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Written By WD Feature Desk
Last Modified: शुक्रवार, 20 जून 2025 (13:12 IST)

क्या ईरान इस 15 साल की लड़की के शाप के कारण जल रहा है! जानिए कौन थी ‘वो’ लड़की

atefeh rajabi sahaaleh curse
atefeh rajabi sahaaleh curse: आज जब ईरान गहरे संकट से जूझ रहा है, इजरायल के लगातार हमलों से देश में अफरातफरी का माहौल है, तब सोशल मीडिया पर एक नाम तेज़ी से वायरल हो रहा है – अतेफेह रजाबी (Atefeh Rajabi)। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा नाम अतेफेह रजाबी दरअसल आतेफा साहलेह (Attefa Saaleh) से संबंधित है। लोग कह रहे हैं कि ईरान को इसी मासूम लड़की का शाप लगा है और आज ईरान उसी नाइंसाफी की कीमत चुका रहा है जो उसने इस लड़की के साथ की थी। कहते हैं अतेफेह के साथ हुई नाइंसाफी के बाद ईरान में कभी शांति नहीं रही। आखिर क्या है इस दावे के पीछे की हकीकत और कौन थी ये अतेफेह रजाबी? आइए जानते हैं:

आतेफा साहलेह की दर्दनाक कहानी
यह कहानी है 15 साल की एक लड़की की, जिसे ईरान के कट्टरपंथी सिस्टम ने 'चरित्रहीनता' के आरोप में सरेआम फांसी पर लटका दिया था। अतेफेह रजाबी के घर के नजदीक ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स का एक फौजी रहता था। 51 साल के इस फौजी का नाम अली दराबी था, जिसकी बुरी नजर रजाबी पर रहती थी। इस फौजी ने 15 साल की उस मासूम लड़की का 2 साल तक शारीरिक शोषण किया। जब भी वह इस अत्याचार का विरोध करती उसके परिवार को खत्म करने की धमकी उसे दी जाती। जब रजाबी के दादा ने इस बात की शिकायत पुलिस से की तो उल्टे चरित्रहीनता और नाजायज संबंध बनाने के अपराध में रजाबी को ही गिरफ्तार कर लिया गया। सिर्फ 15 साल की उम्र में इस मासूम बेगुनाह लड़की को जेल भेज दिया गया।

जेल में भी सही यातनाएं
जेल में भी रजाबी का शारीरिक शोषण हुआ। परिवार ने बहुत कोशिशों के बाद रजाबी का मामला कोर्ट पहुंचाया लेकिन उसकी सुनवाई नाजायज संबंधों के लिए की गई।  झूठे आरफ राजबी पर साबित किए गए।

300 कोड़े और सजा ए मौत
मासूम बेगुनाह राजबी को 300 कोड़े  की सजा सुनाई गई। हद तो तब हो गई जब रजाबी ने अपनी बात कहने के लिए अपना हिजाब उठाया तो शरिया कानून के उल्लंघन के मामले में उसे फांसी की सजा सुना दी गई। 15 अगस्त 2004 के दिन ईरान के नेका शहर में सुबह इस भयावह घटना को अंजाम दिया गया। 16 साल की आतेफा साहलेह को भीड़ के सामने घसीटा गया। एक मोबाइल क्रेन को फांसी का फंदा बनाकर उस मासूम लड़की को लटका दिया गया।

न्याय के नाम पर नाइंसाफी
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘Execution of a Teenage Girl’ के अनुसार, इस पूरे मामले में न्याय के नाम पर आतीफा के साथ घोर नाइंसाफी हुई। डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है कि आतीफा के केस में जज ने लड़की के प्रति अपनी निजी नाराजगी दिखाई थी। यहां तक कि उसे फांसी देने के लिए न्यायिक दस्तावेजों में फेरबदल कर आतेफा की उम्र 16 साल से बढ़ाकर 22 साल दर्ज कर दी गई थी क्योंकि ईरानी कानून के तहत 18 साल से कम उम्र वालों को फांसी नहीं दी जा सकती। एक मासूम की जान लेने के लिए सारे नियमों को ताक पर रख दिया गया था। मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन था। यह घटना ईरान के कठोर न्यायिक और नैतिक कानूनों की एक भयावह मिसाल बन गई। आतेफा की कहानी आज भी लोगों की आंखों में आंसू ला देती है।

क्या वाकई ईरान पर रजाबी का शाप है?
आज जब ईरान मुश्किलों से घिरा है, तो सोशल मीडिया पर लोग आतेफा साहलेह की कहानी को याद कर रहे हैं। कई यूजर्स का मानना है कि ईरान पर आया यह संकट कहीं न कहीं आतेफा जैसी मासूमों के साथ हुई नाइंसाफी का परिणाम है। उनका कहना है कि ईरान का कट्टरपंथी सिस्टम अपनी ही करनी का फल भुगत रहा है। "ईरान को उसी का शाप लगा" और "आज ईरान आतेफा की नाइंसाफी की कीमत चुका रहा है" जैसे वाक्य सोशल मीडिया पर तेज़ी से फैल रहे हैं।



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