lokmata ahilyabai holkar: अहिल्या बाई होलकर मराठा साम्राज्य की एक महान और दूरदर्शी रानी थीं, जिन्होंने 18वीं शताब्दी में मालवा क्षेत्र पर शासन किया। उन्हें अक्सर 'दार्शनिक रानी', 'संत शासिका' और 'लोकमाता' के नाम से जाना जाता है। उनका जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के चौंडी गांव में हुआ था।
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वेबदुनिया के प्रिय पाठकों के लिए यहां अहिल्या बाई होलकर के बारे में 10 रोचक बातें दी जा रही हैं:
1. साधारण पृष्ठभूमि से असाधारण शासिका: अहिल्याबाई का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। तत्कालीन समाज में लड़कियों को शिक्षित करने का चलन नहीं था, लेकिन उनके पिता मनकोजी शिंदे ने उन्हें पढ़ाया, जिससे उनकी बुद्धिमत्ता और क्षमताएं विकसित हुईं।
2. मल्हारराव होलकर की दूरदर्शिता: मल्हारराव होलकर, मराठा साम्राज्य के एक प्रसिद्ध सेनापति, ने एक यात्रा के दौरान अहिल्याबाई की बुद्धिमत्ता और चरित्र को पहचान लिया था। वे उनसे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपने बेटे खंडेराव होलकर के लिए अहिल्याबाई को बहू के रूप में चुना।
3. मल्हारराव होकर ने अहिल्या को माना एक सक्षम उत्तराधिकारी: 1754 में जब उनके पति खंडेराव युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए, तो अहिल्या बाई सती होना चाहती थीं। लेकिन उनके ससुर मल्हारराव ने उन्हें रोक दिया और उन्हें राज्य के मामलों में प्रशिक्षित करना शुरू किया, क्योंकि उन्होंने अहिल्या बाई में एक सक्षम उत्तराधिकारी की क्षमता देखी थी।
4. लगातार त्रासदियों के बाद भी राज्य की बागडोर संभाली: मल्हारराव के निधन के बाद, उनके इकलौते पुत्र मालेराव होलकर भी कुछ ही महीनों में चल बसे। इन लगातार व्यक्तिगत त्रासदियों के बावजूद, अहिल्याबाई ने धैर्य और दृढ़ता से राज्य की बागडोर संभाली और अपने कार्य पर अडिग रही।
6. पूरे भारत में मंदिरों का जीर्णोद्धार और निर्माण: उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक पूरे भारत में अनगिनत मंदिरों, घाटों, धर्मशालाओं और कुओं का निर्माण और जीर्णोद्धार करवाना माना जाता है। उन्होंने काशी विश्वनाथ वाराणसी, सोमनाथ गुजरात, बद्रीनाथ, केदारनाथ, रामेश्वरम, गया, अयोध्या, द्वारका और पुरी जैसे प्रमुख तीर्थस्थलों पर व्यापक कार्य करवाए।
7. अद्वितीय न्याय प्रणाली: अहिल्या बाई अपनी निष्पक्ष और त्वरित न्याय प्रणाली के लिए प्रसिद्ध थीं। वे स्वयं अदालती कार्यवाही की देखरेख करती थीं और बिना किसी भेदभाव के न्याय प्रदान करती थीं। उनकी न्यायप्रियता के किस्से आज भी प्रचलित हैं।
8. महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कार्य: अहिल्या बाई की विचारधारा बहुत प्रगतिशील थी, उन्होंने विधवाओं को अपने पति की संपत्ति विरासत में लेने का अधिकार दिया, जो उस समय के समाज के लिए एक क्रांतिकारी कदम था। उन्होंने महिलाओं को भी युद्ध कौशल में पारंगत किया था।
9. सादगीपूर्ण जीवन: एक शासिका होने के बावजूद, वे अत्यंत सरल और सादगीपूर्ण जीवन जीती थीं। वे अपनी प्रजा से सीधे संवाद करती थीं और उनकी समस्याओं को व्यक्तिगत रूप से सुनती थीं। उन्हें अपनी प्रजा के प्रति अत्यधिक प्रेम और करुणा थी। उनका प्रजा से सीधा जुड़ाव था।
10. इंदौर को बनाया संस्कृति का केंद्र: अहिल्या बाई के शासनकाल में इंदौर (जो उनकी राजधानी थी) व्यापार, कला और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया। उन्होंने कलाकारों, कवियों और विद्वानों को संरक्षण दिया। अहिल्या बाई होलकर का जीवन यह सिखाता है कि ईमानदारी, धर्मनिष्ठा, न्याय और निस्वार्थ सेवा से एक शासक अपनी प्रजा के दिलों पर कैसे राज कर सकता है।
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