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उनकी ग़ज़ल है
विवेकरंजन श्रीवास्तव नुपुर का नर्तन, उनकी ग़ज़ल है।तबले की सरगम, उनकी ग़ज़ल है॥सितारों की धड़कन, हैं हाथ उनके।रागों का जादू, उनकी ग़ज़ल है॥ रंगो की रौनक, चितेरा सबेरा।पनघट की गोरी, उनकी ग़ज़ल है॥भावों की सरिता, गुंजन स्वरों का।शब्दों की बंदिश, उनकी ग़ज़ल है॥कहानी का मंचन, हमारी पहल है।परदे पे नाटक, उनकी ग़ज़ल है॥वोटों का सौदा, कुर्सी का हिस्सा।संसद में प्रहसन, कैसी ग़ज़ल है॥विकटों की बारिश, चौकों का टोटा।किस्मत क्रिकेट की, रुँआसी ग़ज़ल है॥