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Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 17 जुलाई 2025 (14:57 IST)

भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र, इसका जप करने से भोले बाबा होंगे प्रसन्न

Panchakshari Mantra power
How to chant Om Namah Shivaya: भगवान शिव का सबसे प्रिय और प्रभावशाली मंत्र पंचाक्षरी मंत्र है। यह मंत्र पांच अक्षरों से बना है और इसे 'ॐ नमः शिवाय' के रूप में जाना जाता है। यह मंत्र न केवल सरल है, बल्कि अत्यंत शक्तिशाली भी है। इस मंत्र का नियमित जप करने से भोले बाबा शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर असीम कृपा बरसाते हैं।ALSO READ: सावन मास के सोमवार को शिवलिंग के रुद्राभिषेक से मिलते हैं ये 5 लाभ

आइए यहां इस लेख के माध्यम से जानते हैं पंचाक्षरी मंत्र क्या है और इस मंत्र जाप से क्या-क्या फायदे मिलते हैं...
 
पंचाक्षरी मंत्र क्या है: पंचाक्षरी मंत्र पांच अक्षरों का मूल मंत्र है: न, म, शि, वा, य। जब इसके आगे 'ॐ' जोड़ दिया जाता है, तो यह षडाक्षरी मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' बन जाता है, जो और भी अधिक शक्तिशाली माना जाता है। ॐ/ ओम् यह ब्रह्मांड की आदि ध्वनि है, जो सभी देवी-देवताओं का प्रतिनिधित्व करती है। यह सार्वभौमिक चेतना का प्रतीक है।
 
• न (नकार): भगवान शिव के नागेंद्र रूप (नागों के राजा) को दर्शाता है, जो उनके गले में सर्प के रूप में विराजमान हैं।
• म (मकार): भगवान शिव के मंदाकिनी रूप (गंगा को धारण करने वाले) को दर्शाता है, जिनकी जटाओं से गंगा निकलती है।
• शि (शिकार): भगवान शिव के शिवत्व रूप (कल्याणकारी और शुभ) को दर्शाता है।
• वा (वकार): भगवान शिव के वासुकी रूप (नागों के एक और राजा) को दर्शाता है, जो शिवजी के गले में लिपटे रहते हैं। कुछ मान्यताओं में यह शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक भी है।
• य (यकार): भगवान शिव के यक्ष रूप (दिव्य आत्माओं के स्वामी) को दर्शाता है, जो मोक्ष प्रदान करते हैं।ALSO READ: क्या है नंदी मुद्रा जिसमें महिलाओं को करनी चाहिए शिवलिंग पूजा
 
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार ॐ नमः शिवाय की उत्पत्ति उस समय हुई, जब भगवान शिव अग्रि स्तंभ के रूप में प्रकट हुए तब उनके 5 मुख थे। जो पांचों तत्व पृथ्वी, जल, आकाश, अग्नि तथा वायु के रूप थे। सर्वप्रथम जिस शब्द की उत्पत्ति हुई वह शब्द था ॐ था, बाकी 5 शब्द नम: शिवाय की उत्पत्ति उनके पांचों मुखों से हुई, जिन्हें सृष्टि का सबसे पहला मंत्र माना जाता है यही महामंत्र है। पंचाक्षरी मंत्र 'नमः शिवाय या ॐ नमः शिवाय' ही शिववाक्य है।
 
पंचाक्षरी मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' जपने के लाभ: इस महामंत्र का नियमित जप करने से साधक को कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं:ALSO READ: कहीं आप शिवलिंग की अधूरी पूजा तो नहीं कर रहे हैं?
 
1. मन की शांति और एकाग्रता: यह मंत्र मन को शांत करने, तनाव और चिंता को दूर करने में अद्भुत रूप से प्रभावी है। इसका जाप करने से विचारों में स्पष्टता आती है और एकाग्रता बढ़ती है।
 
2. पापों का नाश: 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का श्रद्धापूर्वक जप करने से जाने-अनजाने में किए गए सभी पापों का शमन होता है। यह आत्मा को शुद्ध करता है और नकारात्मक कर्मों के प्रभावों को कम करता है।
 
3. सकारात्मक ऊर्जा का संचार: यह मंत्र अपने आस-पास और भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। यह नकारात्मक शक्तियों और विचारों को दूर भगाता है।
 
4. ग्रह दोषों का शमन: ज्योतिष के अनुसार, इस मंत्र का जाप करने से कुंडली में मौजूद विभिन्न ग्रह दोषों, विशेषकर चंद्रमा से संबंधित दोषों, का निवारण होता है।
 
5. रोगों से मुक्ति और आरोग्य: माना जाता है कि इस मंत्र के जाप से शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति को उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
 
6. मनोकामना पूर्ति: सच्चे मन से इस मंत्र का जप करने पर भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं, चाहे वह धन, संतान, विवाह, करियर या किसी भी क्षेत्र से संबंधित हो।
 
पंचाक्षरी मंत्र का जप कैसे करें?
• समय: सुबह स्नान के बाद और शाम की पूजा के दौरान इस मंत्र का जप करना सबसे उत्तम माना जाता है। सावन के महीने में, विशेषकर सोमवार को, इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
• स्थान: शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठकर जप करें। आप अपने घर के पूजा स्थान पर या किसी शिव मंदिर में जप कर सकते हैं।
• माला: रुद्राक्ष की माला से जप करना अत्यंत शुभ होता है।
• जप संख्या: कम से कम 108 बार यानी एक माला जप करें। अपनी सुविधानुसार आप इसे बढ़ा सकते हैं।
• एकाग्रता: मंत्र का जप करते समय भगवान शिव के स्वरूप का ध्यान करें और मन को एकाग्र रखें।
• शुद्ध उच्चारण: मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और शुद्ध होना चाहिए।ALSO READ: शिव पंचाक्षर स्तोत्र | Shiva panchakshar stotra
 
'ॐ नमः शिवाय' मंत्र भगवान शिव का सार है। नम: शिवाय: पंचतत्वमक मंत्र है इसे शिव पंचक्षरी मंत्र कहते हैं। इस पंचक्षरी मंत्र के जप से ही मनुष्य संपूर्ण सिद्धियों को प्राप्त कर सकता है। इसका नियमित और श्रद्धापूर्वक जप करने से आप निश्चित रूप से महादेव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव देख सकते हैं।
 
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