मंगलवार, 16 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. वेबदुनिया विशेष 10
  4. »
  5. फादर्स डे
  6. पिता से मिले जीवन के मूलमंत्र
Written By ND

पिता से मिले जीवन के मूलमंत्र

कामयाबी की इबारत लिखो

Fathers Day | पिता से मिले जीवन के मूलमंत्र
ND

बदलते समय के बदलते दौर में अब पिता की छवि बदल गई है। आज पिता अपने बच्चों के लिए न केवल प्रेरणास्रोत बने हैं बल्कि जीवन में ऐसा मूलमंत्र दे रहे हैं जिसे जपकर उनके बच्चे कामयाबी की नई इबारतें लिख रहे हैं। पिता...। यह शब्द सुनते ही जेहन में एक दृढ़ व्यक्तित्व की छवि उभरती है। ऐसा व्यक्ति जो हमारा सबसे बड़ा आदर्श होता है, मर्यादा जिसके रिश्ते की पहचान है।

एक ऐसा नाता जो हमें हर कदम पर साहस देता है। पिता... यह शख्स जो तब साथ खड़ा होता है जब हमारा धैर्य चुकने लगता है। वे तब भी साथ होते हैं, जब हम सफलता के आसमान पर होते हैं। इस बार फादर्स डे पर हमने ऐसे ही बेटों से उनके पिता के बारे में जानने का प्रयास किया जिनके लिए पिता करियर के मार्गदर्शक भी हैं। इन बच्चों ने अपने पिता की विरासत को संभाला और उसी खूबी से कारोबार को विस्तार दिया।

पिता की राह पर-
भोपाल के सबधाणी कोचिंग क्लास के लालचंद सबधाणी ने 1972 में बैंक की नौकरी छोड़कर सबधाणी कोचिंग इंस्टीट्यूट की नींव डाली। इन 39 सालों में इंस्टीट्यूट से 76 हजार छात्र-छात्राएँ पास आउट होकर विभिन्न सेवाओं में पहुँचे। सबधाणी कोचिंग इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर आनंद सबधाणी के चेहरे पर यह सब बताते हुए चमक झलकती है।

प्रतिस्पर्धा के इस दौर में आज भी सबधाणी कोचिंग इंस्टीट्यूट गरीब छात्रों को निःशुल्क कोचिंग उपलब्ध कराता है। पिताजी द्वारा रखी गई निःस्वार्थ सेवा की उस नींव को आनंद आज भी नहीं भूले हैं। आनंद कहते हैं कि इंस्टीट्यूट के एक हजार छात्र-छात्राओं में 400 ऐसे हैं जिनसे कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा है।

पिताजी की ही तरह आनंद भी पहले खुद बैंक अधिकारी बने, लेकिन उन्होंने भी पिताजी द्वारा रखी गई नींव को सँवारने का निर्णय लिया। बीते डेढ़ साल से अब आनंद इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर हैं। आनंद पिता को ही अपना आदर्श मानते हैं और बड़े ही आध्यात्मिक बोध से यह स्वीकार करते हैं कि पिताजी ने उन्हें जीने की राह दी है।

पिता से मिला मूलमंत्र-
भोपाल के आईसेक्ट के संस्थापक संतोष चौबे को कई रूपों में जाना जाता है। वे लेखक, विचारक, संस्कृतिकर्मी, कुशल प्रशासक, संवेदनशील इंसान तो हैं ही उतने ही श्रेष्ठ पिता भी हैं। उनके बेटे सिद्धार्थ चौबे अपने पिता की ऐसी ही कई विशेषताओं के कारण उन्हें 'कम्पलीट पैकेज' करार देते हैं।

ND
आईटीसी और आईबीएम जैसी कंपनियों में कार्य करने के बाद सिद्धार्थ ने अपनी पत्नी पल्लवी के साथ अपने पिता का हाथ बँटाना शुरू किया है। सिद्धार्थ कहते हैं कि पिता उनके रोल मॉडल रहे हैं। घर में पिता से संबंधों को निभाने, बर्ताव, सभी का ख्याल रखने की सीख मिली तो कार्यस्थल पर टीम को साथ लेकर चलने, कम्युनिकेशन में क्लेरिटी, काम में बराबर ध्यान और फोकस्ड कार्यशैली की प्रेरणा मिली।

सिद्धार्थ की पत्नी पल्लवी कहती हैं कि पाँच साल अलग-अलग कंपनियों में कई बॉस के साथ काम करने के बाद संतोषजी के साथ काम करने के बाद पता चला कि एक इंटरप्रेन्योर को कैसा होना चाहिए? सबसे बड़ी बात वे रिस्क लेने और प्रयोग करने का मौका देते हैं।

रिस्क लेने से झिझको नहीं-
भोपाल के सागर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के संस्थापक संजीव अग्रवाल भी अपनी सफलता की नींव में अपने पिता के सहयोग को मानते हैं। संजीव के मुताबिक पिता ने बचपन से एक बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा दी। वे हमेशा कहते हैं कि सफलता पाने के तमाम गुणों में सबसे अनिवार्य गुण यह है कि आप बेहतर व्यवहार करें।

पिता सुशील अग्रवाल इंजीनियर थे और उन्होंने इमारतों के निर्माण के साथ संजीव को सफलता का निर्माण करना भी सिखलाया। इसी सीख का परिणाम है कि संजीव अपने कार्यक्षेत्र में लगातार विस्तार कर रहे हैं। वे कहते हैं कि पिता की इस भूमिका के लिए वे सदैव कृतज्ञ रहेंगे।

जिंदगी में सबसे विनम्र व्यवहार करो-
ND
चित्रकार अखिलेश कला जगत में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। वे जितने अच्छे चित्रकार हैं, उतने ही अच्छे व्यक्ति भी हैं। उनके इन दोनों रूपों के पीछे यदि किसी शख्स का आधार है तो वह है उनके पिता रामजी वर्मा। अखिलेश ने बचपन से ही पिता को एक कलासाधक के रूप में देखा। पिता ने भी जीवन व्यवहार का पाठ पढ़ाने के साथ नन्हे अखिलेश को कला की बारीकियाँ भी सिखलाईं।

अखिलेश कहते हैं कि पिता मेरे जीवन का सबसे अहम किरदार हैं। उन्होंने पिता होने के नाते कई बातें सिखाईं लेकिन जब पता चला कि मैं पेंटिंग में रुचि लेने लगा हूँ तो उन्होंने इस कला को सिखाया। इस तरह से यह मेरे पिता की मुझे अतिरिक्त मदद थी। मुझे लगता है कि मेरे पिता एक अच्छे शिक्षक थे तभी वे चित्रकला की बारीकियाँ मुझे सिखला पाए।