गुरुवार, 19 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. अपना इंदौर
  3. रोचक तथ्य
  4. Political discussion on tea used to happen 80 years ago in Indore

चाय पे चर्चा, इंदौर में 80 साल पहले होती थी चाय पर राजनीतिक चर्चा

चाय पे चर्चा, इंदौर में 80 साल पहले होती थी चाय पर राजनीतिक चर्चा - Political discussion on tea used to happen 80 years ago in Indore
चाय पर चर्चा पर चर्चा एक आम मुहावरा प्रचलित है। आज के दौर में चाय भारतीय स्वागत परंपरा का एक हिस्सा हो गई है। नित्य नए स्वरूप में खुलती चाय की दुकानें अपने बाजार में प्रसिद्ध हो रही हैं। भारत में चाय की खेती और उसकी संभावना को तलाशने के लिए 1834 में तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक ने एक कमेटी का गठन किया था। इसी के परिणामस्वरूप 1835 में असम में चाय की खेती आरंभ की गई। चीनी और बौद्ध भिक्षुओं के साहित्य में भी चाय का उल्लेख मिलता है।
 
जब चाय धीरे-धीरे देश में अपने पहचान कायम कर रही थी, उस दौर में भारत में अंग्रेजी गुलामी के विरुद्ध चोरी-छिपे क्रंतिकारी चर्चा करते थे। 40 के दशक में अंग्रेजों द्वारा आरंभ किए इंडियन कॉफी हाउस आजादी के बाद बंद कर दिए गए थे। फिर 1957 में सहकारिता के आधार पर देशभर में ये कॉफी दुकानें संचालित हो रही हैं, जहां बौद्धिक और राजनीतिक चर्चा के केंद्र बन गए।
 
इंदौर में भी स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान शहर के मध्य कुछ चाय की दुकानें राजनीतिक नेताओं की चर्चा और मिलने-जुलने के स्थान हुआ करती थीं। नगर के नेता आजादी के बाद भी इन चाय की दुकानों पर बैठकर नगर की राजनीति की दिशा तय करते थे। बजाजखाना चौक, नरसिंह बाजार एवं राजबाड़ा क्षेत्र की चाय की दुकानें नेताओं के बैठक के लिए प्रसिद्ध थीं।
 
बजाजखाना चौक में करीब 1940 के दशक में स्थापित इंडिया टी हाउस की स्थापना हेमराज श्रीवास्तव ने की थी। हेमराजजी भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। इस चाय की होटल पर देश की कई प्रसिद्ध राजनीतिक हस्तियां चाय पीने आ चुकी हैं। इस होटल पर नगर के कई नेताओं और युवाओं का जमावड़ा रहता था। आजादी के आंदोलन के दौर में बजाजखाना और सराफा स्वतंत्रता आंदोलन के केंद्रबिंदु थे।
 
इस तरह नरसिंह बाजार चौराहे पर मामा साहब के कुएं के समीप 'इंडिया होटल' जिसे रामनाथजी श्रीवास्तव ने स्थापित किया था, वह भी अपने दौर में चाय के लिए नगर का एक जाना-पहचाना नाम थी। इसी क्रम में जवाहर मार्ग पर बॉम्बे बाजार चौराहा पर चेतना टी हाउस भी एक फेमस दुकान थी।
 
1947-48 के करीब जिंसी चौराहे पर गिरी परिवार द्वारा आरंभ की गई ओंकार विजय होटल भी चाय के लिए पहचानी जाती थी। इस होटल पर भी राजनेताओं का जमावड़ा लगा रहता था।
 
लगभग 1935 के आसपास राजवाड़ा क्षेत्र में कालिदास पटेल द्वारा आरंभ की कोहिनूर होटल का नाम आज भी कई लोगों को याद होगा। इंदौर बंद हो या नगर में अशांति हो, परंतु राजवाड़ा क्षेत्र की दुकानें रात-दिन खुली रहा करती थीं। जाहिर है राजवाड़ा क्षेत्र के आसपास उस वक्त राजनीतिक दलों के कार्यालय थे। इस कारण राजनेता चाय पर चर्चा के लिए राजवाड़ा क्षेत्र में बैठक किया करते थे। इसलिए ये चाय की दुकानें अपने दौर की एक पहचान थीं।
 
इस तरह नगर के छावनी, स्टेशन और अन्य क्षेत्रों में चाय की दुकानें आजादी के दीवानों के लिए चर्चा, मंथन और भविष्य की रीति-नीति निर्धारण के केंद्र हुआ करती थीं। समय बदला और नगर के कई चाय के आउटलेट देश के साथ विदेश में खोले जा रहे हैं, परंतु अब ये कोई आंदोलन के ठिये नहीं बल्कि युवाओं के मनोरंजन के केंद्र बन गए हैं।
ये भी पढ़ें
PM मोदी ने दिए नागरिकों के सपनों को पंख, अमित शाह ने कहा- मोदी पर हर वर्ग को विश्वास