल लैंसेट की एक रिपोर्ट के अनुसार 1990 से 2016 के जुटाए आंकड़ों में दावा किया गया था कि कुल मौतों में से 15.2 का कारण दिल से जुड़ी बीमारियां थीं।