इंदौर, इंदौर देश का सबसे स्वच्छ शहर है। सफाई में पांच बार नंबर वन आ चुका है। अब प्रशासन स्मार्ट सिटी की कवायद में लगा है। लेकिन प्री-मानसून की पहली बारिश ने इंदौर को स्मार्ट बनाने की सारी पोल पट्टियां सामने ला दी। इस जून में हुई करीब 1.8 इंच पहली बारिश में शहर के हासिल किए अब तक के सारे तमगे धूलकर बह गए। नगर निगम और प्रशासन की सारी व्यवस्थाएं कीचड़, गाद, गदंगी, ट्रैफिक जाम और बत्ती गुल होने के रूप में उफनकर सरेआम हो गई। सारे दावे धरे के धरे रह गए।
जिस शहर को प्रशासन अब स्मार्ट सिटी के नाम पर चौतरफा खोद चुका है, उसने एक ही बारिश में अपनी सारी हकीकत उगल दी। यह सब देखकर अब लगता है कि प्रशासन ने राष्ट्रीय स्तर पर साल दर साल पुरस्कार और सम्मान पाकर मंच पर जो दाद बटौरी थी वह महज एक कागजी खानापूर्ति और दिखावा भर थी। पिछले शनिवार को रात करीब 8 बजे शुरू हुई बारिश ने पूरे इंदौर की न सिर्फ सड़कें डूबों दीं, बल्कि इंदौर की साख पर भी कीचड़ पोत दिया।
गाद, कीचड़ से पटीं सड़कें
दरअसल, सिर्फ करीब एक से डेढ घंटे की बारिश में शहर का तकरीबन हर कोना डूबा हुआ नजर आया। सड़कें लबालब हो गईं और चैंबर उफनकर कीचड़ और गाद उगलकर फेंकने लगे। सड़क पर पानी की जगह कचरा, कीचड़ और गाद बह रहे थे। इससे साफ हो गया कि सबसे स्व्च्छ शहर और स्मार्ट शहर का जो ढोल अब तक पीटा जा रहा था, वो कितना झूठ और दिखावा था।
शहर के 35 से ज्यादा इलाके डूबे
आलम यह था कि पहली बारिश में शहर के 34 से ज्यादा इलाके लबालब हो गए। भंवरकुआ, तीन इमली, देवास नाका, राज मोहल्ला, पंढरीनाथ इलाका, राजवाड़ा के आसपास के कुछ इलाकों समेत सरवटे, रेलवे स्टेशन के पास का इलाका, कुलकर्णी भट्टा, आजाद नगर, खजराना से लेकर मालवा मिल, पाटनीपुरा, नेहरू नगर, स्कीम नंबर 78, प्राइम सिटी, लवकुश विहार, पलसीकर कॉलोनी और एमआईजी तक के कई इलाकों में कई जगह जलभराव देखा गया। विजय नगर जैसे पॉश इलाके के कई हिस्सों में पानी रुका रहा। स्थिति यह थी कि शहर के 35 से ज्यादा इलाकों में कहीं न कहीं पानी जमा होने की खबरें सामने आई।
स्मार्ट सिटी की बत्ती हुई गुल
जानकर हैरानी होगी कि जिस शहर को स्मार्ट बनाने की कवायद की जा रही है, बारिश के दौरान उसकी बत्ती ही गुल हो गई। जब तक बारिश होती रही, तब तक कई इलाके अंधेरे में डूबे रहे। कई जगहों पर शॉर्ट सर्किट की घटनाएं हुईं तो कहीं फॉल्ट की समस्याएं सामने आईं। दो घटें के दौरान करीब 2 हजार से ज्यादा बिजली की शिकायतें पश्चिम विद्युत वितरण कपंनी को मिली। शिकायतों के अंबार से समझा जा सकता है कि स्मार्ट सिटी में बिजली को लेकर कितनी अव्यवस्थाएं हैं। हेल्पलाइन नंबर ठप्प रहे, इसलिए कई शिकायतें दर्ज नहीं हो सकीं।
सिग्नल बंद, ट्रैफिक का निकला दम
डेढ घंटे की बारिश में न सिर्फ बत्ती गुल हो गई, बल्कि ट्रैफिक का भी दम निकल गया। बारिश होते ही शहर के सारे सिग्नल लप-लपाकर बंद हो गए। सिग्नल चलने पर भी ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाने वाली इंदौर की जनता सिग्नल बंद होने पर क्या करेगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। बीआरटीएस जैसे शहर के सबसे प्रमुख मार्ग पर ट्रैफिक का कबाडा हो गया। हजारों वाहन आपस में उलझ गए। जाम से लंबी कतारें लग गईं। घंटों तक कई वाहन चालक सड़क पर फंसे रहे। यह स्थिति न सिर्फ एबी रोड या बीआरटीएस पर थी, बल्कि महारानी रोड, एमजी रोड, पश्चिमी रिंग रोड, एमआर 10 आदि सब जगह ट्रैफिक कई घंटों के लिए इसी तरह बदहाल हो गया।
क्या कहते हैं जिम्मेदार?
बारिश में बिजली तो जाती ही है
जलभराव की स्थिति की जानकारी तो नहीं है, हां कुछ निचली बस्तियों और बीआरटीएस पर पानी जमा हुआ था। ये स्टार्म वॉटर लाइन में सफाई नहीं होने और कचरा आने की वजह से हुआ था। वहीं बारिश में बिजली तो जाती ही है, नहीं तो फॉल्ट और शॉर्ट सर्किट का खतरा रहता है। -
मालिनी गौड़, पूर्व महापौर इंदौर
अब दिक्कत नहीं आएगी
प्री- मानसून की तैयारी की गई थी, हालांकि तैयारी में थोड़ी देर हो गई। टैंक, चैंबर आदि समय पर साफ नहीं हो सके, अब हमने तैयारी शुरू करवा दी है। जहां तक सिग्नल बंद होने का सवाल है तो वो इलेक्ट्रिसिटी बंद होने की वजह से हुआ। बारिश के पहले हम सारी व्यवस्थाएं ठीक कर रहे हैं। अब दिक्कत नहीं आएगी। -
शंकर लालवानी, सांसद, इंदौर