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Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 24 जून 2025 (17:14 IST)

जानिए ईरान और इजराइल की लड़ाई में दोनों में से किसे हुआ ज्यादा नुकसान

Iran Israel War
iran israel war update: हाल ही में ईरान और इजराइल के बीच छिड़ी भीषण जंग को पूरी दुनिया ने देखा। इस भीषण युद्ध ने पूरे पश्चिम एशिया को हिला कर रख दिया। दो देशों के बीच शक्ति का यह टकराव मिसाइलों और ड्रोन से आगे बढ़कर साइबर हमलों, परमाणु ठिकानों पर हमलों और सैन्य कमांड मुख्यालयों तक पहुंच गया। इस जंग में दोनों पक्षों को नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन यदि आंकड़ों और सामरिक विश्लेषण पर गौर करें, तो ये समझने में मदद मिलेगी कि इस भीषण लड़ाई में किसे ज्यादा नुकसान हुआ है।
 
ईरान को हुए नुकसान का विस्तृत विश्लेषण:
इजरायल ने 13 जून को 'राइजिंग लायन' नामक एक गुप्त ऑपरेशन के तहत ईरान के कई महत्वपूर्ण सैन्य और परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया। इस ऑपरेशन की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम की रीढ़ माने जाने वाले नतांज, इस्फहान और अराक जैसे प्रमुख परमाणु केंद्रों को भारी नुकसान पहुंचा है। इन हमलों के बाद सामने आई रिपोर्ट्स ने ईरान के परमाणु महत्वाकांक्षाओं पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है। इन ठिकानों पर हुए हमलों से न केवल उनके संवेदनशील उपकरण नष्ट हुए हैं, बल्कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम की गति भी काफी धीमी हो गई है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस हमले से ईरान का परमाणु कार्यक्रम कई वर्षों पीछे चला गया है।
 
मानवीय क्षति के मामले में भी ईरान को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस जंग में ईरान के कम से कम ईरान में 657-800 लोग मारे गए, जिनमें 263 नागरिक थे। वहीं 1800 से 3056 लोग घायल हुए, जिनमें ज्यादातर नागरिक थे। इसके अलावा ईरान के तकनीकी विशेषज्ञ और वरिष्ठ रिवोल्यूशनरी गार्ड अधिकारियों के मारे जाने की भी पुष्टि हुई है। इनमें कुछ शीर्ष वैज्ञानिकों के मारे जाने की भी पुष्टि हुई है, जो ईरान के सैन्य और तकनीकी विकास के लिए एक अपूरणीय क्षति है। इन मौतों से ईरान के रक्षा प्रतिष्ठान को गहरा धक्का लगा है और उसके सैन्य नेतृत्व में एक बड़ा शून्य पैदा हुआ है।
 
इसके अतिरिक्त, ईरान के कई सैन्य बेस पूरी तरह से तबाह हो गए, जिससे उसकी सैन्य क्षमता को बड़ा नुकसान हुआ है। कुछ क्षेत्रों में विकिरण रिसाव की भी खबरें सामने आई हैं, जो पर्यावरण और नागरिक आबादी के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करती हैं। ईरान की मिसाइल प्रणाली और कमांड कंट्रोल सेंटर भी काफी हद तक निष्क्रिय हो गए, जिससे भविष्य में किसी भी जवाबी कार्रवाई की उसकी क्षमता कमजोर हो गई है। यह स्थिति ईरान के लिए एक सामरिक चुनौती बन गई है, क्योंकि उसकी रक्षात्मक और आक्रामक दोनों क्षमताएं गंभीर रूप से प्रभावित हुई हैं।
 
इजराइल को हुए नुकसान का लेखा-जोखा:
दूसरी ओर, ईरान ने इजराइल पर 1,000 से अधिक ड्रोन और 450 मिसाइलें दागीं। इजराइल ने अपनी मजबूत एयर डिफेंस प्रणाली जिसमें 'आयरन डोम', 'डेविड्स स्लिंग' और 'एरो सिस्टम' शामिल हैं के दम पर इन ड्रोंस और मिसाइलों को हवा में ही खत्म कर दिया। हालांकि, कुछ मिसाइलें और ड्रोन आवासीय इलाकों में गिरे, जिससे 30 से अधिक लोगों की मौत और 200 से अधिक घायल होने की खबर आई है। यह नागरिक हताहतों का एक दुर्भाग्यपूर्ण पहलू है, लेकिन इसे इजरायल की समग्र सैन्य ताकत पर कोई खास असर नहीं माना जा सकता।
 
महत्वपूर्ण बात यह है कि इजराइल का कोई बड़ा सैन्य ठिकाना नष्ट नहीं हुआ और न ही उसके आधुनिक लड़ाकू विमान या परमाणु संपत्ति को कोई नुकसान पहुंचा। इससे यह स्पष्ट होता है कि इजराइल अपनी सैन्य क्षमताओं को बनाए रखने में सफल रहा, जबकि ईरान को अपनी प्रमुख सैन्य और परमाणु संपत्तियों का भारी नुकसान झेलना पड़ा।
 
संक्षेप में, 10 दिनों की इस लड़ाई में ईरान को इजराइल की तुलना में कहीं अधिक भारी नुकसान उठाना पड़ा है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बड़ा झटका लगा है, उसके कई सैन्य बेस नष्ट हो गए हैं, और उसके शीर्ष वैज्ञानिक और सैनिक मारे गए हैं। वहीं, इजराइल ने अपनी रक्षात्मक क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए न्यूनतम सैन्य क्षति के साथ इस चुनौती का सामना किया। यह संघर्ष पश्चिम एशिया में शक्ति संतुलन पर गहरा प्रभाव डालेगा और आने वाले समय में क्षेत्र की भू-राजनीति को नई दिशा देगा।

 
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