क्या है ये पीएमएस समस्या
समझें उन खास दिनों की अवस्था को
पीएमएस यानि प्री मेंस्ट्रुएशन सिंड्रोम। यह समस्या लाखों महिलाओं को सताती है। हालाँकि यह बहुत ही पुरानी समस्या है फिर भी इसे कभी बीमारी नहीं समझा गया। यह एक शारीरिक-मानसिक स्थिति है, जो महिलाओं में मासिक धर्म से आठ-दस दिन पहले हो जाती है और अलग-अलग महिलाओं में इसके लक्षण भिन्न-भिन्न होते हैं।जो महिलाएँ डिलीवरी, मिस कैरेज या एबॉर्शन के समय ज्यादा हार्मोनल बदलाव महसूस करती हैं, उन्हें पीएमएस होता है। जो महिलाएँ गर्भ निरोधक गोलियाँ लेती हैं, उन्हें भी गोलियाँ छोड़ देने पर यह ज्यादा होने लगता है। यह तब तक रहता है, जब तक उनका हार्मोनल स्तर नॉर्मल नहीं हो जाता। आमतौर पर महिलाओं में 20 वर्ष की आयु के बाद ही इसकी शुरुआत होने लगती है। इन दिनों महिलाएँ बेहद चिड़चिड़ी हो जाती हैं अक्सर बच्चों को भी पीट देती हैं और इससे उनकी व्यक्तिगत जिंदगी और करियर पर भी प्रभाव पड़ सकता है। पीएमएस का असली कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। ऐसा माना जाता है कि ये हार्मोनल असंतुलन की वजह से होता है, परंतु इस संतुलन का सही कारण कोई नहीं जानता।हर माह पीएमएस के संकेत मेंस्ट्रुअल साइकल के उन्हीं दिनों में होते हैं। शरीर का फूलना, पानी इकट्ठा होना, ब्रेस्ट में सूजन, एक्ने, वजन बढ़ना, सिर दर्द, पीठ दर्द, जोड़ों का दर्द और मसल्स का दर्द, इन्हीं में शामिल है। इनके साथ-साथ मूडी होना, चिंता, डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, मीठा और नमकीन खाने की इच्छा, नींद न आना, जी घबराना आदि भी हो सकते हैं। कई महिलाओं को रोना, परेशान होना, आत्महत्या के विचार आना और लड़ाकू व्यवहार जैसे लक्षण भी होने लगते हैं। अगर ये लक्षण बहुत तीव्र हो जाएँ तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए।क्या आपको सचमुच पीएमएस है- यह जानने के लिए कि आपको पीएमएस है या नहीं, बेहतर होगा अगर आप एक डायरी रखें जिसमें दो-तीन महीनों तक होने वाले लक्षणों को नोट करें। यह डायरी आपको बताएगी कि आपके लक्षण आपके मासिक धर्म से जुड़े हुए हैं या नहीं। आपको पता चल जाएगा कि आप पीएमटी (प्री मेंस्ट्र्रुअल टेंशन) से पीड़ित तो नहीं।
जब आप अपने लक्षणों का चार्ट बनाएँ तो तारीख के आगे लक्षण लिखें, जैसे सिरदर्द के लिए एच, माइग्रेन के लिए एम, पेट फूलने के लिए बी आदि, अगर दिन में ही कई लक्षण एक साथ नजर आएँ तो इन सबको नोट करें। कैलेंडर पर मासिक धर्म शुरू और अंत होने की तिथियाँ भी नोट करें।अगर आपको पीएमएस है तो आप देखेंगी कि मासिक धर्म से पहले कई प्रकार के लक्षण होते हैं, जो इसके बाद गायब हो जाते हैं। लिखा हुआ रिकॉर्ड आपको चिकित्सा प्राप्त करने में भी सहायक होगा।पीएमएस से जूझना- सबसे पहले तो आप तीन महीनों तक अपने लक्ष्य रिकार्ड करें। जब आपको पता चल जाए कि पीएमएस से आपके ऊपर क्या असर होने वाला है तो दर्द, क्रोध और उदासी का पहले से ही आभास हो जाएगा। आप अपने परिवार वालों को भी अपनी स्थिति से अवगत कराएँ। अगर परिवार के सदस्यों को इसके बारे में पता होगा तो वे आपकी मदद भी कर सकते हैं। उन्होंने पहले कभी इसके बारे में नहीं सुना होगा, लेकिन जब वे आपकी समस्या जान जाएँगे तो भी जरूरी नहीं कि वे आपसे बहस न करें या आप पर न चिल्लाएँ।ये सब आपको और परेशान और चिड़चिड़ा बना सकता है, पर कम से कम वे आपके व्यवहार से हैरान तो नहीं होंगे और हो सकता है, वे अपने क्रोध पर अंकुश भी लगा लें या आपके रास्ते में न आएँ। कई परिवार ऐसे समय में महिलाओं से ज्यादा मदद की उम्मीद नहीं रखते।अपने परिवार वालों को स्थिति से अवगत करा देने से घर में होने वाले कई झगड़ों से बचा जा सकता है। अपने आपको इस तरह सुव्यवस्थित कर लें कि आप उन दिनों में ही ज्यादा से ज्यादा काम निपटा लें, जब आपकी हालत अच्छी हो। आपका खाना और पकाना भी पहले ही प्लान किया जा सकता है। अपने पति और बच्चों को भी काम में लगाएँ।दफ्तर में कोई मीटिंग आदि न रखें, जब आपको पता हो कि आपकी डेट आने वाली है तो ऐसी स्थितियों में न पड़े जो आप पर दबाव डालती हों। अपनी सहायता खुद करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप ठीक से खाएँ। अगर आप तनावग्रस्त या दुखी हैं तो खाने का खयाल भी आपको बुरा लगेगा, इसलिए आपको थोड़ी-थोड़ी देर बाद थोड़ा-थोड़ा खाते रहना चाहिए। आपको पोटेशियम की जरूरत पड़ सकती है। पोटेशियम केले, टमाटर और संतरे में होता है। नमक कम लें क्योंकि इससे भी शरीर में पानी इकट्ठा हो जाता है। अगर पेट दर्द हो तो कैल्शियम ले सकती हैं। ये दूध, अंडे और चीज में होता है। नियमित रूप से व्यायाम करें। दर्द हो तो सेक कर सकती हैं। मालिश करने से भी आपको आराम मिलेगा। सावधानी : अलग-अलग महिलाओं में पीएमएस के लक्षण अलग-अलग होते हैं। अत: किसी योग्य डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।