मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. संत-महापुरुष
  4. Sahasrabahu Arjun Jayanti 2025
Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025 (10:24 IST)

Sahasrabahu Jayanti: कौन थे सहस्रबाहु अर्जुन, उनकी जयंती क्यों मनाई जाती है, जानें जीवन परिचय और योगदान

Kartik Shukla Saptami
Sahasrabahu Arjun Jayanti: सहस्रबाहु का मूल नाम कार्तवीर्य अर्जुन था। वह पौराणिक कथाओं के अनुसार त्रेता युग में हैहय वंश के एक प्रतापी और शक्तिशाली राजा थे। राजराजेश्वर सहस्रबाहु अर्जुन (जिन्हें कार्तवीर्य अर्जुन भी कहा जाता है) पौराणिक कथाओं के अनुसार, उन्हें भगवान दत्तात्रेय की कठोर तपस्या के बाद हजार भुजाओं का बल प्राप्त करने का वरदान मिला था, जिसके कारण वे सहस्रबाहु (हजार भुजाओं वाला) कहलाए। उन्होंने माहिष्मती (वर्तमान महेश्वर) को अपनी राजधानी बनाकर न्यायपूर्वक शासन किया और अपने शौर्य के लिए प्रसिद्ध हुए।
 
* सहस्रबाहु जयंती क्यों मनाई जाती है: सहस्रबाहु अर्जुन की जयंती प्रतिवर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि उनकी जन्म तिथि के रूप में श्रद्धापूर्वक मनाई जाती है। सहस्रबाहु का जन्म दिन विशेष रूप से महाराष्ट्र, गुजरात और अन्य भारतीय क्षेत्रों में मनाया जाता है। इस दिन उनकी वीरता, शक्ति और कर्तव्यनिष्ठा को याद किया जाता है। 
 
उनकी जयंती मुख्य रूप से कलचुरी/ कलार, हैहयवंशीय क्षत्रिय और कुछ मान्यताओं के अनुसार यादव समुदायों द्वारा मनाई जाती है, जो उन्हें अपना आदिपुरुष, महान सम्राट और देवता के रूप में मानते हैं। इस दिन लोग राजा सहस्रबाहु के शौर्य, बल, पराक्रम और समाज कल्याण के लिए किए गए कार्यों को याद करते हैं। उनकी पूजा-अर्चना की जाती है और उन्हें भगवान दत्तात्रेय के महान भक्त और एक न्यायप्रिय शासक के रूप में स्मरण किया जाता है।
 
* जीवन परिचय और योगदान:
 
- मूल नाम: कार्तवीर्य अर्जुन।
 
- अन्य नाम: सहस्रार्जुन, हैहयाधिपति, दशग्रीविजयी, राजराजेश्वर आदि।
 
- पिता: राजा कृतवीर्य। कृतवीर्य के पुत्र होने के कारण इन्हें कार्तवीर्य-अर्जुन भी कहा जाता था। 
 
- राज्य: प्राचीन माहिष्मती नगरी (वर्तमान में मध्य प्रदेश का महेश्वर)।
 
- वरदान और नामकरण: वह भगवान दत्तात्रेय (जिन्हें विष्णु का अंशावतार माना जाता है) के महान भक्त थे। उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर दत्तात्रेय ने उन्हें हजार भुजाओं (सहस्र बाहु) का वरदान दिया, जिसके कारण वह सहस्रबाहु या सहस्रार्जुन के नाम से प्रसिद्ध हुए। उन्हें कई अन्य सिद्धियां और वरदान भी प्राप्त थे।
 
* योगदान:
- उन्हें चक्रवर्ती सम्राट माना जाता था और उन्होंने कथित तौर पर सातों द्वीपों पर आधिपत्य स्थापित किया था।
 
- वह इतने शक्तिशाली थे कि उन्होंने लंकापति रावण को युद्ध में पराजित कर बंदी बना लिया था, हालांकि बाद में रावण के दादा महर्षि पुलस्त्य के आग्रह पर उसे छोड़ दिया था।
 
- उनके राज्य की राजधानी महेश्वर, नर्मदा नदी के तट पर स्थित थी।
 
मृत्यु: अहंकार और ऋषि जमदग्नि की कामधेनु गाय को बलपूर्वक ले जाने के कारण उनका भगवान परशुराम से युद्ध हुआ, जिसमें उनका वध हुआ।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
 
ये भी पढ़ें
Amla Navami 2025: आंवला अक्षय नवमी: 11 रोचक तथ्यों के साथ पर्व की विस्तृत जानकारी