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Written By भाषा

मौत से सात दिन जंग की रोमांचक कहानी...

सिंगापुर
सिंगापुर। हॉलीवुड फिल्म ‘127 ऑवर्स’ की याद ताजा करने वाली एक घटना में सिंगापुर निवासी भारतीय मूल का एक व्यक्ति कंबोडिया में सबसे ऊंचे पर्वत से फिसलकर गिर गया लेकिन सभी कठिनाइयों का सामना करते हुए वह जिंदा बचने में सफल रहा।

कंबोडिया में केंपोंगे स्पेउ स्थित देश के सबसे ऊंची पर्वत चोटी फनोम ऑरल से नीचे उतरते हुए संजय राधाकृष्ण (26) अपना रास्ता भटक गए और फिर 7 दिन तक केवल पानी पर ही जिंदा रहे। इस दौरान उनका सामना एक बड़े अजगर से हुआ और वे गीली जमीन और गुफाओं में सोए।

इस दौरान उनकी पैंट के भी चिथड़े हो गए थे। उनके मोबाइल की बैट्री खत्म हो गई थी जिसके कारण वे जीपीएस नेटवर्क से कट गए थे।

राधाकृष्ण पिछले रविवार वापस अपने गांव पहुंचे। टी-शर्ट, स्पोर्ट्स शूज और अंत:वस्त्र पहने हुए वे गुफाओं में गीली जमीन पर सोए और फिल्म ‘127 ऑवर्स’ की तरह की प्रेरक कहानियों के बारे में सोचने लगे।

इस फिल्म में एक अमेरिकी पर्वतारोही एक खड्ड में फंस जाता है और चट्टानों के बीच फंसे इस व्यक्ति को अपना जीवन बचाने के लिए अपना एक हाथ काटना पड़ता है।

चिल्लाना बेकार था, इस तरह लौटे राधाकृष्ण...


'स्ट्रेट टाइम्स' ने राधाकृष्ण के हवाले से कहा कि घबराने, रोने या चिल्लाने का कोई मतलब नहीं था, क्योंकि वहां मेरी मदद के लिए कोई था ही नहीं।

राधाकृष्ण ने कहा कि कुछ देर बाद मुझे अहसास हुआ कि सुनसान जगह होने की वजह से मदद इतनी जल्दी नहीं आने वाली। राधाकृष्ण ने इलाके के झरने का मार्ग पकड़ा और पश्चिम की ओर बढ़ने लगे।

वे कभी तैरकर, कभी चट्टानों के बीच कूदकर और कभी बेलों और शाखाओं से लटकते हुए आगे बढ़े। रास्ते में उन्हें 60 बार जोंकों ने काटा और एक पेड़ के तने से चोट लगने पर वे एक बार अचेत भी हो गए थे।

अचानक ही बीते रविवार को उन्हें एक गांव दिखा। उस दिन उनका जन्मदिन भी था। गांव में उन्हें एक मोटरसाइकल सवार मिला जिसने उन्हें आराम करने के लिए एक खटोला और खाने के लिए कच्चा केला दिया, जो उस सप्ताह का उनका पहला भोजन था।

मोटरसाइकल सवार उन्हें गांव लेकर आया और फिर केंपोंग पुलिस चौकी लेकर गया। वहां राधाकृष्ण ने अपने मोबाइल की बैटरी चार्ज की। फोन पर उन्हें सिंगापुर में चिंतित मित्रों और संबंधियों के 200 फेसबुक संदेश और 3,000 व्हाट्सऐप संदेश मिले।

40 से भी ज्यादा पर्वतों की चढ़ाई कर चुके राधाकृष्ण ने कहा कि मेरे लिए यह बहुत बड़ी बात नहीं थी। यह एक अच्छा अनुभव रहा, मैंने बहुत कुछ सीखा।

समाचार-पत्र की खबर के अनुसार यह प्रशिक्षु अध्यापक अगले माह तंजानिया के किलीमंजारो पर्वत की चढ़ाई करेगा। (भाषा)