नई दिल्ली। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले लगभग 80 दिनों से जारी किसान आंदोलन के बीच किसान संगठनों द्वारा की जा रही महापंचायत के मद्देनजर अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तरप्रदेश और राजस्थान के नेताओं के साथ बैठक की।
सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी उपस्थित थे। इनके अलावा केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष राजकुमार चाहर, सांसद सत्यपाल सिंह सहित कुछ अन्य नेता इस बैठक में शामिल हुए।
ज्ञात हो कि कृषि कानूनों को लेकर सबसे अधिक नाराजगी पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तरप्रदेश और राजस्थान के किसानों में देखी गई है। भाजपा सूत्रों के मुताबिक इन राज्यों में हो रही खाप पंचायतों के मद्देनजर यह बैठक बुलाई गई है। दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर डटे किसानों में अधिकांश इन्हीं राज्यों के हैं। कृषि कानूनों को लेकर किसानों और सरकार के बीच 11 दौर की वार्ता हुई है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका।
राजद्रोह का कानून नहीं लगा सकते : दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि उपद्रवियों का मुंह बंद कराने के बहाने असंतुष्टों को खामोश करने के लिए राजद्रोह का कानून नहीं लगाया जा सकता। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राना ने किसानों के चल रहे प्रदर्शन के दौरान फेसबुक पर फर्जी वीडियो डालकर कथित रूप से राजद्रोह और अफवाह फैलाने के आरोप में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार दो व्यक्तियों (देवी लाल बुरदक और स्वरूप राम) को जमानत देने के दौरान यह टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि समाज में शांति व व्यवस्था कायम रखने के लिए सरकार के हाथ में राजद्रोह का कानून एक शक्तिशाली औजार है।
न्यायाधीश ने 15 फरवरी को दिए गए अपने आदेश में कहा कि हालांकि उपद्रवियों का मुंह बंद करने के बहाने असंतुष्टों को खामोश करने के लिए इसे लागू नहीं किया जा सकता। जाहिर तौर पर, कानून ऐसे किसी भी कृत्य का निषेध करता है जिसमें हिंसा के जरिए सार्वजनिक शांति को बिगाड़ने या गड़बड़ी फैलाने की प्रवृत्ति हो। आदेश में कहा गया कि हिंसा अथवा किसी तरह के भ्रम अथवा तिरस्कारपूर्ण टिप्पणी या उकसावे के जरिए आरोपियों के द्वारा सार्वजनिक शांति में किसी तरह की गड़बड़ी या अव्यवस्था फैलाने के अभाव में मुझे संदेह है कि आरोपी पर धारा 124 (ए) के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
दिशा रवि की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन किया : वामदल से संबद्ध ऑल इंडिया स्टुडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने टूलकिट मामले में गिरफ्तार पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की गिरफ्तारी के खिलाफ मंगलवार को दिल्ली पुलिस के मुख्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), दिल्ली विश्वविद्यालय और अम्बेडकर विश्वविद्यालय (दिल्ली) के आइसा सदस्यों ने रवि की तुरंत रिहाई की मांग की और आरोप लगाया कि भाजपा 'लोकतंत्र के खिलाप क्रूर अभियान' चला रही है।
आइसा के राष्ट्रीय कार्यकारी महासचिव प्रसेनजीत कुमार ने कहा कि युवा भारत के भविष्य हैं। दिशा जैसी मुखर युवा आवाजों से हमारे देश का लोकतांत्रिक तानाबाना बनता है लेकिन भाजपा द्वारा हमपर हमला कामयाब नहीं होगा। आइसा ने बयान में आरोप लगाया कि 'टूलकिट' के आधार पर दिशा रवि की गिरफ्तारी आरएसएस-भाजपा का लोकतांत्रिक विरोधी एजेंडे का नृशंस प्रदर्शन है।
संगठन ने कहा कि टूलकिट प्रदर्शन का सामान्य हथियार है और द्वेषपूण तरीके से इसे 'अंतरराष्ट्रीय साजिश' करार देना भाजपा का किसानों के विशाल प्रदर्शन को बदनाम करने का तरीका है। आइसा का प्रदर्शन दिल्ली पुलिस के आयुक्त को संबोधित ज्ञापन सौंपने के साथ समाप्त हुआ जिसमें दिशा रवि के साथ-साथ मजदूर संघ कार्यकर्ता नौदीप कौर, शिव कुमार, 'गिरफ्तार किसान नेताओं व राजनीतिक कैदियों' को रिहा करने की मांग की गई।
किसान नेता बंगाल में करेंगे सभाएं : किसान नेताओं ने कहा कि वे चुनावी प्रदेश पश्चिम बंगाल में भी सभाएं करेंगे। वहीं एक किसान नेता ने संकेत दिया कि वे जनता से ऐसे लोगों को वोट नहीं देने को कहेंगे जो 'हमारी आजीविका छीन रहे हैं। किसान नेताओं ने कहा कि कई अन्य राज्यों की तरह वे जल्दी ही पश्चिम बंगाल का भी दौरा करेंगे।
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नेता राकेश टिकैत ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हम पूरे देश का दौरा करेंगे, हम पश्चिम बंगाल भी जाएंगे। पश्चिम बंगाल में भी किसान समस्याओं का सामना कर रहे हैं। उन्हें अपनी फसलों के लिए अच्छी कीमतें नहीं मिल रही हैं।
उन्होंने महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि हम देशभर में पंचायतों का आयोजन करेंगे। हम गुजरात, महाराष्ट्र, अन्य स्थानों पर जाएंगे। हम पश्चिम बंगाल जाएंगे और वहां भी एक बड़ी सभा करेंगे। पश्चिम बंगाल के किसान राज्य सरकार के साथ साथ केंद्र के साथ कुछ समस्याओं का सामना कर रहा है। हम वहां भी एक पंचायत आयोजित करेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या यात्रा पश्चिम बंगाल के आगामी विधानसभा चुनावों से जुड़ी होगी, टिकैत ने संवाददाताओं से कहा कि यह मामला नहीं है, हम किसानों के मुद्दों को लेकर वहां जाएंगे।
हालांकि, हरियाणा बीकेयू के प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी ने महापंचायत को संबोधित करते हुए लोगों से अपील की कि वे पंचायत से संसद तक के चुनाव में ऐसी किसी व्यक्ति को वोट नहीं दें जो प्रदर्शनकारी किसानों की मदद नहीं करते हैं और उनके आंदोलन को समर्थन नहीं देते। बाद में टिकैत और कुछ अन्य किसान नेताओं के साथ पत्रकारों से बातचीत करते हुए चढूनी ने कहा कि जहां तक पश्चिम बंगाल का संबंध है, अगर भाजपा के लोग हार जाते हैं, तभी हमारा आंदोलन सफल होगा। पश्चिम बंगाल में भी लोग कृषि पर निर्भर हैं। हम वहां जाएंगे और किसानों से आग्रह करेंगे कि वे उन्हें वोट नहीं दें जो हमारी आजीविका छीन रहे हैं।
टिकैत ने कहा कि केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे 40 नेता पूरे देश का दौरा करेंगे ताकि आंदोलन को समर्थन मिले। चढूनी ने कहा कि सरकारें लोगों से ऊपर नहीं हैं और उन्हें आंदोलन कर रहे किसानों की मांगों को स्वीकार करना होगा। उन्होंने कहा कि हमें तब तक लड़ना है जब तक हमें अपने अधिकार नहीं प्राप्त हो जाते, भले ही इसका मतलब अंतिम सांस तक लड़ना हो। (भाषा)