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दीपावली पूजन के सबसे शुभ मुहूर्त : कब करें महालक्ष्मी पूजन, जानिए दिवाली की पूजा विधि

Diwali 2020 Date in India
Diwali 2020 Puja Shubh Muhurat
 
वर्ष 2003 के पश्चात पुन: शनिवार, 14 नवंबर 2020 को मनाई जाएगी दिवाली। गृहस्थ और व्यापारी वर्ग के लिए पूजा का शुभ मुहूर्त।
 
दीपावली पूजन मुहूर्त
 
दीपावली पूजन शुभ मुहूर्त शनिवार, 14 नवंबर 2020
 
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- शाम 17 बजकर 28 मिनट से 19 बजकर 23 मिनट तक।
 
प्रदोष काल- शाम 17 बजकर 33 मिनट से 20 बजकर 12 मिनट तक।
 
वृषभ काल- शाम 17 बजकर 28 मिनट से 19 बजकर 24 मिनट तक।

लक्ष्मी पूजा चौघड़िया-
 
14 नवंबर 2020 शुभ पूजा मुहूर्त-
 
दोपहर :  14 बजकर 17 मिनट से शाम 16 बजकर 7 मिनट तक।
 
शाम : 17.28 से 19.07 तक।
 
रात्रि :  20.47 से 1.45 तक।
 
15 नवंबर 2020 प्रात: 5.04 से 6.44 तक।
 
अमृत पूजा मुहूर्त- शाम 6 बजकर 4 मिनट से 10 बजकर 48 तक।

दिवाली की पूजा विधि-
 
दिवाली के दिन भगवान गणेश और मां लक्ष्मी तथा कुबेरजी की पूजा का विधान है। गृहस्थ लोगों को वृषभ काल स्थिर लग्न में पूजा करनी चाहिए। दिवाली की शाम को पूजा स्थल पर एक चौकी बिछाएं। इसके बाद गंगाजल डालकर चौकी को साफ करें। इसके बाद भगवान गणेश और मां लक्ष्मी तथा कुबेरजी की प्रतिमा को स्थापित करें।
 
पूजा स्थल पर गणेशजी के सामने दाहिनी तरफ आटे से नवग्रह बनाएं और पास में जल से भरा कलश रखें। उस कलश में कुछ कौड़ियां, गोमती चक्र, सिक्के-सुपारी, शहद व गंगा जल इत्यादि डालें। उस कलश पर रोली से स्वस्तिक बना लें और मोली से कलश को 5 बार लपेट दें। उस पर आम के पत्ते लगाकर बड़ी दीयाली से कलश को ढंक दें। उस दीयाली में चावल रखें। चावल के ऊपर लाल कपड़े में लपेटकर जटा नारियल रखें।
 
इसके बाद पूजा स्थल पर किसी लाल कपड़े की थैली में कौड़ियां 5, गोमती चक्र 5, हल्दी की गांठें 5, साबुत बादाम 21 रखें। पंच मेवा, गुड़, फूल, मिठाई, घी, कमल का फूल, खील-बताशे आदि भगवान गणेश और मां लक्ष्मी के आगे रखें। धनतेरस में खरीदे गए सामान भी पूजा स्थान पर ही रखें।
 
भगवान गणेश और मां लक्ष्मीजी एवं कुबेरजी के आगे घी का दीपक 5 या 11 जलाएं और
आवश्यकतानुसार कड़ू तेल के दीपक तैयार कर रखें। पूजा समाप्ति पर अन्य दीपक को मूर्ति के सामने के दीपक से प्रज्वलित कर घर में सभी स्थान पर रखवाएं।
 
अब अपने दाहिने हाथ में जल अक्षत-पुष्प लेकर गणेश-लक्ष्मीजी का ध्यान करते हुए संकल्प लेकर जमीन पर छोड़ दें। अब सभी मूर्तियों को तिलक कर घर के सदस्यों को तिलक लगाएं। अब समस्त सामग्रियों पर गंगा जल छिड़क दें।
 
अब विधिवत गणेश और मां लक्ष्मीजी के साथ ही कुबेरजी की भी पूजा करें अर्थात गणेश अथर्वशीर्ष और मां लक्ष्मीजी का श्री सूक्तम् का पाठ तथा कुबेरजी का पूजन करें। पूजन के पश्चात आरती करें। दूसरे दिन सुबह लाल थैले को पूजा स्थान या लॉकर में रख दें।
 
दिवाली के दिन लोग अपने गहनों, पैसों और बही-खातों की भी पूजा करते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी का घर में वास होता है और धन की कभी भी कोई कमी नहीं रहती है।