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Written By WD

अन्ना हजारे : प्रोफाइल

Anna Hazare Profile | अन्ना हजारे : प्रोफाइल
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किशनराव बाबूराव हजारे को आमतौर पर अन्ना हजारे के नाम से जाना जाता है। वे एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जिन्होंने ग्रामीण ‍‍‍‍‍‍व‍िकास, सरकारी कामकाज में पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ जांच करने और उन्हें दंडित करने के लिए वे आंदोलन करते रहे हैं। अपने उद्देश्यों के लिए उन्होंने गांधीजी की तरह भूख हड़ताल का भी सहारा लिया।

महाराष्ट्र में अहमदनगर जिले के अपने गांव रालेगण सिद्धी को एक मॉडल की तरह विकसित करने के लिए सरकार ने 1992 में उन्हें प‍द्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया है। उन्होंने जन लोकपाल कानून बनाए जाने की मांग को लेकर भूख हड़ताल की तो सारे देश में उनके समर्थन में धरने, प्रदर्शन किए गए। सरकार को अण्णा की मांगे माननी पड़ीं हालांकि सरकारी पेंतरेबाजी और अन्य दलों के सहयोग न करने पर सरकार को ज्यादा मजबूर नहीं किया जा सका।

अन्ना हजारे का जन्म 15 जून 1937 को अहमदनगर के पास भींगर गांव में हुआ था। कुछ सूत्रों का कहना है कि उनका जन्म 1940 में हुआ था। उनके पिताजी एक फार्मेसी में काम करते थे और इस तरह अपने परिवार को चलाया करते थे।

बाद में, उनका परिवार अपने पुश्तैनी गांव रालेगण सिद्धि में चला आया और यहीं रहने लगा। यहां पर उनके पास थोड़ी सी खेती की जमीन थी। उनकी शिक्षा दीक्षा का जिम्मा एक संबंधी ने लिया और वे उन्हें अपने साथ मुंबई ले गए क्योंकि गांव में तब कोई प्राथमिक शाला नहीं थी। बाद में, उनका यह संबंधी भी उन्हें सातवीं कक्षा तक ही पढ़ाने में समर्थ हुआ।

जब कि उनके और भाई बहनों में से कोई भी स्कूल नहीं गया। मुंबई में रहते हुए उन्होंने दादर रेलवे स्टेशन पर फूल बेचने की दुकान खोली और उन्होंने शहर में फूलों की दो दुकानें कर लीं।

वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद आपातकालीन सेना भर्ती शुरू ‍की गई। हालांकि वे तब शारीरिक जरूरतों को पूरा नहीं करते थे तब भी अप्रैल, 1963 में उन्हें सेना में भर्ती कर लिया गया। इस वर्ष औरंगाबाद में ट्रेनिंग लेने के बाद वे सेना के नियमित काम करने लगे।

1965 के भारत-पाकिस्तान की लड़ाई के बाद वे सीमा पर तैनात रहे। लड़ाई के अनुभवों ने उन्हें जीवन से विरक्त कर दिया और वे समाज सेवा करने के बारे में सोचने लगे। बाद में, एक सड़क दुर्घटना के बाद वे सोचने लगे कि भगवान ने उन्हें यह जीवन लोगों की सेवा करने के लिए दिया है। इसलिए सेना से अवकाश लेकर वे अपने गांव आ गए और उन्होंने गांव का कायापलट कर दिया।

उन्‍होंने अपने गांव में मद्य निषेध, सिगरेट, बीड़ी और तम्बाकू का निषेध किया और अन्न बैंक की स्थापना की। गांव के विकास के लिए बहुत सारे कार्यक्रम चलाए और दूध उत्पादन, शिक्षा तथा अस्पृश्यता पर रोक लगाई। सामूहिक विवाह करवाए और ग्राम सभा बनाने के लिए गांवों के लोगों को प्रेरित किया। आरटीआई (सूचना के अधिकार) का कानून बनाने में मदद की और जन लोकपाल के लिए आंदोलन किया जोकि अभी भी जारी है।