- लाइफ स्टाइल
» - साहित्य
» - काव्य-संसार
हम जानते हैं हँसना भी
विवेकरंजन श्रीवास्तव आपाधापी में जीवन की,दुर्गम राहों पर मंजिल कीमुश्किल हर आसान बनाकरहम जानते हैं हँसना भी,बालों की रूखी उलझन कीयादें कैसी? ये बचपन कीहर गम अपने संग भुलाकरहम जानते हैं हँसना भी,अनगढ़ भाषा है चितवन कीचेहरे पर है छवि, बस मन कीहर अभाव को छना बताकरहम जानते हैं हँसना भी,चिंता चिता है कठिन समय कीबोझिल बातें जीवन दर्शन कीढूँढ खुशी के पल बतियाकरहम जानते हैं हँसना भी।