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Last Modified: बुधवार, 12 मार्च 2025 (18:13 IST)

कयामत के दिन जैसा खौफनाक मंजर था, जाफर एक्सप्रेस के यात्रियों की आपबीती

हमलावरों ने यात्रियों से कहा था- वे बलूच, महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को छोड़ रहे हैं, लेकिन...

Train hijacked in Pakistan
Jaffar Express hijack in Pakistan: पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में जिस ट्रेन को उग्रवादियों ने मंगलवार को निशाना बनाया, उसके एक यात्री मुश्ताक मोहम्मद ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि हमले के उस खौफनाक मंजर को वह कभी भुला नहीं पाएंगे। मुश्ताक उन यात्रियों में शामिल हैं जिन्हें बलूच उग्रवादियों के हमले के बाद बचाया गया। एक अन्य यात्री ने कहा- कयामत के दिन जैसा खौफनाक मंजर था। 
 
सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में मंगलवार को एक सुरंग में बलूच उग्रवादियों द्वारा एक यात्री ट्रेन पर हमला किए जाने के बाद सुरक्षा बलों ने कम से कम 27 उग्रवादियों को मार गिराया और 155 यात्रियों को बचा लिया गया। सुरक्षा सूत्रों ने बताया कि बचाव अभियान के दौरान 37 यात्री घायल हो गए और उन्हें चिकित्सकीय उपचार मुहैया कराया गया है। ALSO READ: Train Hijack में भारत का हाथ, पाकिस्तान के PM शहबाज शरीफ ने पार की बेशर्मी की हद, तालिबान का क्यों लिया नाम
 
9 डिब्बों में 500 यात्री सवार : अधिकारियों ने बताया कि 9 डिब्बों में लगभग 500 यात्रियों को लेकर जाफर एक्सप्रेस ट्रेन क्वेटा से खैबर पख्तूनख्वा के पेशावर जा रही थी तभी सशस्त्र हमलावरों ने मंगलवार की दोपहर को बोलान क्षेत्र में पीरू कुनरी और गुदलार के पहाड़ी इलाकों के पास एक सुरंग में उसे रोक लिया। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने बाद में इस हमले की जिम्मेदारी ली। ALSO READ: पंजाबियों को लेकर बलूचों में क्यों है गुस्सा? ट्रेन में सवार यात्रियों का ID कार्ड देखा और गोली मार दी
 
हमले की शुरुआत में बड़ा धमाका : कुछ यात्रियों ने दावा किया कि हमलावरों ने उनसे कहा था कि वे बलूच, महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को छोड़ रहे हैं, लेकिन सरकारी अधिकारियों ने दावा किया कि उनमें से 100 से अधिक लोगों को उन्होंने बचाया है। ‘बीबीसी उर्दू’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रेन के डिब्बा संख्या तीन में सवार मुश्ताक ने कहा कि हमले की शुरुआत में एक ‘बड़ा विस्फोट’ हुआ।
 
उसने कहा कि इसके बाद गोलीबारी शुरू हो गई जो एक घंटे तक जारी रही। यह ऐसा मंजर था जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। इसी ट्रेन के डिब्बा संख्या सात में सवार इशाक नूर नाम का यात्री अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ क्वेटा से रावलपिंडी जा रहा था। नूर ने कहा कि विस्फोट इतना जोरदार था कि ट्रेन की खिड़कियां एवं दरवाजे हिल गए और मेरे पास बैठा मेरा एक बच्चा नीचे गिर गया।
 
करीब 50 मिनट चली गोलीबारी : नूर ने कहा कि गोलीबारी करीब 50 मिनट तक चली होगी... इस दौरान हम सांस तक नहीं ले पा रहे थे, हमें नहीं पता था कि क्या होगा। मुश्ताक ने कहा कि गोलीबारी धीरे-धीरे बंद हो गई और हथियारबंद लोग ट्रेन के डिब्बों में घुस आए। उसने कहा कि उन्होंने कुछ लोगों के पहचान पत्र देखने शुरू कर दिए और उनमें से कुछ को अलग कर दिया। तीन उग्रवादी हमारे डिब्बे के दरवाजों पर पहरा दे रहे थे। उन्होंने लोगों से कहा कि वे आम नागरिकों, महिलाओं, बूढ़े और बलूच लोगों से कुछ नहीं कहेंगे।
 
मुश्ताक ने कहा कि हमलावर आपस में बलूची भाषा में बात कर रहे थे और उनका नेता उनसे बार-बार कह रहा था कि वे सुरक्षाकर्मियों पर खास नजर रखें और वे हाथ से निकलने न पाएं। इशाक ने कहा कि मुझे लगता है कि उन्होंने हमारे डिब्बे से कम से कम 11 यात्रियों को नीचे उतारा और कहा कि वे सुरक्षाकर्मी हैं। इस दौरान एक व्यक्ति ने विरोध करने की कोशिश की जिसके बाद उसे प्रताड़ित किया गया और फिर गोलियों की आवाज आई। इसके बाद डिब्बे में मौजूद सभी लोगों ने उनके निर्देशों का पालन किया।
 
मुझे जाने दिया : उन्होंने कहा कि वे मुझे जाने नहीं दे रहे थे, लेकिन जब मैंने उन्हें बताया कि मैं तुर्बत (बलूचिस्तान) का निवासी हूं और मेरे साथ बच्चे एवं महिलाएं हैं तो उन्होंने मुझे भी जाने दिया। एक अन्य यात्री मोहम्मद अशरफ ने कहा कि उग्रवादियों ने बुजुर्गों, नागरिकों, महिलाओं और बच्चों को जाने दिया। उन्होंने कहा कि यात्री बहुत डरे हुए थे, यह कयामत के दिन जैसा खौफनाक मंजर था। अशरफ ने कहा कि मेरे अनुमान के अनुसार, वे (उग्रवादी) अपने साथ करीब 250 लोगों को ले गए थे और हमलावरों की संख्या करीब 1100 थी। (भाषा/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 
 
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