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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शनिवार, 22 मई 2021 (17:13 IST)

महामारी के दौर में घर-घर की जरुरत बने मेडिकल गैजेट्स में लुट रही जनता,4 गुना दाम पर बिक रहे पल्स ऑक्सीमीटर और ग्लूकोमीटर

आपदाकाल में मेडिकल गैजेट्स में कमाई का अवसर

महामारी के दौर में घर-घर की जरुरत बने मेडिकल गैजेट्स में लुट रही जनता,4 गुना दाम पर बिक रहे पल्स ऑक्सीमीटर और ग्लूकोमीटर - Special report on medical gadgets being sold in the corona epidemic in the market
कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस महामारी का खौफ लोगों की आंखों ने नजर आने लगा है। कोरोना संक्रमित मरीजों के साथ कोरोना से रिकवर होकर घर जा चुके लोगों के दिल-दिमाग पर अब ब्लैक फंगस महामारी का डर हावी हो रहा है। कोरोना की दूसरी लहर में घर-घर तक पहुंचानी वाली बीमारी से बचने और बीमार होने पर इलाज घर पर ही करने के लिए लोग धड़ल्ले से शुगर, ब्लड प्रेशर और ऑक्सीजन लेवल मापने वाली मशीनें खरीद रहे है। 

कोरोनाकाल में लोगों की दिनचर्या में आ चुके मेडिकल गैजेट्स की इन दिनों जमकर कालाबाजारी हो रही है। आपदा में कमाई का अवसर तलाशते हुए दुकानदार दो से चार गुना तक मेडिकल गैजेट्स के दाम लोगों से वसूल रहे है। बाजार में शुगर मपाने वाले ग्लूकोमीटर से लेकर पल्स ऑक्सीमीटर तक, नेबुलाइजर से लेकर ब्लड प्रेशर मॉनिटर तक मनमाने दामों पर मिल रहा है।
 
कोरोनाकाल में सर्जिकल गैजेट्स की मांग इतनी अधिक बढ़ गई कि व्यापारियों ने इसे कमाई का अवसर बनाकर इनके दाम बढ़ा दिए। आम दिनों में एमआरपी (MRP) से काफी कम कीमत पर बिकने वाले पल्स ऑक्सीमीटर और ऑक्सीजन रेगुलेटर देखते ही देखते बाजार स  गायब हो गए और मिले भी 2 गुने से 10 गुना तक के रेट पर।
 
ऑक्सीजन सिलेंडर रेगुलेटर-कोरोनाकाल में आम आदमी दवा और इंजेक्शन के साथ कैसे सर्जिकल गैजेट्स के लिए परेशान हुआ इसका अनुभव खुद मुझे भी पिछले दिनों हुआ। कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए ‘संजीवनी’ साबित होने वाली ऑक्सीजन के सिलेंडर पर लगने वाले ऑक्सीजन रेगुलेटर बाजार में खुलेआम 5000 से 7000 रुपए तक बिका जबकि आम दिनों में यह बाजार में आम तौर पर 800-1200 रुपए में मिल जाता था। मेडिकल सर्जिकल गैजेट्स बेचने वाले एक कारोबारी ने बताया कि उपर से (थोक बाजार) ही महंगा मिल रहा है इसलिए महंगा बेचने को मजबूर है। 

कोरोना  की दूसरी लहर जब महामारी अपनी पीक पर थी तो अस्पतालों में गंभीर रुप से बीमार मरीजों को भी बेड नहीं मिल पा रहे थे,ऐसे हालात में मजबूरन लोगों को घर पर ही ऑक्सीजन सिंलेडर लगाना पड़ा और आपदा का जमकर फायदा उठाते बाजार में ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ उसके रेगुलेटर मुंहमांगी कीमत पर बेचे गए।

पल्स ऑक्सीमीटर- कोरोना काल में सबसे अधिक डिमांड में रहने वाला पल्स ऑक्सीमीटर की जमकर कालाबाजारी हुई। होम आइसोलेशन में रहने वाले कोरोना संक्रमित लोगों के लिए ऑक्सीजन लेवल मापने के लिए सबसे अधिक काम आने वाला पल्स ऑक्सीमीटर इन दिनों 1000 से 1800 के बीच बिक रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि लोकल तौर पर बने हुए इन पल्स ऑक्सीमीटर की कोई गारंटी नहीं है। दवा बाजार में इसको चाइना प्रोडेक्ट के तौर पर बताया जाता है। आम तौर पर बाजार में यह ऑक्सीमीटर 200 से 400 रु. में मिल जाते थे।   
बाजार में धड़ल्ले से बिकने वाले इन ऑक्सीमीटर की रीडिंग देख कोरोना संक्रमित मरीज क्या एक स्वस्थ्य व्यक्ति भी घबरा सकता है। यह बातें मैं खुद अपने अनुभवों के आधार पर लिख रहा हूं और आपको बता रहा हूं। बाजार से 1500 रुपए में खरीद कर लाए हुए ऑक्सीमीटर ने स्वस्थ्य व्यक्ति का ऑक्सीजन लेवल भी 90-92 ही बताया।
 
ग्लूकोमीटर- आम तौर पर डायबिटीज के मरीजों के लिए काम आने वाले ग्लूकोमीटर की डिमांड कोरोना महामारी के साथ अब ब्लैक फंगस महामारी में पहले से पांच गुना ज्यादा हो गई है। कोरोना के इलाज में स्टेरॉयड के उपयोग से शुगर लेवल कम-ज्यादा होने लगता है जिसको मपाने के लिए ग्लूकोमीटर की डिमांड बढ़ गई। वहीं अब जैसे कोरोना से रिकवर होने वाले मरीजों में स्टेरॉयड के उपयोग और अधिक शुगर वाले मरीजों में ब्लैक फंगस के केस बड़े पैमाने पर आने लगे तब बाजार में ग्लूकोमीटर की डिमांड अचानक से बढ़ गई है। आम दिनों में 200 से 1500 रुपए में बिकने वाला ग्लूकोमीटर अब 350 से 5000 तक में बिक रहा है।  
  
नेबुलाइजर-फेफेड़े में माइल्ड इंफेक्शन को दूर करने के लिए लिक्विड दवा को भाप के जरिए शरीर में पहुंचाने वाले नेबुलाइजर की डिमांड इस वक्त खूब है। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए घरों में बिना डॉक्टरों की सलाह के इसका उपयोग किया जा रहा है ऐसे में 500 से 1500 में मिलने वाले नेबुलाइडर अब 1500 से 3000 हजार के बीच बिक रहा है।
 
ब्लडप्रेशर मॉनिटर- ब्लड प्रेशर के साथ पल्स रेट बताने वाले ब्लड प्रेशर मॉनिटर कोरोना की  दूसरी लहर से पहले बाजार में 800 से 1200 रुपए में मिल जाता था लेकिन अब इसकी कीमत 1400 से 2500 हो गई है। 
 
हैरत की बात यह है कि कोरोना के इलाज में काम आने वाले रेमडेसिविर और ब्लैक फंगस के इलाज में उपयोग आने वाले एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन के दाम बढ़ने और कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार ने कमेटी बना दी लेकिन मेडिकल गैजेट्स की खुलेआम लूट पर ड्रग कंट्रोलर और स्वास्थ्य विभाग  का कोई नियत्रंण ही नहीं है।