मांग में सिंदूर लगाना पत्नी का धार्मिक दायित्व : कुटुंब अदालत
Family court order in the case of Hindu couple : इंदौर के कुटुंब अदालत (Family Court) ने हिंदू समुदाय के एक दंपति के मामले में पारित आदेश में कहा है कि मांग में सिंदूर लगाना एक पत्नी का धार्मिक दायित्व है और इससे यह मालूम पड़ता है कि महिला विवाहित है।
कुटुंब अदालत के प्रधान न्यायाधीश एनपी सिंह ने 37 वर्ष की महिला को उसके पति के पास तुरंत लौटने का आदेश देते हुए यह टिप्पणी की। महिला करीब पांच साल से अपने पति से अलग रह रही थी और उसके पति ने दांपत्य जीवन की बहाली के लिए हिंदू विवाह अधिनियम के तहत इस अदालत में अर्जी दायर की थी।
कुटुंब अदालत ने यह अर्जी स्वीकार करते हुए एक मार्च को पारित आदेश में कहा, जब अदालत में राखी (परिवर्तित नाम) के कथन हुए, तो राखी ने स्वीकार किया कि वह मांग में सिंदूर नहीं लगाए हुए है। सिंदूर एक पत्नी का धार्मिक दायित्व है और उससे यह मालूम पड़ता है कि महिला विवाहित है।
अपनी मर्जी से खुद को पति से अलग किया : अदालत ने कहा कि प्रतिवादी महिला के पूरे कथन के अवलोकन से स्पष्ट है कि उसे उसके पति ने नहीं छोड़ा है, बल्कि उसने अपनी मर्जी से खुद को पति से अलग किया है और वह उससे तलाक चाहती है। कुटुंब अदालत ने कहा, उसने (महिला) पति का परित्याग किया है। वह स्वयं सिंदूर नहीं लगा रही है।
दहेज के लिए शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के आरोप : महिला ने अपने पति की अर्जी के जवाब में अपने जीवनसाथी पर दहेज के लिए शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के आरोप लगाए। हालांकि कुटुंब अदालत ने तथ्यों पर गौर करने के बाद कहा कि महिला ने अपने इन आरोपों को लेकर पुलिस में दर्ज कराई गई कोई शिकायत या पुलिस की कोई रिपोर्ट अदालत के सामने पेश नहीं की है।
अपनी पत्नी के साथ दांपत्य जीवन की बहाली के लिए अदालत की शरण लेने वाले व्यक्ति के वकील शुभम शर्मा ने बताया कि उनके मुवक्किल का प्रतिवादी महिला से वर्ष 2017 में विवाह हुआ था और इस दंपति का पांच साल का बेटा भी है।(भाषा)
Edited By : Chetan Gour