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Last Modified: मंगलवार, 15 जुलाई 2025 (16:21 IST)

कहीं आप शिवलिंग की अधूरी पूजा तो नहीं कर रहे हैं?

यदि शिवलिंग की पूजा कर रहे हैं तो जानिए कि कहां-कहां पर अर्पित करना चाहिए फूल?

shivling vinyas ke rahasya in hindi
Shivling vinyas ke rahasya in hindi: अधिकतर लोग शिवलिंग की पूजा करते वक्त शिवलिंग पर और नागमूर्ति पर फूल अर्पित करके पूजा पूर्ण कर लेते हैं जबकि शिवलिंग की संपूर्ण आकृति में कई देवी और देवताओं का स्थान रहता है। इसलिए शिवलिंग की पूजा करते वक्त ध्यान रखें कि कहां कहां पर फूल अर्पित करके पूजा करें। ऐसे करने से आपकी पूजा संपूर्ण मानी जाएगी। 
 
शिवलिंग विन्यास: शिवलिंग के 3 हिस्से होते हैं। पहला हिस्सा जो नीचे चारों ओर भूमिगत रहता है। मध्य भाग में आठों ओर एक समान पीतल बैठक बनी होती है। अंत में इसका शीर्ष भाग, जो कि अंडाकार होता है जिसकी कि पूजा की जाती है। ये 3 भाग ब्रह्मा (नीचे), विष्णु (मध्य) और शिव (शीर्ष) के प्रतीक हैं। शीर्ष पर जल डाला जाता है, जो नीचे बैठक से बहते हुए बनाए गए एक मार्ग से निकल जाता है। 
 
जब आप शिवलिंग की पूजा करें तो सिर्फ शिवलिंग की ही पूजा न करें। शिवलिंग के आसापस पार्वती माता विराजमान रहती है, जिसे हस्त कमल का नाम दिया है। इसी प्रकार सोमसूत्र यानी जिस नलिका से जल बाहर निकलता है, उसी स्थान पर भगवान शिव की बेटी अशोक सुंदरी विराजमान हैं। जलाधारी के आगे की ओर जो पद चिन्ह दिखाई देते हैं उस स्थान पर कार्तिकेय और गणेश जी का वास है।
 
सबसे ऊपर छत से लटके जल से भरे एक तांबे या पीतल के घड़े से शिवलिंग पर बूंद-बूंद जल टपकता रहता है। यह उसी तरह है जिस तरह की ब्रह्मरंध या कपाल से अमृत टपकता रहता है जो हमारे संपूर्ण शरीर में तृप्त करता है। इसलिए शिवलिंग के हर भाग पर वे फूल अर्पित करें तो उक्त देवी और देवताओं को पसंद है और उन सभी स्थानों की भी पूजा करें।
sawan somvar shivling puja
ऐसे करें शिवलिंग की पूजा:-
  • सबसे पहले शिवलिंग का जलाभिषेक करें।
  • इसके बाद धूप दीप प्रज्वलित करें।
  • इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, चंदन आदि अर्पित करें।
  • फिर नाग देवता पर बेलपत्र, फूल आदि अर्पित करें।
  • फिर गलंतिका पर चंदन का टीका लगाएं।
  • फिर शिवलिंग के नीचे आसपास माता पार्वती की पूजा करें।
  • इसके बाद सोमसूत्र के पास विराजमान अशोक सुंदरी की पूजा करें। 
  • इसके बाद भगवान गणेश एवं कार्तिकेय की पूजा करें।
  • इसके बाद जलाधारी पर भी चंदन, फूल आदि अर्पित करें।
  • शिवलिंग के आगे मध्य में और ठीक पीछे के स्थान पर भी चंदन लगाएं।
  • इसके बाद नैवेद्य अर्पित करें और अंत में नंदी भगवान को चंदन का टीका लगाकर उनकी पूजा करें। 
  • सबसे अंत में आरती करके प्रसाद का वितरण करें।