ठंड के मौसम ने दस्तक दे दी है और खाने-पीने की चीजों के इस मौसम में बहार रहती है। गुड़ की गजक और पिंड खजूर इस मौसम में शौक से खाए जाते हैं। आपने कहावत तो सुनी होगी- 'आसमान से गिरे और खजूर में अटके'। रहीमदासजी ने भी अपने दोहे में खजूर की बात कुछ इस तरह कही है-
बड़ा हुआ सो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर, पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर।
कवि का आशय यहां पर यह है कि खजूर की तरह मत बनिए, परंतु यदि आपको ऊंचा उठना है, दूसरों की सेवा करना है, परोपकारी बनना है तो खजूर के फल की तरह जरूर बनिए, क्योंकि खजूर की तरह शायद ही कोई फल हो जो परोपकारी, बहुउपयोगी हो। यह गरीब का गुड़ और अमीर का मेवा है। नारियल और खजूर ही ऐसे पेड़ हैं, जिन्हें वैज्ञानिकों द्वारा ऑल परपज ट्री कहा जाता है।
फिनिक्स डेक्टाइलीफेरा प्रजाति का यह पेड़ 25 से 30 मीटर ऊं चा होता है। इसमें भी नर लिंगी और मादा लिंगी अलग-अलग पेड़ होते हैं। इनके ऊपर क़डक पंखनुमा पत्तियां ताज की तरह लगती हैं। नर पुष्प में 100 से 150 शाखाएं होती हैं, जबकि मादा पुष्प में 10 से 30 तक शाखाएं होती हैं, जो फल पकने पर नीचे की ओर लटक जाती है। इसके फल लाल, भूरे या काले बेलन आकार के होते हैं, जो 6 महीनों में पकते हैं। इसके फल में एक बीज होता है और छिलका गूदेदार होता है।
एक पेड़ 50 किलो फल हर मौसम में देता है। इसकी औसत उम्र 50 वर्ष आँकी गई है। इसकी खेती मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के सूखे क्षेत्रों में की जाती है। इराक, ईरान और सऊदी अरब में इसका उत्पादन सर्वाधिक होता है। ठंड के दिनों में खाया जाने वाला यह फल बहुत पौष्टिक होता है। इसमें 75 से 80 प्रतिशत ग्लूकोज होता है।
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सूखे पिंड खजूर को खारक कहते हैं, जो अक्सर सभी के घरों में मिल जाता है। इसकी पत्तियां काफी उपयोगी होती हैं। इससे टोकरियां, रस्सियां, चटाइयां, पंखे आदि बनाए जाते हैं। पत्तियों के डंठल से छड़ी बनाई जाती है। बीज पीसकर ऊंटों, भेड़ों और घोड़ों को खिलाए जाते हैं। इसके लंबे और मोटे बेलनाकार तनों से पुल और पानी की नलियां बनाई जाती है।
इसके लगभग 800 उपयोग गिनाए गए हैं। सर्दियों में सेहत बनाने के लिए इससे बेहतर कुछ हो ही नहीं सकता। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है। रंग साफ करता है। दिल को मजबूत बनाता है।
यदि आपने महू से पातालपानी तक कभी रेल यात्रा की हो तो आपने देखा होगा कि यहां खजूर के पेड़ बहुतायत में पाए जाते हैं। छोटे स्टेशन पर पेड़ से तोड़कर ताजे खजूर हमेशा बेचे जाते हैं, जो बरबस ही यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। अब इतने उपयोग हैं इस खजूर के तो फिर कभी मत कहना कि बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर...।