जब एक चोर चोरी कर ले गया रानी अहिल्याबाई होल्कर का सोने का झूला
Maharani Ahilyabai Holkar: महारानी अहिल्याबाई होलकर का जन्म 31 मई, 1725 को महाराष्ट्र के चैंडी गांव में हुआ था। मध्यप्रदेश सरकार इस बार उनका 300वां जयंती वर्ष मना रही है। वर्ष 1733 में अहिल्याबाई का विवाह खंडेराव से हो गया। उस वक्त अहिल्याबाई की उम्र सिर्फ 8 वर्ष थी। खंडेराव अहिल्याबाई से 2 साल बड़े थे। शादी के बाद अहिल्याबाई महेश्वर आ गई। सन 1745 में उन्हें बेटा हुआ मालेराव होलकर और 1748 में उन्हें बेटी हुई मुक्ताबाई। सन 1754 में अहिल्याबाई के जीवन में अंधेरा छा गया। एक युद्ध के दौरान पति खंडेराव वीरगति को प्राप्त हो गए। इसके बाद उन्हें राजपाट संभालना पड़ा। अहिल्याबाई महान शिव भक्त थीं। उनके जीवन से जुड़े कई रोचक किस्से हैं। उन्हीं में से एक है एक चोर का किस्सा।
देवी अहिल्याबाई के अनेक चमत्कारी किस्सों में एक किस्सा उनके सोने के झूले का है। महेश्वर स्थित राजबाड़ा (किले) में मां अहिल्याबाई का सोने का झूला बताया जाता है। बरसों पहले कुछ चोरों ने उसे चुराने का दुस्साहस किया था। चोर आसानी से उसे चुराकर महेश्वर से पूर्व में लगभग 25-30 किमी धरगांव के आसपास तक ले भी गए लेकिन धरगांव पार करने के पहले ही अचानक से उनकी आंखों की ज्योति चली गई और वे पकड़ा गए।
दरअसल, यह झुला भगवान श्रीकृष्ण का था जिसमें बालगोपाल को झुलाया जाता था। आज भी अहिल्याबाई का निजी पूजा घर यह महेश्वर के राजवाड़ा परिसर के बगल में स्थित है, जहां अहिल्याबाई भगवान की पूजा करती थीं। यहीं पर वह सोना का झुला रखा हुआ था। यह भगवान कृष्ण के लिए बनाया गया था और यह अहिल्याबाई के पूजा घर की एक महत्वपूर्ण वस्तु रचना भी थी। झूला आज भी महेश्वर के राजवाड़ा परिसर के बगल में मौजूद पूजा घर में है, जहाँ लोग उसे देखने आते हैं.
अनिल शर्मा के लेख से साभार