Bhai Dooj 2025: भाई दूज पर भाई को पान खिलाने का क्या है महत्व?
Bhai Dooj 2025: भाई दूज का पर्व कार्तिक शुक्ल द्वितिया तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती, भोजन कराती और पान खिलाती हैं। इस बार भाई दूज के त्योहार को लेकर कंफ्यूजन है कि यह 22 अक्टूबर को रहेगा या कि 23 अक्टूबर 2025 गुरुवार को मनाया जाएगा। इसका जवाब है कि उदयातिथि के अनुसार यह पर्व 23 अक्टूबर को मनाना शास्त्र सम्मत है। भाई दूज पर भाई को पान खिलाने का बहुत महत्व है, यह कई मान्यताओं से जुड़ा हुआ है।
1. शुभता और समृद्धि का प्रतीक: हिंदू धर्म में पान को शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। भाई को पान खिलाकर बहनें उनके जीवन में खुशहाली और समृद्धि की कामना करती हैं।
2. अखंड सौभाग्य की कामना: मान्यता है कि भाई को पान भेंट करने से बहन का सौभाग्य अखंड रहता है।
3. विघ्न निवारण: कुछ मान्यताओं के अनुसार, अगर भाई पर कोई मुसीबत आने वाली होती है, तो बहन द्वारा पान खिलाने से वह मुसीबत टल जाती है या दूर हो जाती है।
4. रिश्ते में मिठास: यह रस्म भाई-बहन के प्यार और रिश्ते में मिठास बनाए रखने का प्रतीक भी मानी जाती है।
यह परंपरा यमराज और यमुना की कथा से भी जुड़ी हुई है, जहां बहन यमुना ने भाई यमराज को भोजन के बाद पान भेंट किया था। भाई दूज या भैया दूज पर्व को भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि नामों से मनाया जाता है। भाई दूज के दिन मृत्यु के देवता यमराज का पूजन भी होता है। मान्यता है कि इसी दिन यम देव अपनी बहन यमुना के बुलावे पर उनके घर भोजन करने आए थे।
भाई दूज पर भाई को क्यों खिलाते हैं पान?
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इस दिन बहनें, भाई को अपने घर आमंत्रित कर अथवा सायं उनके घर जाकर उन्हें भोजन कराती और तिलक लगाती हैं।
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भोजन के उपरान्त अपने भाई को पान जरूर भेंट करें। मान्यता है कि पान भेंट करने से बहनों का सौभाग्य अखण्ड रहता है।
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कहते हैं कि इस दिन जो भाई-बहन इस रस्म को निभाकर यमुनाजी में स्नान करते हैं, उनको यमराजजी यमलोक की यातना नहीं देते हैं।
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इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना का पूजन किया जाता है।
यम और यमुना की कथा : भाई दूज की पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन यमुना अपने भाई भगवान यमराज को अपने घर आमंत्रित करके उन्हें तिलक लगाकर अपने हाथ से स्वादिष्ट भोजन कराती है। जिससे यमराज बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने अपनी बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा। इस पर यमुना ने अपने भाई यम से कहा कि आज के दिन जो बहनें अपने भाई को निमंत्रित अपने घर बुलाकर उन्हें भोजन कराएंगी और उनके माथे पर तिलक लगाएगी तो उन्हें यम का भय ना हो। यमरान ने ऐसा सुनकर कहा, तथास्तु। तभी से कार्तिक मास की शुक्ल द्वितीया को बहनों द्वारा अपने भाई को भोजन कराकर तिलक लगाया जाता है।