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Last Modified: गुरुवार, 22 जून 2023 (17:56 IST)

हार्ट अटैक से बचने के लिए आजमाएं योग का ये नुस्खा

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कोविड के बाद हार्ट अटैक धीरे धीरे अब आम समस्या होती जा रही है। अब किसी को भी कभी भी हार्ट अटैक आ सकता है, इसकी कोई गारंटी नहीं। लोग न तो अपना खानपान बदलना चाहते हैं और न ही वह यह जानने का प्रयास करते हैं कि हार्ट अटैक आता क्यों है। कारण को जानने से ही उसके निदान के बारे में सोचा जा सकता है। यहां हार्ट अटैक से बचने के लिए आजमाएं योग का ये नुस्खा।
 
हार्ट अटैक का सामान्य कारण-
  1. हार्ट अटैक का कारण खून की नलिकाओं में या धमनियों में खून की गति का रुक जाना है। 
  2. दूसरा खून में किसी कारणवश ब्लॉकेज यानी धक्के जमना है। इससे रक्त प्रवाह बंद होकर हार्ट पर ब्लड का प्रेशर आता है और हृदय गति एकदम से रुक जाती है या धीरे-धीरे रुकने लगती है।
  3. यह धक्के एक दिन में नहीं जमने लगते हैं। शरीर में धीरे-धीरे गंदगी जमा होने लगती है। यह गंदगी जब धमनियों तक पहुंच जाती है तब यह प्रक्रिया होती है।
  4. गंदगी से धमनियों में बैड कोलेस्ट्रॉल जमने से खून में थक्के जमने लगते हैं तो हार्ट अटैक का कारण बनते हैं।
 
क्या है उपाय- सबसे पहले तो बाहर का तला हुआ खाना, फास्ट फूड, जंक फूड, बेसन, मैदा और चावल बंद कर दें। शराब, सिगरेट और मांस मटन भी बंद कर दें।
 
आजमाएं योग का ये नुस्खा:-
  1. हाथों की मुठ्ठी बंद करें और फिर खोलें। ऐसा सुबह कम से कम 100 बार करें।
  2. कंथों को क्लाक क्लॉक और एंटी क्लॉक वाइज कम से कम 25 से 30 बार घुमाएं।
  3. हंसते वक्त पूरा शरीर हिलाते हुए हंसे और खुल कर हंसे।
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आप चाहें तो किस डॉक्टर की सलाह से योग के इन प्राणायाम-आसनों को भी आजमा सकते हैं-
 
अनुलोम-विलोम : कमर व गर्दन सीधी रखकर हवादार कमरे में बैठें। एक नथूने से धीरे-धीरे लंबी व गहरी श्वास फेफड़ों में भरे और धीरे-धीरे दूसरे नथूने से लेने के दोगुने समय में बाहर निकालें। फिर उसी नथूने से श्वास लेकर पहले वाले नथूने से धीरे-धीरे इसी प्रकार निकालें। इस प्रकार 1:2 के अनुपात में 10 से 15 बार श्वास-प्रश्वास करें।
 
भस्त्रिका प्राणायाम : दोनों नथूनों से जल्दी-जल्दी श्वास-प्रश्वास 10 बार करके धीरे से लंबी श्वास भरके यथाशक्ति भीतर रोकें और धीरे-धीरे बाहर निकालें। तीन बार इसे दोहराएँ।
 
मार्जरासन : यह हृदय-फेफड़ों की माँसपेशियों को लोचदार बनाता है। चौपाए की तरह घुटनों एवं हाथों के बल होकर गर्दन-कमर ऊपर-नीचे 10 बार करें।
 
शशकासन : वज्रासन में बैठकर सामने झुकें। हाथों को लंबा रखें। माथा हो सके तो जमीन पर रखें। 10 से 15 बार श्वास-प्रश्वास लेने तक इसी स्थिति में रहने का प्रयास करें।
 
वक्रासन : यह चयापचप को सामान्य रखने में मदद करता है। पैर जमीन पर लंबे कर, एक पैर मोड़कर दूसरे पैर के घुटने के पास जमाकर वही हाथ पीछे रखें। दूसरा हाथ घुटने के ऊपर से होते हुए लंबे पैर का घुटना पकड़कर कमर को पीछे वाले हाथ की तरफ घुमाएँ और 10-15 श्वास-प्रश्वास करें। ऐसा ही दूसरी तरफ से करें।
 
धनुरासन : पेट के बल लेट जाएँ और घुटनों से पैर मोड़कर टखनों को दोनों हाथों से मजबूती से पकड़े और धीरे-धीरे शरीर को ऊपर उठाएँ। तने हुए शरीर के साथ 10-15 श्वास-प्रश्वास करें और धीरे-धीरे शरीर को पुनः जमीन पर लाएँ।
 
उत्तानपादासन : पीठ के बल लेटकर दोनों हाथों को बगल में रखकर दोनों पैरों को 45 डिग्री का कोण बनाते हुए उठाएँ और 10-15 श्वास-प्रश्वास करें। इसके बाद पैरों को धीरे-धीरे नीचे करें। इसे तीन बार दोहराएँ।
 
शवासन : पीठ के बल, पैरों के बीच डेढ़ फुट का अंतर रखकर लेटे और हाथों को शरीर से आधा फुट दूर, कमर-गर्दन सीधी रखें। आँखें बंद करके शरीर ढीला छोड़ें और गहरी 10 श्वास-प्रश्वास करें। फिर 50 साधारण श्वास गिनकर उठ जाएँ।
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