क्या है मद्रास दिवस? जानें इतिहास और महत्व
आज के समय में देश के हर कोने में साउथ की फिल्म और संस्कृति काफी प्रचलित हो रही है। दक्षिण भारत की संस्कृति और परंपरा बहुत अनमोल और खास है। ऐसी ही एक परंपरा को हर साल 22 अगस्त को मनाया जाता है। हम बात कर रहे हैं मद्रास की जो अब चेन्नई के नाम से जाना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि आज यानी 22 अगस्त को 1639 में दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में मद्रास शहर की स्थापना में हुई थी। इतिहास के अनुसार इस दिन ईस्ट इंडिया कंपनी ने स्थानीय शासकों से फोर्ट सेंट जॉर्ज के निर्माण के लिए जमीन खरीदकर आधुनिक शहर की नींव रखी थी। आज मद्रास शहर की स्थापना को 384 साल हो गए हैं। आपको बता दें कि मद्रास दिवस समारोह साल 2004 में कई कार्यक्रमों के साथ शुरू किया गया था।
क्या है मद्रास दिवस का इतिहास?
चेन्नई में आम लोगों द्वारा 22 अगस्त को 'मद्रास दिवस' मनाया जाता है। यह दिवस चेन्नई में रहने वाले लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इतिहास के अनुसार 22 अगस्त 1639 को मद्रासपट्टिनम गांव को ईस्ट इंडिया कंपनी ने स्थानीय शासकों से खरीद लिया था। मद्रास दिवस समारोह साल 2004 में 5 कार्यक्रमों के साथ शुरू हुआ था जिसकी संख्या बढ़कर 2007 में 60 कार्यक्रम हो गई थी। मद्रास दिवस के दिन हेरिटेज वॉक, सार्वजनिक वार्ता, प्रदर्शनियां, सार्वजनिक प्रदर्शन, फूड फेस्टिवल और अन्य कार्यक्रम होते हैं। शहर की संस्कृति और विरासत की व्याख्या करते हुए कई चर्चाएं, व्याख्यान और सम्मेलन भी आयोजित किए जाते हैं।
जानिए मद्रास के बारे में रोचक तथ्य
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चेन्नई का पुराना नाम मद्रास था। तमिलनाडु सरकार ने साल 1996 में मद्रास नाम बदलकर चेन्नई कर दिया था। चेन्नई भारत की सांस्कृतिक एवं संगीत की राजधानी है। यह शहर शास्त्रीय नृत्य-संगीत कार्यक्रमों और मंदिरों के लिए काफी फेमस है।
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'चेन्नई' नाम अंग्रेजों द्वारा बनाए गए फोर्ट सेंट जॉर्ज के पास एक शहर चेन्नापटनम से लिया गया था।
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चेन्नई का सबसे प्रसिद्ध मंदिर कांचीपुरम में स्थित एकम्बरेश्वर मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण साल 1680 में अलंगानाथ पिल्लई द्वारा किया गया था।
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'फोर्ट सेंट जॉर्ज' भारत के पहले ब्रिटिश किले का नाम है जिसकी स्थापना 1639 में मद्रास आधुनिक शहर चेन्नई में हुई थी।