सात दिवसीय राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव का समापन
इंदौर में रंगमंच संस्था 'तरकश' की आकर्षक प्रस्तुति
इंदौर में पिछले सात दिनों में रंगमंच को लेकर एक अनूठा उत्साह दिखाई दिया। रंगमंच प्रेमियों के लिए बीता सप्ताह विशेष संतोष और खुशी देने वाला रहा। रंगमंच को समर्पित संस्था 'तरकश' ने भारत के सांस्कृतिक मंत्रालय, संस्कृति विभाग-मध्यप्रदेश और संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली के सहयोग से राष्ट्रीय रंगमंच समारोह (नेशनल थिएटर फेस्टिवल) का आयोजन किया। '
रंगमंच की ओर एक कदम' इस ध्येय वाक्य के साथ आरंभ समूचे समारोह में एक से एक बेहतरीन और स्तरीय प्रस्तुतियां देखने को मिली। आनंद मोहन माथुर सभागार में 6 दिसंबर से 12 दिसंबर तक चले इस आयोजन की सबसे आकर्षक विशेषता रही समय का अनुशासन और बड़ी संख्या में दर्शकों की उपस्थिति। '
तरकश' को इस बात की विशेष बधाई कि उन्होंने तमाम राजनीतिक नाराजगी को झेलते हुए भी शहर में समय की पाबंदी को लेकर एक नवीन संस्कृति विकसित करने का प्रयास किया और इसमें वह कामयाब भी रहीं। अगले पेज पर देखिए : पहले दिन की प्रस्तुति - लाला हरदौल
प्रथम दिवस 6 दिसंबर2012 : नाटक- लाला हरदौल प्रस्तुति : हम थिएटर ग्रुप, भोपाल लेखक : कोमल कल्याण निर्देशक : बालेन्द्र सिंह कहानी : बुंदेलखंड के लोकनायक लाला हरदौल और उनके जीवन पर इस नाटक को बुना गया। बुंदेलखंड के जन-जन में उनकी लोककथा प्रचलित है। खूबसूरत संगीत संयोजन के साथ इस प्रथम प्रस्तुति को दर्शकों ने भरपूर सराहा। सगा, सौतेला, रिश्ते, धोखा, स्वार्थ, लालच, जलन, और समर्पण जैसे मानवीय गुणों-अवगुणों को समेटते हुए यह नाटक मंचसज्जा, वेशभुषा व अभिनय के लिहाज से भी उम्दा रहा। सभी जानते हैं कि हरदौल एक वीर योद्धा थे। उनकी बहादुरी के समक्ष मुगल सेना भी कांपती थी। प्रजा के लिए हरदौल बड़े दयालु थे। तीन भाइयों में हरदौल सबसे छोटे थे। जनता के बीच बढ़ते उनके प्रभुत्व और लोकप्रियता से खुश होकर उनके बड़े भाई उन्हें दरबार में प्रमुख जिम्मेदारियां सौंप देते हैं। मंझला भाई पहाड़ सिंह इस बात से खफा होता है और हरदौल के खिलाफ षडयंत्र रचता है। पहाड़ सिंह जलन के चलते अपनी बड़ी भाभी और हरदौल के रिश्ते पर सवाल उठाता है। जब लाला को इस बात का पता चलता है तो अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए वह आत्महत्या कर लेता है। इस तरह नाटक का करूण अंत होता है। मीठी बुंदेली बोली में रचे नाटक तथा लोक-संगीत मंच से दर्शकों को बांधे रखने में कामयाब रहे। लाला हरदौल का मुख्य किरदार प्रयाग साहू ने निभाया। अन्य पात्रों का अभिनय भी सराहनीय रहा। अगले पेज पर देखिए : दूसरे दिन की प्रस्तुति 'अंधा युग'
द्वितीय दिवस 7 दिसंबर2012 : नाटक-अंधा युग प्रस्तुति : अलंकार थिएटर ग्रुप, चंडीगढ़ लेखक : धर्मवीर भारती निर्देशक : चक्रेश कुमार