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क्योंकि मैं एक लेखक हूँ
शोभना चौरे मेरे घर के आसपासजंगली घास का घना जंगल बस गया है |मै इंतजार में हूँ ,कोई इस जंगल को छाँट दे,मै अपने मिलने वालों से हमेशा,इसी विषय पर बहस करता,कभी नगर निगम को दोषी ठहराता,कभी सुझाव पेटी में शिकायत डालता,और लोगों को अपने जागरूक नागरिक होने का अहसास दिलाताइस दौरान , जंगल और बढ़ता जाता, उसके साथ ही जानवरों का डेरा भी भी जमता गया,गंदगी और बढ़ती गई फ़िर मै, जानवरों को दोषी ठहराता '
पत्र सम्पादक के नाम' लिखकर पडोसियों पर फब्तियाँ कसता [
आज मै इंतजार में हूँ ] शायद 'बापू'फ़िर से जन्म ले ले और ये जंगल काटने का कामअपने हाथ में ले ले| ताकि मै उनपर एक किताब लिख सकूँ किताब की रायल्टी से मै मेरे 'नौनिहालो' का घर 'बना दूँ उस घर के आसपास फ़िर जंगल बस गया किंतु मेरे बच्चो ने कोई 'एक्शन' नहीं लिया
उन्होंने उस जंगल को, तुंरत 'चिडिया घर 'में तब्दील कर दिया और मै आज भी शाल ओढ़कर सुबह की सैर को जाता हूँ,'
चिडिया घर' को भावना शून्य निहारकर पुनः किताब लिखने बैठ जाता हूँ क्योंकि मैं एक लेखक हूँ ।