सोमवार, 7 अक्टूबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. गणेश चतुर्थी 2022
  3. गणेश चतुर्थी: इतिहास-संस्कृति
  4. Ganesh and Tulsi Katha
Written By

श्री गणेश और तुलसी का यह कनेक्शन आप नहीं जानते हैं, इसलिए नहीं चढ़ती है तुलसी श्री गणेश को

ganesh katha
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री गणेश (Ganesh poojan) के पूजन में तुलसी (Tulsi) का प्रयोग वर्जित है। वैसे तो तुलसी जी देवीस्वरूपा और प्रात: पूजनीय है लेकिन गणपति पूजन में तुलसी पत्र का अर्पण मना है। यहां पाठकों के लिए प्रस्तुत हैं पौराणिक कथा-Ganesh and Tulsi Story
 
इस कथा के अनुसार- एक बार भगवान श्री गणेश गंगा किनारे तप कर रहे थे। इसी कालावधि में धर्मात्मज की नवयौवना कन्या तुलसी ने विवाह की इच्छा लेकर तीर्थयात्रा पर प्रस्थान किया। देवी तुलसी सभी तीर्थस्थलों का भ्रमण करते हुए गंगा के तट पर पंहुची। गंगा तट पर देवी तुलसी ने युवा तरुण गणेश जी को देखा, जो तपस्या में विलीन थे।
 
गणेश जी रत्नजटित सिंहासन पर विराजमान थे। उनके समस्त अंगों पर चंदन लगा हुआ था। उनके गले में पारिजात पुष्पों के साथ स्वर्णमणि रत्नों के अनेक हार पड़े थे। उनके कमर में अत्यंत कोमल रेशम का पीतांबर लिपटा हुआ था।
 
तुलसी श्री गणेश के रूप पर मोहित हो गईं और उनके मन में गणेश से विवाह करने की इच्छा जाग्रत हुई। तुलसी ने विवाह की इच्छा से उनका ध्यान भंग किया। तब भगवान श्री गणेश ने तुलसी द्वारा तप भंग करने को अशुभ बताया और तुलसी की मंशा जानकर स्वयं को ब्रह्मचारी बताकर उसके विवाह प्रस्ताव को नकार दिया।
 
श्री गणेश द्वारा अपने विवाह प्रस्ताव को अस्वीकार कर देने से देवी तुलसी बहुत दुखी हुईं और आवेश में आकर उन्होंने श्री गणेश के दो विवाह होने का शाप दे दिया। इस पर श्री गणेश ने भी तुलसी को शाप दे दिया कि तुम्हारा विवाह एक असुर से होगा। 
 
एक राक्षस की पत्नी होने का शाप सुनकर तुलसी ने श्री गणेश से माफी मांगी। तब श्री गणेश ने तुलसी से कहा कि तुम्हारा विवाह शंखचूर राक्षस से होगा। किंतु फिर तुम भगवान विष्णु और श्री कृष्ण को प्रिय होने के साथ ही कलयुग में जगत के लिए जीवन और मोक्ष देने वाली होंगी, पर मेरी पूजा में तुलसी चढ़ाना शुभ नहीं माना जाएगा। तबसे ही भगवान गणेशजी की पूजा में तुलसी वर्जित मानी जाती है। अत: भगवान श्री गणेश को तुलसी (tulsi) नहीं चढ़ाई जाती है।

 
ये भी पढ़ें
जलझूलनी एकादशी कब है, जानिए महत्व, पौराणिक कथा, शुभ मुहूर्त, डेट, पूजा विधि और मंत्र