आर्कटिक क्षेत्र में धरती का तापमान बढ़ा, वैज्ञानिकों के माथे पर शिकन
मॉस्को। आर्कटिक या कम से कम इस क्षेत्र के कई हिस्सों में एक प्रकार से ज्वर की स्थिति है यानी धरती इन दिनों यहां आग उगल रही है जिसने वैज्ञानिकों को इस चिंता में डाल दिया है कि बाकी दुनिया के लिए इसका क्या तात्पर्य है।
रूस के आर्कटिक शहर वर्खोयांस्क में शनिवार को पारा संभवत: 38 डिग्री तक चला गया जो 100.4 डिग्री फारेनहाइट होता है। यह एक ऐसा तापमान है जब व्यक्ति को ज्वर हो जाता है। लेकिन यह तापमान साइबेरिया का है जहां बर्फ जमी रहती है।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने मंगलवार को कहा कि वह तापमान रीडिंग की पुष्टि करने में लगा है जो आर्कटिक वृत्त के उत्तरी क्षेत्र के लिए अप्रत्याशित है।
मिशीगन विश्वविद्यालय के पर्यावरण विद्यालय के डीन जोनाथन ओवरपेक ने एक ई-मेल में कहा,आंकड़े और वास्तविक दृष्टि से आर्कटिक क्षेत्र में आग लगी हुई है।
वायुमंडल में कार्बन डाईऑक्साइड और अन्य ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ते स्तर के चलते हमने जितने का अनुमान लगाया था उससे कहीं ज्यादा तेजी से यह क्षेत्र गर्म हो रहा है। इस बढ़ते तापमान के चलते बर्फ तेजी से पिघलती जा रही है और दावानल की घटनाएं भी बढ़ रही हैं।
उन्होंने लिखा, साइबेरिया में तापमान में रिकॉर्ड वृद्धि बहुत बड़े खतरे की चेतावनी है।साइबेरिया के अधिकतर क्षेत्र में इस साल तापमान ज्यादा है जो इस सीजन में औसत से बहुत ज्यादा है।
गैर लाभकारी जलवायु विज्ञान संस्था बर्कले अर्थ के अनुसार जनवरी और मई के बीच उत्तर मध्य साइबेरिया में औसत तापमान औसत से आठ डिग्री सेल्सियस अधिक है।(भाषा)