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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शुक्रवार, 5 दिसंबर 2025 (17:16 IST)

Vladimir Putin: व्लादिमीर पुतिन कैसे बने रूस की जासूसी संस्था KGB के जासूस?

केजीबी के जासूस व्लादिमीर पुतिन
Vladimir Putin: सोवियत संघ के जमाने में एक ऐसा दौर था जबकि अमेरिकी जासूसी संस्था और रशियन जासूसी संस्था के एजेंटों में भिड़ंत होती रहती थी। यही कारण है कि दुनिया की सबसे खतरनाक जासूसी संस्‍था KGB (Komitet Gosudarstvennoy Bezopasnosti) के कारनामों पर हॉलीवुड की कई फिल्में बनी है। वर्तमान रशियन राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन KGB के एजेंट से लेकर चीफ तक रहे हैं। चलिए जानते हैं पुतिन कैसे बने रशिया के जासूस। 
 
प्रारंभिक जीवन और गरीबी:-
जन्म: व्लादिमीर पुतिन का जन्म 7 अक्टूबर 1952 को लेनिनग्राद में हुआ था। अब इसे सेंट पीटर्सबर्ग कहा जाता है।
पारिवारिक पृष्ठभूमि: उनका बचपन बेहद गरीबी और कठिनाइयों में गुजरा। उनकी मां एक कारखाने में मजदूरी करती थीं।
पिता: उनके पिता, स्प्रिदोनोविच पुतिन, सोवियत संघ की सेना में भर्ती हुए और द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल हुए। पुतिन के दो भाई थे- अल्बर्ट और विक्टर। विक्टर की मृत्यु विषम परिस्थिति में हो गई थी।  
दादा की भूमिका: एक दिलचस्प तथ्य यह है कि पुतिन के दादाजी, स्प्रिदोन पुतिन, सोवियत संघ के बड़े नेता व्लादिमीर लेनिन और जोसेफ स्टालिन के रसोइये (कुक) थे।
 
KGB में पुतिन का करियर:-
शिक्षा: गरीबी के बावजूद, पुतिन ने शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया और लेनिनग्राद यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़ाई पूरी की।
खुफिया एजेंट: अपनी पढ़ाई के बाद, वह रूस की खुफिया एजेंसी KGB (Komitet Gosudarstvennoy Bezopasnosti) में शामिल हो गए और लगभग 15 वर्ष तक एक खुफिया एजेंट के रूप में काम किया।
करियर को आकार: व्लादिमीर पुतिन के राजनीतिक उदय में उनकी KGB पृष्ठभूमि का अत्यधिक महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यह वह दौर था जिसने उनके व्यक्तित्व, नेतृत्व शैली और दुनिया को देखने के नजरिए को आकार दिया।
ajit doval meets putin
राजनीति में उदय:-
राजनीतिक शुरुआत: सोवियत संघ के पतन के बाद, पुतिन ने KGB छोड़कर राजनीति में कदम रखा।
प्रधानमंत्री: रूसी राष्ट्रपति के करीबी माने जाने वाले बोरिस येल्तसिन ने 1999 में पुतिन को रूस का प्रधानमंत्री नियुक्त किया।
राष्ट्रपति पद पर जीत: इसके बाद, वर्ष 2000 में, पुतिन ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ा और भारी बहुमत से जीत हासिल की, जिसके साथ ही उनका सत्ता पर लंबा और शक्तिशाली कार्यकाल शुरू हो गया। इस प्रकार, एक गरीब परिवार से आने वाले और खुफिया एजेंसी में प्रशिक्षित पुतिन ने बहुत कम समय में खुद को रूस के सर्वोच्च पद पर स्थापित कर लिया।
 
कैसे बनें एजेंट:-
पुतिन बचपन से ही जासूसी फिल्मों और किताबों से प्रेरित थे और उन्होंने किशोरावस्था में ही खुफिया अधिकारी बनने का सपना देखा था। उन्होंने 16 साल की उम्र में ही KGB के दफ्तर जाकर पूछा था कि वह एक एजेंट कैसे बन सकते हैं, जिसके बाद उन्हें लॉ की पढ़ाई करने की सलाह दी गई। उन्होंने लेनिनग्राद स्टेट यूनिवर्सिटी (अब सेंट पीटर्सबर्ग स्टेट यूनिवर्सिटी) से कानून की डिग्री प्राप्त की और 1975 में स्नातक होने के तुरंत बाद KGB में शामिल हो गए। पुतिन का सबसे महत्वपूर्ण कार्यकाल 1985 से 1990 तक चला, जब उन्हें पूर्वी जर्मनी के ड्रेसडेन शहर में तैनात किया गया था। आधिकारिक तौर पर, वह 'फ्रेंडशिप हाउस' नामक सांस्कृतिक केंद्र में काम कर रहे थे। हालांकि, उनकी वास्तविक भूमिका स्थानीय खुफिया जानकारी जुटाना और सोवियत संघ के प्रभाव को बनाए रखना था। पुतिन ने इस दौरान जर्मन भाषा में दक्षता हासिल की और कई खुफिया अभियानों में शामिल रहे, हालांकि उनके कार्यों की सटीक प्रकृति अभी भी गोपनीय है।
 
व्लादिमीर पुतिन: KGB एजेंट के रूप में उनकी गतिविधियां:-
व्लादिमीर पुतिन ने 1975 से 1990 तक सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी KGB में लगभग 15 साल बिताए। उनका यह करियर दो मुख्य भागों में बंटा हुआ है: लेनिनग्राद में शुरुआती कार्य और पूर्वी जर्मनी में उनका विदेशी असाइनमेंट।
 
लेनिनग्राद में शुरुआती खुफिया कार्य (1975–1985):-
उनका शुरुआती काम लेनिनग्राद में हुआ। उन्हें पहले KGB के स्कूल में गहन प्रशिक्षण मिला, जहां उन्हें जासूसी तकनीक, विदेशी भाषाओं और खुफिया विश्लेषण में प्रशिक्षित किया गया। लेनिनग्राद में, उनका कार्यक्षेत्र मुख्य रूप से संभावित देशद्रोहियों, असंतुष्टों और विदेशी आगंतुकों की निगरानी करना था। उन्हें KGB के 'फर्स्ट चीफ डायरेक्टोरेट' (FCD) के लिए काम करने के लिए तैयार किया गया था, जो विदेशी खुफिया अभियानों के लिए जिम्मेदार था।
 
पूर्वी जर्मनी (Dresden) में विदेशी असाइनमेंट (1985–1990):-
पुतिन के KGB करियर का सबसे चर्चित दौर तब आया जब उन्हें पूर्वी जर्मनी के ड्रेसडेन शहर में तैनात किया गया। ड्रेसडेन में उनका आधिकारिक पद 'सोवियत-जर्मन फ्रेंडशिप हाउस' (Soviet-German Friendship House) में एक संपर्क अधिकारी का था। यह खुफिया एजेंटों के लिए एक सामान्य कवर (Cover) था। उनका काम मुख्य रूप से स्थानीय खुफिया जानकारी इकट्ठा करना था। इसमें नाटो देशों (विशेषकर पश्चिम जर्मनी) से जुड़ी सैन्य, राजनीतिक और आर्थिक जानकारी जुटाना शामिल था। उन्होंने पूर्वी जर्मनी की खुफिया एजेंसी, स्टासी (Stasi), के साथ मिलकर काम किया और अधिकारियों के साथ मजबूत नेटवर्क बनाए।
 
इस दौरान उन्होंने जर्मन भाषा पर अपनी पकड़ मजबूत की, जो एक खुफिया अधिकारी के लिए अत्यंत आवश्यक थी। वह आज भी जर्मन भाषा में धाराप्रवाह (Fluent) बात कर सकते हैं। 1989 में बर्लिन की दीवार गिरने के बाद जब ड्रेसडेन में प्रदर्शनकारियों ने KGB मुख्यालय पर धावा बोला, तो पुतिन ने उस स्थिति को संभालने की कोशिश की थी। उन्होंने भीड़ को चेतावनी दी थी कि उनके पास हथियारों का भंडार है, हालांकि बाद में उन्होंने स्वीकार किया कि उनके पास बहुत कम या न के बराबर बल बचा था। 
 
व्लादिमीर पुतिन का रूस के सबसे ताकतवर नेता बनने का सफर गरीबी, चुनौतियों और खुफिया एजेंसी की पृष्ठभूमि से होते हुए क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति का कार्यालय) तक पहुंचा। सोवियत संघ के विघटन के बुरे दौर को अपनी आँखों से देखने के कारण, पुतिन किसी भी कीमत पर रूस को कमजोर नहीं देखना चाहते। पुतिन स्वयं अपनी KGB पृष्ठभूमि को गर्व का विषय मानते हैं, और यह अनुभव उनके राजनीतिक दर्शन की आधारशिला बना हुआ है।