• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. गणेश चतुर्थी 2022
  3. गणेश चतुर्थी: इतिहास-संस्कृति
  4. Ganesh ji ke jeevan se jude prasang
Written By
Last Modified: गुरुवार, 1 सितम्बर 2022 (18:02 IST)

गणेशजी के जीवन से जुड़े 10 महत्वपूर्ण प्रसंग

Incidents related to the life of Ganesh ji
भगवान गणेशजी की कथा अनंत है। चारों युगों में उनका वर्णन मिलता है। उन्हें भी हनुमानजी जैसी वरदानी शक्तियां प्राप्त हैं। पुराणों में उनके 64 अवतारों का वर्णन मिलता है। भगवान गणेशजी के जीवन से यूं तो कई प्रसंग जुड़े हैं लेकिन यहां प्रस्तुत है कुछ खास 10 प्रसंग।
 
1. जन्म प्रसंग : गणेशजी के जन्म अयोनिज माना गया है। अयोनिज अर्थात जो योनि से उत्पन्न न हो। माता पार्वती ने उन्हें मिट्टी से निर्मित किया था। हालांकि यह भी कहा जाता है कि माता पार्वती द्वारा पुण्यक व्रत के फलस्वरूप गणेशजी का जन्म हुआ था। बाद के पुराणों में उनके जन्म के संबंध में कहा गया है माता ने अपनी सखी जया और विजया के कहने पर एक गण की उत्पति अपने मैल से की थी। 
 
2. मस्तक प्रसंग : माता पार्वती ने गणेशजी को अपने द्वारा पर नियुक्त किया था और कहा था कि भीतर कोई आने न पाए। शिवजी भीतर आना चाहते थे तो गणेशजी ने उन्हें रोक दिया। शिवजी के क्रोधित होकर उनका सिर धड़ से अलग कर दिया। बाद में माता के विलाप करने और क्रोधित होने पर शिवजी ने उनके धड़ पर गजमुख स्थापित करके उन्हें जीवित कर दिया। 
 
3. पृथ्‍वी प्रदक्षिणा प्रसंग : एक बार कार्तिकेय, गणेश सहित सभी देवताओं में यह प्रतियोगिता आजोजित हुई की कौन सबसे पहले धरती की परिक्रमा पूर्ण कर लेता है। सभी देवताता अपने अपने वाहन या शक्ति के बल पर उड़ चले लेकिन गणेश जी का वाहन तो मूषक था, तब उन्होंने अपने माता पिता की परिक्रमा करके ही यह सिद्ध कर दिया कि उनकी परिक्रमा ही जगत की परिक्रमा है। तभी से वे प्रथम पूज्य बनें।
 
4. मूषक (गजमुख) वाहन प्राप्ति प्रसंग : गणेश जी को मूषक भी एक रोचक प्रसंग के तहत मिला। पहले यह मूषक इंद्र के राज्य में क्रौंच नामक गंधर्व था। अपने कर्मों के कारण यह मूषक बन पराशर ऋषि के आश्रम में उत्पात मचाने लगा। तब गणेशजी के इसकी काबू करके इसे अपना वाहन बना लिया।
riddhi and siddhi
5. गणेश विवाह प्रसंग: गणेशजी का विवाह विश्‍वकार्म की पुत्री रिद्धि और सिद्धि से हुआ। उनका विवाह प्रसंग भी बड़ा रोचक है जिसके चलते शिव और पार्वती एवं राम और सीता के विवाह प्रसंग की तरह ही प्रसिद्ध है।
 
6. संतोषी माता उत्पत्ति प्रसंग : गणेशजी के दो पुत्र हैं। शुभ और लाभ। रक्षा बंधन के दिन उन्होंने ‍अपने पिता के समक्ष अपनी माता से पूछा कि हमारी कोई बहन क्यों नहीं हैं? हमें बहन कब मिलेगी। यह सुनकर गणेशजी ने अपनी शक्ति के बल से एक पुत्र को प्रकट दिया जिसका नाम मांता संतोषी रखा गया। 
 
7. विष्णु विवाह में उन्हें नहीं बुलाने का प्रसंग : जब विष्णुजी का लक्ष्मीजी के साथ विवाह हो रहा था तब उन्होंने शिवजी को निमंत्रण भेजा लेकिन गणेशजी को नहीं। सभी देवता विवाह में शामिल होने के लिए गए लेकिन गणेशजी नहीं गए, क्योंकि उनको निमंत्रण नहीं था। गणेशजी ने अपने मूषक सेना का बारात के आगे भेजकर दूरतक की भूमि खोद दी और विवाह में सभी तरह के विघ्न उत्पन्न कर दिए। फिर सभी ने गणेशजी की स्तुति की तभी विष्णुजी का विवाह संपन्न हो पाया। 
 
8. असुर (देवतान्तक, सिंधु दैत्य, सिंदुरासुर, मत्सरासुर, मदासुर, मोहासुर, कामासुर, लोभासुर, क्रोधासुर, ममासुर, अहंतासुर) वध प्रसंग : गणेशजी ने कई असुरों का वध किया था। उपरोक्त लिखित असुरों से जुड़ी कथाएं प्रचलित हैं जो उनके कई अवतारों को प्रकट करती हैं।
9. द्वापर युग में महाभारत लेखन प्रसंग सहित चारों युगों में अवतार प्रसंग : गणेशजी ने द्वापर युग में वेदव्यासजी ने कहने पर महाभारत का लेखन इस शर्त पर किया था कि आप बोलना न रोकेंगे तो ही में महाभारत लिखूंगा। तब वेदव्याजी से कहा कि आप श्लोक का अर्थ समझ लें तभी लिखें। गणेशजी ने भी शर्त मान ली। इस तरह वेदव्यासजी को सोचने और अन्य कार्य करने का समय मिल गया।
 
10. गणेशजी ने अपने भाई कार्तिकेय के साथ कई युद्धों में भाग लिया था : गणेशजी ने अपने भाई कार्तिकेय को उनके द्वारा किए गए कई युद्धों में उनका साथ दिया था। ऐसे कई प्रसिद्ध युद्धों का वर्णन पुराणों में मिलता है।