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Last Updated : शुक्रवार, 8 जनवरी 2021 (00:45 IST)

Kisan Andolan : किसानों को Coronavirus से सुरक्षा नहीं मिली तो तबलीगी जमात जैसे हालात पैदा हो सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट

Kisan Andolan :  किसानों को Coronavirus से सुरक्षा नहीं मिली तो तबलीगी जमात जैसे हालात पैदा हो सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट - supreme court on farmers protests cji expresses concern for farmers health during tablighi jamaat case hearing
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 महामारी के बीच तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमा पर किसानों के जमावड़े पर चिंता व्यक्त करते हुए गुरुवार को केन्द्र से सवाल किया कि क्या ये किसान कोरानावायरस संक्रमण से सुरक्षित हैं? न्यायालय ने कहा कि कोरोना वायरस पर अंकुश पाने के लिए बने दिशा-निर्देशों का पालन होना चाहिए।
 
न्यायालय ने पिछले साल इस महामारी पर काबू पाने के लिए लागू हुए लॉकडाउन के दौरान आनंद विहार बस अड्डे और निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात के आयोजन में बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने की घटना की सीबीआई जांच के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कोरोनावायरस से किसानों की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की।
 
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमणियन की पीठ ने सुनवाई के दौरान केन्द्र से कहा कि  आपको हमें बताना चाहिए कि क्या हो रहा है। किसानों के आंदोलन से भी वैसी ही समस्या पैदा होने जा रही है। हमें नही मालूम कि क्या किसान कोविड से सुरक्षित हैं। वही समस्या फिर पैदा होने जा रही है। ऐसा नहीं है कि सब कुछ बीत गया है।
 
न्यायालय ने केन्द्र की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से जानना चाहा कि क्या विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान कोविड-19 से सुरक्षित हैं। मेहता ने जवाब दिया निश्चित ही ऐसा नहीं है। मेहता ने कहा कि वे दो सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट दाखिल करके बताएंगे कि क्या किया गया है और क्या करने की जरूरत है।
 
यह याचिका अधिवक्ता सुप्रिय पंडिता ने दायर की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली पुलिस बड़ी संख्या में लोगों को एकत्र होने से नहीं रोक सकी और निजामुद्दीन मरकज का मुखिया मौलाना साद अभी तक गिरफ्तारी से बच रहा है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ओम प्रकाश परिहार ने कहा कि मौलाना साद के बारे में केन्द्र ने कोई बयान नहीं दिया है।
इस पर पीठ ने परिहार से सवाल किया कि आपकी दिलचस्पी एक व्यक्ति में क्यों हैं? हम कोविड के मुद्दे पर हैं। आप विवाद क्यों चाहते हैं? हमारी दिलचस्पी है कि कोविड दिशा-निर्देशों का पालन होना चाहिए। पीठ ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि कोविड संक्रमण फैले नहीं और इससे संबंधित दिशा-निर्देशों का पालन हो। पीठ ने कहा कि नोटिस जारी किया। इस बीच प्रतिवादी अपने जवाबी हलफनामे दाखिल करेंगे।
 
केन्द्र सरकार ने पिछले साल 5 जून को न्यायालय से कहा था कि लॉकडाउन के दौरान आनंद विहार बस अड्डे पर बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने और तबलीगी जमानत के कार्यक्रम के आयोजन की घटनाओं की दिल्ली पुलिस जांच कर रही है और इसमें सीबीआई जांच की आवश्यकता नहीं है।
 
इससे पहले गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस द्वारा समय-सीमा के भीतर जांच पूरी करने और अदालत में आरोप-पत्र दाखिल करने के प्रयासों के बारे में न्यायालय को विस्तार से अवगत कराया था। 
 
गृह मंत्रालय ने कहा था कि दिल्ली के इलाकों में फर्जी खबरों और कतिपय गलत जानकारी की वजह से हजारों कामगार पिछले साल 28 मार्च को आनंद विहार बस अड्डे और गाजीपुर सीमा पर एकत्र हो गए थे।
 
मंत्रालय ने कहा था कि मौलाना साद के खिलाफ महामारी बीमारी कानून, आपदा प्रबंधन कानून और भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। जांच के दौरान विदेशी नागरिक कानून के तहत भी आरोप जोड़े गए थे।
 
मंत्रालय ने कहा था कि मरकज के मामले से निबटने में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं हुई थी और पुलिस ने 21 मार्च को ही तबलीगी जमात मुखयालय के पदाधिकारियों से संपर्क कर उन्हें कोविड-19 से उत्पन्न हालात से अवगत कराया गया था और विदेशियों को वापस उनके देश भेजने का निर्देश दिया था। (भाषा)