गुरुवार, 17 जुलाई 2025
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Written By WD

क्योंकि मैं एक लेखक हूँ

मैं एक लेखक कविता शोभना lekhak kavita shobhana
शोभना चौरे
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मेरे घर के आसपास

जंगली घास का घना जंगल बस गया है |

मै इंतजार में हूँ ,

कोई इस जंगल को छाँट दे,

मै अपने मिलने वालों से हमेशा,

इसी विषय पर बहस करता,

कभी नगर निगम को दोषी ठहराता,

कभी सुझाव पेटी में शिकायत डालता,

और लोगों को

अपने जागरूक नागरिक होने का अहसास दिलात

इस दौरान , जंगल और बढ़ता जाता,

उसके साथ ही जानवरों का डेरा भी भी जमता गया,

गंदगी और बढ़ती गई फ़िर मै,

जानवरों को दोषी ठहराता

'पत्र सम्पादक के नाम' लिखकर

पडोसियों पर फब्तियाँ कसता

[आज मै इंतजार में हूँ ]

शायद 'बापू'फ़िर से जन्म ले ले

और ये जंगल काटने का काम

अपने हाथ में ले ले|

ताकि मै उनपर एक किताब लिख सकूँ

किताब की रायल्टी से मै मेरे 'नौनिहालो' का घर 'बना दूँ

उस घर के आसपास फ़िर जंगल बस गया

किंतु मेरे बच्चो ने कोई 'एक्शन' नहीं लिया

WDWD
उन्होंने उस जंगल को,

तुंरत 'चिडिया घर 'में तब्दील कर दिया

और मै आज भी

शाल ओढ़कर सुबह की सैर को जाता हूँ,

'चिडिया घर' को भावना शून्य निहारकर

पुनः किताब लिखने बैठ जाता हूँ

क्योंकि मैं एक लेखक हूँ ।