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  4. Indias difficulties in taking over POK have now increased
Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 24 जून 2025 (19:16 IST)

POK को लेने में अब बढ़ गई है भारत की मुश्किलें, सबसे बड़ा रोड़ा हैं ये 2 देश

India Pakistan war
22 अप्रैल 2025 को पाकिस्तान ने भारत के पहलगाम में पर्यटकों पर हमला करवा के करीब 26 पर्यटकों को मार दिया। इसके बाद 7 मई को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के 9 आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया। जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने 8 मई को भारत के सैन्य और नागरिक ठिकानों पर हमला प्रारंभ कर दिया था। इसके जवाब में भारत ने भी 9 मई को ताबड़तोड़ पाकिस्तान पर हमले करना शुरू कर करके पाकिस्तान के 22 सैन्य ठिकानों को नष्ट कर दिया था, लेकिन फिर 10 मई को अचानक से दोनों देशों से सीजफायर की घोषणा कर दी।ALSO READ: POK को लेने में हैं 5 अड़चनें, क्या भारत ये कर पाएगा?
 
भारत के पास यह एक बहुत अच्‍छा मौका था जबकि पाकिस्तान को अच्‍छे से या तो सबक सिखाया जा सकता था या बड़ी कार्रवाई करते हुए पीओके पर कब्जा करने की शुरुआत कर दी जाती। उस वक्त सारी राजनीतिक परिस्थितियां भारत के पक्ष में थी। यदि ऐसा होता तो दुनिया का सारा ध्यान भारत और पाकिस्तान के युद्ध पर होता और तब इजराइल या अमेरिका के लिए शायद ईरान पर हमले की रणनीति में बदलाव हो जाता। 
 
लेकिन सीजफायर के बाद अब परिस्थितियां बदल गई है। पहली तो यह की इसके चलते पीएम नरेंद्र मोदी की छवि को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नुकसान हुआ है। दूसरा यह कि पाकिस्तान को अमेरिका का पूर्ण समर्थन मिल गया है और तीसरा यह कि ईरान और इजराइल युद्ध के बाद भारत के लिए सभी देशों की नीति में परिवर्तन आ गया है। यानी ईरान और इजराइल युद्ध के बाद बदलती राजनीतिक परिस्थिति में भारत के लिए POK को हासिल करना अब दूर की कौड़ी है। बदलती राजनीतिक परिस्थिति में अमेरिका खुलकर पाकिस्तान के साथ है और दूसरी ओर चीन का भी पाकिस्तान को पूरा सपोर्ट है। यानी यदि भविष्य में भारत का पाकिस्तान से कोई युद्ध होता है तो अमेरिका और चीन इस युद्ध का विरोध ही करेंगे और हर तरह से पाकिस्तान को बचाने का प्रयास ही करेंगे।ALSO READ: POK हासिल करने के लिए भारत को करना होंगे 4 कार्य
 
ऑपरेशन सिंदूर से ही पता चल गया था कि भारत के साथ कौनसे देश हैं। पाकिस्तान से युद्ध होता है तो चीन, उत्तर कोरिया, अमेरिका, तुर्किये, बांग्लादेश, अजरबैजान सहित सभी मुस्लिम राष्ट्र भारत के साथ खड़े नहीं हो सकते हैं। ईरान की कोई गारंटी नहीं है। भारत का साथ देने वाला मात्र एक रशिया ही है लेकिन जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है उसने अमेरिका, इजराइल और सऊदी अबर से संबंध बनाने पर ही जोर दिया है जिसके चलते रशिया और भारत के पुराने संबंध में अब स्थिरता आ गई है। भारत को यह समझना होगा कि संकट काल में रशिया ने ही भारत का साथ दिया है। यदि भारत रशिया से दूर जाता है तो वह विश्व में अकेला पड़ जाएगा। इसकी कीमत भारत को चुकाना होगी। भारत यदि रशिया का पक्का दोस्त बना रहता है तो चीन भारत पर कभी भी सीधा हमला करने की हिम्मत नहीं करेगा।
 
भारत के लिए दोस्ती और शत्रुताओं की उलझी हुई दुनिया में कई मुश्किलें और उलझने खड़ी है। मान लो यदि आप इजराइल की ओर हैं तो इजराइल अमेरिका की ओर है और अमेरिका पाकिस्तान की ओर। पाकिस्तान है तुर्की की ओर, और तुर्की है रशिया की ओर, रशिया है ईरान, चीन और उत्तर कोरिया की ओर। ईरान, चीन और उत्तर कोरिया है पाकिस्तान की ओर। इस गोलमाल दुनिया में कुल मिलाकर आप कहां हैं?ALSO READ: क्या POK के लोग भारत के समर्थन में है?
 
भारत को अपने मित्रों की संख्या बढ़ाते हुए उनमें विश्वास की भावना को मजबूत करते हुए रक्षा सहयोग और गठबंधन को सुनिश्चित करना होगा। रूस के साथ ही भारत को पूर्वी देशों के साथ अपने संबंधों को बढ़ाना होगा। जैसे नेपाल, भूटान, बर्मा, श्रीलंका, थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया आदि। इसी के साथ ही भारत को अपनी परंपरागत गुटनिरपेक्षता नीति को व्यावहारिक बनाना होगा। किसी पक्ष का अंध समर्थन न करते हुए भारतहित को सर्वोपरि रखना भी आज की जरूरत बन गया है। भारत की विदेश नीति किसी धर्म विशेष के आधार पर प्रभावित न होकर राष्ट्रीय सुरक्षा, धर्मनिरपेक्षता, शांति की गारंटी, व्यापार और सामाजिक सद्भाव के मुद्दे पर होना जरूरी है।
- अनिरुद्ध जोशी