• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. आलेख
  4. tarik fatah in Indore Literature festival

तारिक फतह: पाकिस्तान सिर्फ एक स्टेट ऑफ माइंड है

तारिक फतह: पाकिस्तान सिर्फ एक स्टेट ऑफ माइंड है - tarik fatah in Indore Literature festival
1950 में तारिक फतह सिंध के कराची में पैदा हुए थे। जब वे पैदा हुए तो भारत का विभाजन हुए सिर्फ दो साल हुए थे। शायद इसलिए उन्हें सलमान रश्दी की भाषा में मिडनाइट चिल्ड्रन कहा जाता है।

उन्हें इंडियन बोर्न इन पाकिस्तान भी कहा जाता है। मुस्लिम होने के बावजूद हिन्दू और भारत का बेबाकी से पक्ष लेने वाले तारिक फतह हमेशा सुर्खियो में रहते हैं और विवाद में भी।
 
इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल में तारिक फतह ने जो कहा उसमें से एक ऐसी लाइन है जिसे अंडरलाइन किया जाना चाहिए।
 
-गंगा जमुनी तहज़ीब जैसा कोई शब्द ही नहीं
 
उन्होंने कहा, इंडियंस अपना सेल्फ रेस्पेक्ट भूल गए हैं। उन्होंने पाकिस्तान पर कहा, भारत का विभाजन उन्होंने किया, कश्मीर अलग किया, और भारत वालों को गंगा-जमुनी तहजीब में उलझा दिया। 
 
तारिक फतह कहते हैं गंगा जमुनी तहज़ीब जैसा कोई शब्द ही नहीं है। लेकिन हम हिंदुस्तानियों को उस तहज़ीब में उलझाकर रख दिया। हम अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से जिन्ना की तस्वीर नहीं हटा पा रहे हैं।
- और हम करीना की फिल्में देखने जाते हैं
 
करीना कपूर खान अपने बेटे का नाम तैमूर खान रखती हैं और हम उसकी फिल्में देखने जाते हैं। और पाकिस्तान कहता है कि जब तक सारे हिन्दू नहीं मरेंगे, तब तक आतंक जारी रहेगा। पाकिस्तान गुंडा देश है, और हम अपना सेल्फ रेस्पेक्ट करना भूल गए हैं। 


- दिल्ली में जामिया मिलिया कहां से आया? 
 
तारिक फतह कहते हैं, दिल्ली में जामिया मिलिया कहां से आ गया, औरेंगज़ेब मार्ग कहां से बन गया। अशोका को लोधी गार्डन के भीतर कर दिया। और वहां पाकिस्तान में लाला लाजपत राय नाम की सड़कें बदल दी गईं। भारतीयों में वो मानसिकता है कि अगर चोर घर में चोरी कर जाए तो वो फिर भी कहेंगे कि अरे वाह चोर कितना अच्छा फर्नीचर सज़ा गया।

वहां पाकिस्तान में जज खुलेआम कहता है कि जनरल मुशर्रफ़ को पांच बार फांसी पर लटकाओ। और हम यहां अमन की आशा की बात करते हैं। अमन की आशा के नाम पर वो हमें बेवकूफ बनाता है। अगर पाकिस्तान को नहीं तोड़ेंगे तो वो हमको खत्म कर देगा। कैसे हम अपना सेल्फ रेस्पेक्ट वापस लाएं? हिंदुस्तानी ही इज़्ज़त नहीं करेंगे तो दुनिया क्यों करेगी। 
- तो जावेद अख़्तर समझने लगते हैं 
 
हिंदुस्तान में यह हालत है कि यहां कोई किसी महफ़िल में उर्दू बोल दे तो सब उसको जावेद अख़्तर समझने लगते हैं। हम अपनी मातृभाषा में कंफर्टेबल नहीं है, इसका मतलब है कि हम अपनी ही मां का सम्मान नहीं करते। तारिक फतह कहते हैं कि पाकिस्तान कोई दोस्त ही नहीं है, यह सिर्फ एक स्टेट ऑफ माइंड है। और हिंदुस्तान पांच हज़ार साल से ज्यादा पुरानी सभ्यता है।