गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नन्ही दुनिया
  3. प्रेरक व्यक्तित्व
  4. on 1 june tilak said his historical dialogue freedom is my birth right
Written By

आज के दिन ही हुंकारा गया था "स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है"

आज के दिन ही हुंकारा गया था
- अथर्व पंवार
 
लोकमान्य बालगंगाधर तिलक एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने भारतियों में स्वतंत्रता प्राप्ति की ज्योत पुनः जलाने का कार्य किया था। 1857 की क्रांति के बाद से ही जब भारतियों में एकता और आत्मविश्वास का अभाव था तब तिलक ने ही देशवासियों को जोड़ा। उन्होंने लोगों को एकत्रित करने के लिए गणेशोत्सव आरम्भ किए। इन उत्सवों के माध्यम से उन्होंने स्वतंत्रता का विचार जन-जन तक पहुंचाया।
 
1 जून 1916 को अहमदनगर में लोकमान्य तिलक ने एक ऐसा नारा दिया जो इतिहास में अंकित स्वाधीनता प्राप्ति की गुंजों में से एक था। वह था , "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, मैं इसे लेकर रहूंगा"

2007 में भारत के प्रधानमंत्री के एक वक्तव्य में कहा गया है कि उस निराशा और पराजय के वातावरण में तिलक खड़े हुए और उन्होंने भारतियों को समझाया कि यह तथाकथित 'अच्छी सरकार' हमारे 'स्वराज्य' का विकल्प नहीं हो सकती। भारतीय स्वयं पर शासन के अपने प्राकृतिक अधिकार को प्राप्त करना चाहते थे। इसीलिए तिलक ने कहा कि स्वराज्य उनका जन्मसिद्ध अधिकार है। लोगों को अपनी स्वतंत्रता खरीदनी नहीं पड़ती, हर व्यक्ति स्वतंत्र रहने के अधिकार के साथ जन्म लेता है। इसका विभिन्न राज्यों के, विभिन्न भाषाओँ के और विभिन्न मत को मानने वालों पर गहरा प्रभाव पड़ा था।
ये भी पढ़ें
इन 5 चीजों के बाद न करें दूध का सेवन