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Last Modified: शुक्रवार, 11 जून 2021 (11:54 IST)

दवा कंपनियों के लिए महामारी में फायदा कमाना क्यों जरूरी था...

दवा कंपनियों के लिए महामारी में फायदा कमाना क्यों जरूरी था... - Why profit was necessary for medicine companies in Corona time
कॉर्क। फार्मास्युटिकल कंपनी फाइजर को इस साल कोविड-19 वैक्सीन की बिक्री से 26 अरब अमेरिकी डॉलर तक की कमाई की उम्मीद है। 2021 की पहली तिमाही के लिए यह मुनाफा जाहिर तौर पर एक साल पहले की तुलना में 44% अधिक है। इसी तरह, मॉडर्ना को 18.4 अरब अमेरिकी डॉलर कमाई की उम्मीद है, और कंपनी इस साल अपना पहला लाभ दर्ज करेगी।
 
इससे कुछ लोगों के मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या इन बड़ी दवा कंपनियों के लिए महामारी के इस समय में मुनाफा कमाना सही है और वह भी तब जब इनकी प्रतिस्पर्धी कंपनियां जॉनसन एंड जॉनसन और एस्ट्राजेनेका गैर-लाभकारी आधार पर अपने टीके बेचने की प्रतिबद्धता जता चुकी हैं।
 
नैतिक आधार पर यह कहा जा सकता है कि महामारी के इस दौर में जब लॉकडाउन और सामाजिक प्रतिबंधों के कारण बहुत से उद्योग मंदी की मार झेल रहे हैं तो इतने बड़े पैमाने पर मुनाफा कमाना कहां तक उचित है।
 
दूसरी ओर, यह तर्क दिया जा सकता है कि दवा बनाने वाली कंपनियों की यह व्यावसायिक और सामाजिक जिम्मेदारी है कि वह दुनिया को वैक्सीन उपलब्ध कराने के दौरान मुनाफा कमाने के अपने मॉडल का उपयोग करें। दरअसल, कॉरपोरेट कानून भी इस बात का समर्थन करता है।
 
कॉरपोरेट कानूनों पर अनुसंधान करने वाले लोगों में इस बात को लेकर लंबे समय से मतभेद हैं। एक तरफ वे लोग हैं जो कॉरपोरेट को शेयरधारकों के लिए लाभ बढ़ाने वाली मशीन के रूप में देखते हैं। दूसरी ओर वे लोग हैं जो मानते हैं कि लाभ कमाना एक आवश्यक कॉरपोरेट उद्देश्य है, कॉरपोरेट के सामने अपने कर्मचारियों, पर्यावरण, अपने समुदाय और समाज के प्रति भी जिम्मेदारियां होती हैं।
 
हम में से जो लोग बाद के विचार को मानते हैं वह आंशिक रूप से ऐसा करते हैं क्योंकि 19वी शताब्दी से इसे दुनिया भर के 'सामान्य कानून' का समर्थन हासिल है। इनमें ब्रिटेन, आयरलैंड, अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश शामिल हैं, जहां सबसे वरिष्ठ अदालतों के फैसले कानून के स्रोत हैं और अन्य अदालतों के लिए बाध्यकारी हैं। यह विचार कॉरपोरेशन को अपने शेयरधारकों से अलग एक इकाई के रूप में मान्यता देता है।
 
कॉरपोरेट जिम्मेदारी का यह दृष्टिकोण न केवल कानूनी रूप से सही है, यह कॉपोरेशन का सामाजिक रूप से जिम्मेदार दृष्टिकोण भी है क्योंकि यह 'हर कीमत पर लाभ' मानसिकता के व्यापक परिणामों को पहचानता है। यह व्यवसाय के मानवीय पक्ष को ध्यान में रखता है, जैसे कि कारखानों के बंद होने पर श्रमिकों और स्थानीय समुदायों पर प्रभाव और उत्पादन को कम मजदूरी लागत (और अक्सर कम विनियमन) वाले स्थानों पर आउटसोर्स किया जाता है।
 
निगमों को महंगे शोध और आवश्यक उत्पादों के विकास के लिए पूंजी उपलब्ध कराने में शेयरधारकों की आवश्यक भूमिका को पूरी तरह से स्वीकार करने के साथ ही समाज को वस्तुएं और सेवाएं प्रदान करने के काम में अपनी प्रतिभा और श्रम लगाने वाले कर्मचारियों के योगदान को भी ध्यान में रखना होता है।
 
यह देखते हुए कि निगम प्रत्येक हितधारक के बिना अपनी भूमिका का सही तरीके से निर्वाह नहीं कर सकता है और इन सभी हितधारकों के हितों को ध्यान में रखते हुए ही किसी नीति का निर्धारण किया जाता है।
 
और ऐसा लगता है जैसे फाइजर और मॉडर्ना ने भी यही किया है। एक बार सोच कर देखिए कि इसकी बजाय अगर इनकी प्रबंधन टीमों ने कोविड-19 की वैक्सीन तैयार करने पर आने वाले भारी खर्च को देखते हुए इसपर काम न करने का विकल्प चुना होता तो यह और ज्यादा परेशान करने वाला होता। यही नहीं कंपनी के सामने यह जोखिम भी था कि अगर वैक्सीन बनाने के उनके प्रयास सफल नहीं हुए तो कंपनी की प्रतिष्ठा को भारी नुकसान हो सकता था। (भाषा)
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