पुणे के दगड़ू सेठ गणपति मंदिर का इतिहास
Dagdusheth ganpati mandir pune: महाराष्ट्र में सिद्धि विनायक मंदिर की तरह भी दगड़ू सेठ गणपति का मंदिर भी दुनियाभर में प्रसिद्ध है यह महाराष्ट्र का दूसरा सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। इसे आम बोलचाल में दगडू सेठ का मंदिर भी कहते हैं। यह मंदिर पुणे में स्थित है। आओ जानते हैं इस मंदिर के इतिहास के बारे में जानकारी।
दगड़ू सेठ क्यों कहते हैं? : इस मंदिर को श्रीमंत दग्दूशेठ नाम के हलवाई ने बनवाया था। तभी से इस मंदिर को 'दगड़ूसेठ हवलवाई मंदिर' के नाम से जाना जाता है। इसे आम बोलचाल में दगडू सेठ का मंदिर भी कहते हैं।
क्यों बनवाया था यह मंदिर? : कहते हैं कि दगड़ूसेठ हलवाई कोलकाता से पूणे में पत्नी और बेटे के साथ मिठाइयों का काम करने आए थे। उस दौरान पूणे में प्लेग नामक महामारी फैली हुई थी। इस महामारी के चलते दगड़ूसेठ हलवाई ने अपने बेटे को खो दिया था। इस हादसे के बाद दगड़ू सेठ को बड़ा झटका लगा और वे चाहते थे कि किसी भी तरह से मरे बेटे की आत्मा को शांति मिले। उन्होंने एक पंडित से इसके लिए उपाय पूछा तो पंडितजी उन्हें भगवान गणेश का मंदिर बनवाने की सलाह दी।
कब बनवाया था यह मंदिर? : पंडित जी की सलाह पर वर्ष 1893 में दगड़ूसेठ हलवाई ने एक भव्य गणपति मंदिर का निर्माण कराया और गणपति प्रतिमा स्थापित की।
क्यों प्रसिद्ध है यह मंदिर : कहते हैं कि इस मंदिर से ही लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने गणेश उत्सव की शुरुआत की थी। तब से ही हर साल यहां पर गणेश उत्सव की धूम लगी रहती है। इसी के साथ इस मंदिर में सोने की प्रतिमा और मंदिर की भव्यता के कारण भी यह मंदिर प्रसिद्ध है।
मंदिर में विराजमान गणपति मूर्ति : करीब 8 किलो सोने के उपयोग से यहां पर भगवान गणेश जी की 7.5 फीट ऊंची और 4 फीट चौड़ी प्रतिमा विराजमान हैं। इस प्रतिमा में गणपति के दोनों कान सोने के हैं। वहीं प्रतिमा को 9 किलो से भी अधिक वेट का मुकुट बनाया गया है। इस मंदिर में गणपति जी को सोने की ज्वेलरी से सजाया गया है।