गुरुवार, 17 जुलाई 2025
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. साहित्य
  4. »
  5. काव्य-संसार
Written By WD

नदी श्रृंखला की कविताएँ

नदी श्रृंखला कविताएँ  प्रेमशंकर रघुवंशी
- प्रेमशंकर रघुवंशी
NDND
चिंता में डूबी नदी
सूखकर काँटा होती

चिड़चिड़ी होते ही
रूक जाती धार

और क्रोध से
बन जाती रेत

ओ! मेरी गाँव की नदी
हँसती रह हर दम

हरदम हँसती नदी
हरहाल में पानीदार नदी होती है!

साभार : पहल