नकली वैक्सीन लगने पर नजर आते हैं ये लक्षण, अधिकारी ने बताया कहां टीकाकरण सुरक्षित
कोरोना जैसी महामारी के दौरान भी लोगों को नकली वैक्सीन लगाकर छल किया जा रहा है। जिससे आम इंसानों का भरोसा भी डगमगा जाता है। हाल ही में वाराणसी में कोविड की नकली वैक्सीन लाखों लोगों को लगा दी गई है। एसटीएफ पुलिस द्वारा करीब 4 करोड़ रुपए का नकली सामान बरामद किया गया। 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। लेकिन ऐसे में किस तरह से नकली वैक्सीन की पहचान की जा सकती है। आइए जानते हैं -
पैसे कमाने की होड़ में नकली वैक्सीन बेचने का किस्सा फिर से चल पड़ा। असली वैक्सीन की पहचान करने के लिए सरकार ने दिशा निर्देश जारी किए-
- SII का प्रॉडक्ट लेबल लगा होना अनिवार्य है।
- ट्रेडमार्क के साथ ही वैक्सीन के ब्रांड का नाम होगा।
- जेनरिक नाम का अक्षर बोल्ड नहीं होगा।
- लेबल गहरे हरे रंग का होगा। और उसपर एल्युमिनियम की फ्लिप ऑफ सील लगी होगी
- CGS 'नॉट फॉर सेल' की मुहर लगी होगी।
कोविशील्ड की ऐसे पहचान करें
- सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का लेबल, SII लेबल गहरे हरे रंग का।
- गहरे हरे रंग की एल्यूमीनियम फ्लिप-ऑफ सील होगी।
- COVISHIELD ब्रैंड का नाम ट्रेडमार्क के साथ लिखा होगा।
- जेनेरिक नाम का टेक्स्ट फॉन्ट बोल्ड अक्षरों में नहीं होगा।
कोवैक्सिन की पहचान ऐसे करें
- लेबल पर ना दिखने वाले UV होलिक्स होगा, जिन्हें सिर्फ UV लाइट्स में ही देख सकते हैं।
-COVAXIN का 'X' दो रंगों में है। इसे ग्रीन फॉयल इफेक्ट कहते हैं।
स्पूतनिक-वी टीके की पहचान ऐसे करें
- स्पूतनिक दो अलग-अलग प्लांट से आयात होते हैं।
- लेबल पर दी जानकारी और डिजाइन तो एक जैसा है बस प्लांट का नाम अलग-अलग।
- स्पूतनिक-वी अभी तक आयात हुई हैं, वे 5 शीशियों वाले गत्ते के पैक में आती हैं। इनके गत्ते पर श में नाम लिखा होता है।
वैक्सीन सर्टिफिकेट
बता दें कि वैक्सीन लगने के 5 मिनट के भीतर ही आपके पास स्वीकृति का मैसेज आ जाता है। और साथ ही 1 घंटे के भीतर कोविन पोर्टल पर सर्टिफिकेट भी आ जाता है।
नकली वैक्सीन लगने पर क्या होगा ?
अगर आपको नकली वैक्सीन लगाई जाती है तो किसी प्रकार के कोई साइड इफेक्ट नजर नहीं आएंगे। क्योंकि वैक्सीनेशन के बाद हाथ-पैर दर्द करना, बदन दर्द करना, हल्का बुखार आना, जिस हाथ में वैक्सीन लीग है वह हाथ हल्का-हल्का दर्द करना जैसे लक्षण नजर आएंगे। करीब 80 फीसदी लोगों में इसके लक्षण दिखते हैं।
डॉ बीएस सत्या, CMHO इंदौर, ने कहा कि, इससे बचने के लिए सरकारी वैक्सीनेशन सेंटर पर ही वैक्सीन लगवाएं। वही सबके लिए बेहतर है।
वहीं अगर आप प्राइवेट सेंटर पर जाते हैं तो पहले कोविन पोर्टल पर लिस्टेड होते हैं। ऐसे में आप कोविन पोर्टल पर प्राइवेट सेंटर के लिए स्लॉट बुक कर सकते हैं। साथ ही वैक्सीन लगाने के एक महीने बाद एंटीबॉडी टेस्ट भी करा सकते हैं। जिससे पता चल जायेगा की आपकी बॉडी में एंटीबॉडी है या नहीं।