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Last Modified: शनिवार, 4 जून 2022 (16:43 IST)

गूगल ने डूडल बनाकर किया सत्येंद्र नाथ बोस को सम्मानित, जानिए क्या है वजह

गूगल ने डूडल बनाकर किया सत्येंद्र नाथ बोस को सम्मानित, जानिए क्या है वजह why google honors Satyendranath Bose with a special doodle - why google honors Satyendranath Bose with a special doodle
गूगल ने 4 जून को प्रसिद्द भारतीय गणितज्ञ और भौतिक विज्ञानी सत्येंद्र नाथ बोस को गणित और विज्ञान के क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए एक विशेष डूडल आकृति के साथ श्रद्धांजलि दी। इसी दिन वर्ष 1924 में,सत्येंद्र नाथ बोस ने अपने क्वांटम फार्मूलेशन जर्मनी के वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन को भेजे। आइंस्टीन ने सत्येंद्र के फार्मूलेशन को क्वांटम यांत्रिकी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खोज के रूप में मान्यता दी। 
 
सत्येंद्र नाथ बोस का जन्म 1894 को कोलकाता में हुआ। कम उम्र में ही उनमें समस्याओं को सुलझाने का गुण विकसित होने लगा था। कोलकाता के हिंदू स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद बोस प्रेसिडेंसी कॉलेज चले गए। यहां उन्होंने पहला ग्रेड प्राप्त किया, जबकि भविष्य के खगोलशास्त्री मेघनाद साहा दूसरे स्थान पर आए। बाल्यकाल से ही उन्हें भौतिकी, गणित, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, खनिज विज्ञान, दर्शन, कला, साहित्य और संगीत आदि विषयों में रूचि थी।  
 
प्रेसिडेंसी कॉलेज में बोस ने जगदीश चंद्र बसु, प्रफुल्ल चंद्र रे और नमन शर्मा जैसे शिक्षकों से मुलाकात की, जिनसे प्रेरणा पाकर उन्होंने वर्ष 1916 से 1921 तक कलकत्ता विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। 
 
वर्ष 1919 में बोस और मेघनाद सहा ने मिलकर आइंस्टीन के 'विशेष और सामान्य सापेक्षता' के मूल कार्यों के फ्रेंच और जर्मन अनुवादों पर आधारित एक पुस्तक का सह-लेखन किया, जिसके चलते वे उसी वर्ष ढाका के भौतिकी विज्ञान के नव-स्थापित विश्वविद्यालय के रीडर बन गए। 
 
1924 में बोस ने शास्त्रीय भौतिकी के सन्दर्भ में क्वांटम फार्मूलेशन पर एक विशेष पेपर लिखा, जिसे उन्होंने वर्ष 1924 में सुप्रसिद्ध जर्मन वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन को भेजा। आइंस्टीन ने इसे क्वांटम भौतिकी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खोज के रूप में मान्यता दी। 
 
यूके के प्रसिद्द भौतिक वैज्ञानिक पॉल डिराक ने सत्येंद्र नाथ बोस के आंकड़ों का पालन करने वाले कणों के वर्ग का नाम 'बोसोन' रख बोस को सम्मान दिया। 
 
1937 में, रविंद्रनाथ  टैगोर ने विज्ञान पर लिखी अपनी एकमात्र पुस्तक 'विश्व-परिचय' बोस को समर्पित की। 1954 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण की उपाधि से सम्मानित किया गया।  
 
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