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हिन्दी क‍विता : रात्रि स्वप्न

poem on dreams
- धीरेंद्र सिंह 
 

 

अब अत्यंत निकट है वह समय
रात्रि स्वप्न का 
मोह के प्रकट होने का
 
जब स्वप्न की आत्मा करेगी रेखांकित
तुम्हारे चित्र को
 
पत्थरों के घनघोर जंगल से 
उदय होगा एक चन्द्रमा 
और एक तीव्र प्रज्वलित तारा
 
वह मैं होऊंगा 
फिर काट देगा कोई 
चन्द्रमा से बंधे आभासी तंतु को 
फिर होगा चन्द्रास्त
 
एक विशालकाय निस्तब्ध समुद्र में 
फिर यह रात्रि मुझे त्याग देगी।