हिन्दी के सामर्थ्य की सुगंध से एलर्जी मानसिक दीवालिएपन की निशानी है। मराठी की छोटी-सी कटोरी की लालसा में, हिन्दी का नमक खाने वाले हम, हिन्दी की थाली में छेद कर रहे हैं। पिछले दिनों महाराष्ट्र विधानसभा की घटना ने सिद्ध कर दिया है कि हिन्दी भाषा को, अब अँगरेजी से नहीं, भारतीयों(!) से भय है।