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चैतन्य महाप्रभु जयंती : 10 बातें जो आप नहीं जानते

चैतन्य महाप्रभु जयंती : 10 बातें जो आप नहीं जानते - Chaitanya Mahaprabhu Jayanti 2022
Chaitanya Mahaprabhu
 

1. चैतन्य महाप्रभु या चैतन्य देव (Chaitanya Mahaprabhu) का आविर्भाव फाल्गुन पूर्णिमा, होली के दिन पूर्वबंग के अपूर्व धाम नवद्वीप में हुआ था। उनके पिता सिलहट के रहने वाले थे तथा उनका नाम पं. जगन्नाथ मिश्र और माता का नाम शचीदेवी था।
 
2. पं. जगन्नाथ मिश्र के घर आठ कन्याओं ने जन्म लिया और उनकी मृत्यु होती गईं। उसके बाद एक पुत्र हुआ, जिसका नाम विश्वरूप रखा गया। उन्हें माता-पिता 'निभाई' के नाम से बुलाते थे। 
 
3. चैतन्य महाप्रभु के अन्य नाम विश्वम्भर मिश्र, गौरांभ महाप्रभु, गौरहरि, गौरसुंदर, श्रीकृष्ण चैतन्य भारती, निमाई पंडित आदि भी थे।
 
4. जब विश्वरूप यानी चैतन्य महाप्रभु 10 वर्ष के हो गए तब उनके एक और भाई का जन्म हुआ। विश्वरूप की कुंडली बनाते समय ही ज्योतिषी ने उनके माता-पिता से कह दिया था कि यह एक महापुरुष होगा और आगे चलकर यही बालक चैतन्य महाप्रभु के नाम से जगप्रसिद्ध हुए। 
 
5. चैतन्य महाप्रभु की धर्मपत्नी का नाम श्रीमती लक्ष्मीप्रिया देवी और श्रीमती विष्णुप्रिया देवी था।
 
6. चैतन्य महाप्रभु ने लोक कल्याण की भावना से मात्र चौबीस वर्ष की उम्र में संन्यास धारण करके कई यात्राएं की तथा हरिनाम संकीर्तन का प्रचार करके क्रांति फैला दी। उनके जीवन में कई अलौकिक घटनाएं हुई थी।
 
7. चैतन्य महाप्रभु ने संन्यास के पश्चात दक्षिण भारत यात्राएं की। उस समय दक्षिण भारत में मायावादी अपना प्रचार-प्रसार कर रहे थे और अगर महाप्रभु वैष्णव धर्म का प्रचार न करते तो माना जाता है कि यह भारत वर्ष, वैष्णव धर्म विहीन हो जाता। उस समय जब भारत वर्ष में चारों ओर विदेशी शासकों का भय था और जनता स्वधर्म का परित्याग कर रही थी, तब महाप्रभु ने हरिनाम का जगह-जगह प्रचार करके वैष्णव धर्म की प्रेमस्वरूपा भक्ति फैला दी। 
 
8. जगह-जगह हरिनाम का प्रचार करने के पश्चात चैतन्य महाप्रभु श्रीरंगम्‌ गए तथा वहां गोदानारायण की अद्भुत मूर्ति देखकर भावावेश नृत्य करने लगे। तब उक्त मंदिर के प्रधान अर्चक श्रीवेंकट भट्ट ने उनके इस नृत्य से चमत्कृत होकर भगवान की प्रसादी माला उनके गले में डाल दी और उन्हें चातुर्मास के चार माह में अपने घर में ही निवास की प्रार्थना की।
 
9. बंगाल के वैष्णव धर्म के लोग महाप्रभु को भगवान का अवतार मानते हैं तथा होली के दिन चैतन्य महाप्रभु के जन्मदिन को एक महोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जहां राधा-कृष्ण जी की प्रतिमाओं को रथ में विराजित करके रथयात्रा निकाली जाती है और महिलाएं नृत्य करते हुए आगे चलती है। 
 
10. चैतन्य महाप्रभु का महाप्रयाण उड़ीसा के तीर्थस्थल पुरी में हुआ था। चैतन्य महाप्रभु एक ऐसे संत थे, जिन्होंने भक्ति मार्ग को अपना कर राधा-कृष्ण जी के ध्यान में अपना जीवन व्यतीत किया।  

rk