महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान
- महेश पाण्डे
सोमवती अमावस्या को लेकर हरिद्वार में श्रद्घालुओं का ताँता जुट रहा है। 14 मार्च को मध्यकाल बाद चैत्र संक्रांति का पुण्यकाल प्रारंभ होने पर श्रद्धालु गंगा स्नान कर सायंकालीन आरती में भारी संख्या में जुटे। अमावस्या का सबसे महत्वपूर्ण योग सुबह 5.30 बजे से शुरू होकर 8.30 होने से इस काल में गंगा स्नान से स्नानार्थी अश्वमेघ यज्ञ के बराबर फल प्राप्त करेंगे। बताया जाता है कि महाभारत काल में भीष्म पितामह ने भी महाभारत युद्घ में हुए पापों से मुक्ति हेतु कुंभ काल की सोमवती अमावस्या में स्नान की इच्छा व्यक्त की थी। लेकिन महाभारत काल में सोमवती अमावस्या ही नहीं पड़ी। सोमवती अमावस्या यानि 15 मार्च को साढ़े सात सौ साल के बाद ऐसा योग बन रहा है, जब गंगा स्पर्श मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति संभव है। यह दुर्लभ योग धन, संतान की प्राप्ति और सौभाग्य को साथ लेकर आ रहा है।
उधर शाही स्नान के क्रम को भी इस दूसरे शाही स्नान में पिछले शाही स्नान के क्रम से बदल दिया गया है। इस बार निरंजनी अखाड़ा पहले शाही स्नान करेगा। जूना अखाड़े से निरंजनी अखाड़ा आगे रहेता तो तीनों बैरागी, दो उदासीन व एक निर्मल अखाड़ा, महानिर्वाणी के पीछे रहेंगे। आनंद अखाड़ा निरंजनी के साथ तथा अटल अखाड़ा महानिर्वाणी के साथ रहेंगे। सोमवती अमावस्या के दूसरे शाही स्नान के लिए अखाड़ों का प्रस्थान छावनियों से सुबह 9.30 बजे से ही शुरू हो गया है।कुंभनगरी में गंगा मंदिर में मेहराब लगाने के विरोध के चलते सोमवती अमावस्या पूर्व गंगा आरती में खलल डालने की कोशिश की गई। हालाँकि प्रशासन के बीच बचाव से मामला फिलहाल शांत है। लेकिन स्थिति तनावपूर्ण बनी है। गंगा महासभा ने गंगा के प्राचीन मंदिर में मेहराब लगाने का विरोध कर सायंकालीन आरती को न कराने की घोषणा की थी।