शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. कोरोना वायरस
  4. Search Results Web results Corona Virus Effect On Mango And Litchi Crop
Written By Author हिमा अग्रवाल
Last Updated : रविवार, 28 जून 2020 (23:10 IST)

Corona effect : बगिया में आम-लीची की बहार, फिर भी मुरझाए किसानों के चेहरे

Corona effect :  बगिया में आम-लीची की बहार, फिर भी मुरझाए किसानों के चेहरे - Search Results Web results  Corona Virus Effect On Mango And Litchi Crop
बड़े-बड़े साहूकार हों या कुर्सीवीर सभी अपनी गोटी फिट करने के लिए आम की दावतों के बहाने राजनीति करते हैं। अपनी समस्याओं, दुश्मनियों को आम की दावत देकर दूर करते है। इसलिए आम के बाग लगाना अपनी शान समझा जाता रहा है।

उत्तरप्रदेश में आम की पैदावार सबसे ज्यादा होती है, पश्चिमी उत्तरप्रदेश के मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, मुरादाबाद और रामपुर में आम के बागों का खजाना है, जहां आपको आम की सौ से अधिक किस्में देखने को मिल जाएंगी। इसमें रटौल, दशहरी, चौसा, बंबई लगड़ा, सिंदूरी, रामकेला और गुलाब जामुन की मिठास और स्वाद आपकी जुबान पर रच बस जाएंगे।

इस बार वेस्ट यूपी में आम की बम्पर फसल हुई, लेकिन कोरोना महामारी के चलते पहले देश में लॉकडाउन हो गया था, जिसके कारण आम के उत्पादन को बाजार नही मिल पा रहा है। पिछले वर्षों की तुलना में आधी से भी कम कीमत में आम बगानों से उठ रहा है। मंडियों में आवक नही है, तो खुले बाजार में आम के खरीदार। आसपास की मंडी में ही किसान अपने उत्पाद किसी तरह पहुंचा पा रहा है जहां आवक अधिक होने के कारण भाड़ा भी मुश्किल से निकल पा रहा है।

मेरठ के किठौर इलाके का शाहजहांपुर बाजार आम की वैरायटी के लिए जाना जाता है...यहां आम के बाग में भी बहार है। फलों का राजा आम भी इस बार ख़ास नहीं बन पा रहा है, क्योंकि आम भी मंदी की मार झेल रहा है। आम के कारोबारी वजहसिंह और लक्ष्मण से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि वे सवा सौ बीघे के काश्तकार है, आम की फसल बेहतरीन है, लेकिन कोरोना बीमारी ने कारोबार चौपट कर दिया।

लॉकडाउन में आम की फसल बर्बाद हो गई, अब बाजार खुला है तो मंदी है, आम का उठान नही है। पिछले साल दशहरी, गुलाब जामुन, लगड़ा आम बागान से 700 से 800 रुपए कैरेट उठा था, इस बार 200 से 250 रुपए कैरेट जा रहा है, एक कैरेट में लगभग 25 किलो आम होता है।

कोरोना और लाकडाउन की वजह से आम के किसानों को उनकी मूल लागत भी नहीं मिल पा रही है। पूरे साल 20 मजदूर बागानों की रक्षा और देखभाल में लगे रहते हैं। एक मजदूर पर 15 से 20 हजार रुपए महीने का खर्चा आता है। इस बार किसान उसे भी फसल से नहीं निकाल पा रहा है।
 
 
आम के काश्तकार अकेले परेशान नही हैं। यहां का लीची व्यापारी, किसान भी कोरोनावायरस की मार को झेल रहा है। मेरठ में आजकल आप लीची के बाग चले जाएं तो आपका यहां से आने का दिल नहीं करेगा, क्योंकि हर ओर बस बहार ही बहार नजर आ रही है, पेड़ों पर लीचियां के गुच्छे लटके हुए हैं, नज़ारा इतना खूबसूरत है कि आपका नजऱें हटाने का दिल नहीं करेगा..लेकिन यही नज़ारे किसानों को ज्यादा नहीं भा रहे हैं..क्योंकि लीची तो है लेकिन इस बार कोरोना के चलते इसके दामों में 30 से 40 प्रतिशत की गिरावट हुई है। 
 
मेरठ के किठौर क्षेत्र में जब लीची के एक बाग का हमने जायज़ा लिया तो किसान पेड़ से लीचियों को तोड़कर उन्हें छाटने में जुटे थे...क्या महिलाएं क्या पुरुष और क्या बच्चे सभी बाग में बैठकर लीचियों सहेज रहे थे। इन किसानों के लिए लीची रोज़ी-रोटी का ज़रिया है।

इन्हीं लीचियों के सहारे उनके घर का चुल्हा जलता है, लेकिन इस बार महामारी ने सब तबाह कर दिया है, क्योंकि लीची खरीदने वाले दूसरे ज़िलों या राज्यों के कारोबारी नहीं आ रहे हैं..जिसका सीधा असर उनके व्यापार पर पड़ रहा है। लीची बागवान प्रमोद का कहना है कि गत वर्षों में एक धड़ी लीची यानी 5 किलो लीची पांच सौ रुपए तक बिकती थी, लेकिन आज वो ढाई सौ से तीन सौ रुपए तक ही बिक पा रही है।
आम के आम गुठलियों के दाम मुहावरा इसकी दोहरी उपयोगिता के चलते बनाया गया है, रस से भरा आम जहां मुंह में पानी लाता है, खाने में जायेका लाने के लिए आम का अचार मुरब्बा, चटनी बनती है तो वहीं उसकी गुठली से बनी औषधियां पेट की बीमारियों के लिए रामबाण होती हैं। आम के साथ अनेक महान शख्सियतों के किस्से अक्सर पढ़ने-सुनने को मिलते हैं।
 
मिर्ज़ा ग़ालिब को जिन दो चीजों का सेवन बहुत पसंद था उनमें से एक आम भी हैं। उनके चाहने वाले उन्हें उपहार में खूब आम देते थे लेकिन आम से उनकी मोहब्बत कभी कम न हुई। उनसे जब कोई आम की किस्मों का जिक्र करता तब व आम की खुसूसियत में सिर्फ इतना कहते- आम बहुत मीठे होने चाहिए और ढेर सारे होने चाहिए। आम से मोहब्बत करने वालों में खास भी हैं और आम भी। आम फलों का राजा भी है और सर्वहारा भी। अपनी दिलफरेब खुशबू और मिठास की वजह से आम मेल-मुलाकात-मुहब्बत बढ़ाने का सदा ही साधन भी रहा है। 
 
हालांकि इस निराशा के बीच भी किसानों को आशा है कि अभी दिन बहुरेंगे..बागों की ये बहार उनके जीवन में भी बहार लेकर आएगी...और उनका कारोबार फिर से पटरी पर लौटेगा।
ये भी पढ़ें
UP की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को मध्यप्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार