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फूलों से घिरी हुई
विवेकरंजन श्रीवास्तव एक युग की यादजीवंत बनी हुई,एक ग़ज़लफ्रेम में जड़ी हुईएक कलाकृतिकैनवास पर कसी हुई एक अमानतसहेज कर रखी हुईएक इबारतरंगों से रंगी हुईएक स्मृतिदीवार पर टँगी हुईएक तस्वीरफूलों से सजी हुईएक नायिकाफूलों से घिरी हुई ।