एस्प्रिन खाना खतरे से खाली नहीं
अगर कोई स्वस्थ व्यक्ति हृदय रोगों से बचने के लिए एक एस्प्रिन रोज खा रहा है तो जान लीजिए कि कहीं उसके साथ ऐसा ना हो कि ...आसमान से गिरे और खजूर में अटके...! भारत में ही नहीं विश्व भर में डॉक्टर दिल के दौरे या फिर अन्य हृदय रोगों से बचने के लिए स्वस्थ लोगों को एक बेबी एस्प्रिन खाने की सलाह देते हैं। स्वास्थ्य विज्ञान की एक जानी मानी पत्रिका 'लेनसेट' में प्रकाशित एक ताजा अध्ययन में कहा गया है कि किसी स्वस्थ व्यक्ति को हृदय रोगों से बचाने के लिए नियमित रूप से बेबी एस्प्रिन देने को उचित नहीं ठहराया जा सकता। यह अध्ययन एस्प्रिन फॉर असिम्टोमैटिक एथ्रोसेलेरोसिस के लिए किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि हृदय रोगों से बचाव के लिए किसी को भी यहाँ तक कि स्वस्थ व्यक्ति को भी छोटी यानी बेबी एस्प्रिन नियमित रूप से देना इसलिए उचित नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि इससे आमाशय या आँतों में रक्तस्राव की स्थितियाँ पैदा होने का खतरा बहुत अघिक बढ जाता है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जो व्यक्ति सिम्टोमैटिक नहीं हैं या फिर जिन्हें किसी भी प्रकार का हृदय रोग नहीं है उन्हें बेबी एस्प्रिन की नियमित खुराक रक्तस्राव जैसी गंभीर स्थितियाँ पैदा कर सकती हैं। यह अध्ययन स्कॉटलैंड में 50 से 75 साल के 9950 पुरूषों तथा महिलाओं पर किया गया। इस अध्ययन की रिपोर्ट बार्सीलोना में हाल ही में हुए यूरोपियन सोसायटी ऑफ कार्डियोलॉजी सम्मेलन में प्रस्तुत की गई जिसमें विश्व भर के तीस हजार से अधिक हृदय रोग विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। यूनीवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग की इस रिपोर्ट को सम्मेलन में प्रस्तुत करते हुए प्रोफेसर गैरी फोक्स ने कहा कि इस अध्ययन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि जिसे हृदय रोग है या फिर जिसे ऐसी ही अन्य परेशानियाँ हैं उसे बेबी एस्प्रिन से लाभ जरूर हो सकता है लेकिन सामान्य व्यक्ति को नियमित रूप से बेबी एस्प्रिन देना उचित नहीं ठहराया जा सकता। अभी तक के कम से कम छह अध्ययनों के आधार पर यही माना जाता था कि किसी भी सामान्य व्यक्ति को नियमित रूप से बेबी एस्प्रिन देने से उसे हृदय रोगों से बचाया जा सकता है क्योंकि एस्प्रिन रक्त को पतला करती है और इससे दिल के दौरे की आशंका काफी हद तक कम हो जाती है 1 अध्ययन के दौरान जिन 9950 लोगों को यह मान कर एस्प्रिन दी गई कि उन्हें हृदय रोगों का खतरा हो सकता है उनमें से किसी पर भी एस्प्रिन का अधिक सकारात्मक प्रभाव नहीं देखा गया अलबत्ता इनमें से ऐसे 181 लोगों को दिल का दौरा पड़ा जो करीब आठ साल से लगातार बेबी एस्प्रिन ले रहे थे। इसके अतिरिक्त इनमें से दो प्रतिशत लोगों को आँतों में रक्तस्राव शुरू हो गया और उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ गई। ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के चिकित्सा निदेशक प्रोफेसर पीटर वीजबर्ग का कहना है कि ना तो डॉक्टरों और ना ही आम आदमी को यह नहीं भूलना चाहिए कि एस्प्रिन के लाभ भी हैं और हानियाँ भी।