BLA का दावा, लड़ाई जारी है, पाकिस्तान के दावे को किया खारिज, भारत से मांगा समर्थन
Train hijack in Pakistan: बलूचिस्तान में क्वेटा के पास ट्रेन हाईजैक करने वाली बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने पाकिस्तानी सेना के दावे पर सफलता पर सवाल उठा दिए हैं। बीएलए ने दावा किया है कि बलूचिस्तान में ऑपरेशन अब भी जारी है। इस झड़प में पाकिस्तानी सेना को काफी नुकसान पहुंचा है। साथ ही बलूचिस्तानी विद्रोहियों ने पाक सेना पर आरोप लगाया है कि वह निहत्थे लोगों को निशाना बना रही है।
BLA ने पाकिस्तान के उन दावों को किया है, जिनमें कहा गया था कि सेना ने हाईजैक की गई ट्रेन के यात्रियों को बचा लिया है और ऑपरेशन खत्म हो गया है। विद्रोही संगठन के मुताबिक जमीनी हकीकत इससे अलग है। लड़ाई अभी भी कई मोर्चों पर जारी है और पाक सेना को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। संगठन ने कहा कि पाकिस्तान अपनी हार को छिपाने के लिए झूठा प्रचार कर रहा है।
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विद्रोहियों का पाक सेना पर आरोप : बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने सेना पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वह निर्दोष और निहत्थे बलूच नागरिकों को निशाना बना रही है। BLA ने यह भी कहा कि उन्होंने पाकिस्तान को युद्धबंदियों की अदला-बदली करने का मौका दिया था, लेकिन पाकिस्तानी सेना ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और संघर्ष जारी रखने का फैसला किया। बीएलए ने कहा कि पाकिस्तान ने अपने सैनिकों को मरने के लिए छोड़ दिया है।
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बीएलए ने कहा है कि उन्होंने कई बंधकों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया है। संगठन ने दावा कि 17 से अधिक पाक सैनिक अभी भी लापता हैं। उन्हें दूसरी सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया है। जबकि, पाकिस्तान ने सभी सैनिकों और नागरिकों को बचाने का दावा किया था। बीएलए ने कहा कि यदि पाकिस्तान के दावे में दम है तो उसे वहां पर पत्रकारों को आने देना चाहिए।
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भारत से मांगा समर्थन : दूसरी ओर, ट्रेन हाईजैक को लेकर लंदन में बलूच मानवाधिकार परिषद के सूचना सचिव खुर्शीद अहमद ने इस घटना पर चिंता जताते हुए कहा कि पाकिस्तान कमजोर हो रहा है, जबकि बलूच स्वतंत्रता सेनानी मजबूत हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं रुकेंगी। अहमद ने कहा कि ऐसी कठोर परिस्थितियों में भी बलूच स्वतंत्रता सेनानियों ने मानवाधिकार मानकों का पालन किया और बुजुर्ग, महिलाओं, बच्चों और परिवारों को क्वेटा वापस जाने दिया। उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान की स्थिति की मांग है कि भारत और पश्चिमी शक्तियों को बलूच के राष्ट्रीय संघर्ष का समर्थन करना चाहिए।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala